Baran district

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For Gotra see Baran, and village in Patiala see - Baran Patiala
Map of baran district

Baran (बारां) is city and district in Rajasthan.

Origin of name

Baran is said to be originated from ancient name Varahanagari as large number of Varaha statues are recovered from the area. [1]

Jat Gotras

Tahsils in Baran district

Villages in Baran tahsil

Villages around Baran

Akera, Akeri, Amapura, Aranya, Badan, Bamanhera, Bamla, Bamli, Bamooliya, Bamooliya Jageer, Baori Khera, Baran (M), Barana, Barani, Batawada, Begna, Bengni, Bhatsui, Borda, Boredi, Borina, Chainpura, Chureliyan, Daulatpura, Deeloda, Durjanpura, Fatehpur, Gajanpura, Gheensari, Googalheri, Gopalpura, Gordhanpura, Hanotiya, Haripura, Heekar, Iklera, Jagannathpura, Jalera, Kaji Khera, Kala Khera, Kalmanda, Kalyanpura Ghata, Karnahera, Khedaheri, Kherali, Kheri, Kheri Jageer, Kherli Bhadolya, Kherli Kesho, Kotra, Kotri, Kotri Tulsan, Kotrisunda, Koyla, Laxmipura, Lewa, Lisariya, Luhariya, Majrawata, Mandola, Mandoli, Manpura, Mathana, Mathani, Melkheri, Miyada, Mothpura, Nalka, Nareda, Niyana, Noorpur, Patheda, Peepalda, Phoonsra, Rajpali, Rajpura, Ranihera, Raroti, Ratawad, Rebarpura, Reethod, Samaspur, Sambalpur, Sankali, Seemli, Shahgarh, Shankarpura, Shyampura, Sundlak, Talawada, Tejgarh, Thamli, Thoosra, Tisaya, Toomra, Tulsan, Ulthi, Ummedganj, Unda, Vijaipur,

History

तेजाजी मेले

  • बारां - तेजादशमी के अवसर पर जिले में लोक देवता वीर तेजाजी की थानकों पर मेले आयोजित किए जाते हैं। शहर के डोल मेला मैदान स्थित तेजाजी की थानक पर सुबह से ही पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो जाता है। यहां शाम तक पूजा अर्चना के लिए खासी भीड रहती है। शाम चार बजे बाद तेजाजी के झंडे के साथ अलगोजों के साथ भजनों की स्वरलहरियां बिखरेते दल शहर के प्रमुख मार्गो से होकर तेजाजी के थानक पर पहुंचते हैं। थानक के बाहर कई सपेरे अपनी पिटारियों में रखे सांपों को बाहर निकालकर बैठे नजर आते हैं। सुबह होने पर दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं यहां थानक पर तेजाजी के दर्शन कर नारियल, दूध आदि का प्रसाद चढाकर खुशहाली की कामना करते हैं। चूरमा, बाटी का भोग लगया जाता है।
  • सारथल (बारां) - सारथल सहित आस-पास गांवों में तेजा दशमी श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। वीर तेजाजी के थानक पर सुबह से श्रद्धालुओं द्वारा नारियल, लडडू बाटी,चूरमा का भोग लगाया जाता है। दिनभर श्रद्धालुओं की थानक पर पूजा अर्चना के लिए भीड लगी रहती। यहां सर्प दंश व जीव जन्तुओं के काटने से पीडित लोगों की डसी काटी जाती है।
  • बमोरीकलां (बारां) - यहां स्थित क्षार बाग में लोक देवता तेजाजी के थानक पर दो दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है।
  • पलायथा (बारां) - कस्बे सहित क्षेत्र में तेजा दशमी मनाई जाती है। तेजाजी की मंडलियों द्वारा तेजाजी के थानक पर विधिवत पूजा के बाद कस्बे में घूमकर तेजाजी गायन किया जाता है
  • अमलसरा - निकटवर्ती ग्राम अमलसरा स्थित तेजाजी के थानक पर एक दिवसीय मेला लगत है।
  • अन्ता - तेजादशमी के अवसर पर यहां श्रद्घालुओं में विशेष उत्साह रहत है। इस दौरान सीसवाली मार्ग पर बाबा खेमजी के तालाब की पाल पर तेजाजी स्थल पर मेला लगता है।
  • कोयला: मियाडा, तिसाया, कोटडी समेत आसपास के गांवों में लोक देवता तेजाजी महाराज की पूजा-अर्चना कर लड्डू-बाटी का भोग लगाया जाता है। कस्बे के तेजाजी महाराज के थानक पर सुबह से ही लोगों की आवाजाही रहती है। यहां एक दिवसीय मेला भी लगत है।
  • सीसवाली - कस्बे में तेजा दशमी पर्व पर प्रात: से ही तेजाजी थानक पर श्रद्धालुओं की भारी भीड रहती। तेजा दशमी पर्व पर तिसाया रोड पर स्थित मेला मैदान पर तेजाजी महाराज के स्थान पर प्रात: से ही श्रद्धालुओ द्वारा दूध चढाकर पूजा-अर्चना का कार्यक्रम शुरू कियाजाता है जो दिन भर चलता है।
  • हरनावदाशाहजी - तेजादशमी के पर्व पर कस्बे समेत समूचे क्षेत्र में परम्परागत रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग तेजाजी के थान पर पूजा अर्चना करते हैं। कस्बे में छीपाबडौद मार्ग स्थित तेजाजी चौक में पूरे दिन श्रृद्धालुओं का पूजा अर्चना करने एवं दर्शनो के लिए तांता लगा रहता है।
  • उमरिया - गांव में तेजादशमी के अवसर पर एक दिवसीय मेला लगता है।
  • बोहत - कस्बे सहित आसपास के गांवों में तेजा दशमी का पर्व धूमशाम से मनाया जाता है। घर-घर लड्डू-बाटी बनाकर तेजाजी महाराज को भोग लगाया जाता है। कस्बे के हिंगोनियां सडक मार्ग के निकट लोक आस्था का प्रतीक तेजाजी के थानक पर सुबह से ही दूध चढाने व नारियल फोडने वाले श्रद्धालुओं की भीड लगी रहती है। ग्राम पंचायत द्वारा तेजाजी के थानक पर पांच दिवसीय मेले का भी आयोजन रखा जाता है।
  • मांगरोल - कस्बे सहित ग्रामीण अंचल में तेजा दशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। कस्बे में नगर पालिका द्वारा सात दिवसीय मेले का आयोजन रखा जाता है।
  • जलोदा तेजाजी - मांगरोल के समीपवर्ती ग्राम जलोदा तेजाजी में तेजाजी के थानक पर दूध-प्रसाद चढाने वाले श्रद्धालुओं की भीड होती है। ग्राम पंचायत द्वारा तीन दिवसीय मेले का आयोजन रखा जाता है।

External links

Gallery

References

  1. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 201

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