Chyavanashrama
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Chyavanashrama (च्यवनाश्रम) is mentioned in Mahabharata as an ashrama of rishi Chyavana situated on river Narmada identified with present Bheraghat near Jabalpur in Madhya Pradesh.
Origin
Variants
- Chyavanashrama (च्यवनाश्रम) (AS, p.347)
History
च्यवनाश्रम
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...1. च्यवनाश्रम (AS, p.347) का उल्लेख महाभारत, वनपर्व 121-122 में हुआ है। इसमें वर्णित च्यवन ऋषि और सुकन्या की कथा में च्यवन के आश्रम की स्थिति नर्मदा नदी के तट पर बताई गई है। इसका उल्लेख वैदूर्यपर्वत (वन. 121, 19) के पश्चात् है। वैदूर्यपर्वत संभवत: नर्मदा नदी के तटवर्ती संगमरमर के पहाड़ों को कहा गया है, जिनके निकट वर्तमान भेड़ाघाट नामक स्थान है, जो जबलपुर, मध्य प्रदेश से 13 मील की दूरी पर है। जनश्रुति के अनुसार [p.348]: भेड़ाघाट में भृगु का स्थान था और यहाँ इनका मंदिर भी है। महाभारत के अनुसार च्यवन, भृगु के ही पुत्र थे- 'भृगोर्महर्षे: पुत्रोऽभूच्च्यवनो नाम भारत, समीपे सरसस्तस्य तपस्तेपे महाद्युति:।' महाभारत, वनपर्व, 121, 211. इस प्रकार महाभारत के इस प्रसंग में वर्णित च्यवन के आश्रम की भेड़ाघाट में स्थिति प्राय: निश्चित समझी जा सकती है। च्यवनाश्रम का उल्लेख महाभारत, वनपर्व (89, 12) में भी है- 'आश्रम: कक्षसेनस्य पुण्यस्तत्र युधिष्ठिर, च्यवनस्याश्रम श्चैव विख्यातस्तत्र पांडव।'
2. च्यवनाश्रम = देवकुंड (जिला गया, बिहार) (AS, p.441)
3. च्यवनाश्रम = चौसा (बिहार) (AS, p.347)
देवकुंड
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...1. देवकुंड (AS, p.441) = देवकुण्ड गया ज़िला, बिहार में पटना-गया रेल मार्ग पर जहानाबाद स्टेशन से 36 मील की दूरी पर है। इसे प्राचीन काल में 'च्यवनाश्रम' कहा जाता था। देवकुण्ड में च्यवन ऋषि का एक मंदिर भी है। स्थानीय जनश्रुति में राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या और च्यवन की मनोरंजक पौराणिक आख्यायिका इसी स्थान से संबंधित है। कहा जाता है कि देवकुण्ड सरोवर में स्नान करने के पश्चात् वृद्ध च्यवन ऋषि सुंदर युवक बन गये थे। महाभारत में |च्यवनाश्रम का उल्लेख नर्मदा नदी के तट पर बताया गया है।