Dhansia
Dhansiya (धाणसिया) is a village in Nohar tahsil of Hanumangarh district in Rajasthan. [1] It was capital of Sahu clan Jats and their ruler at the time of annexation by Rathores was Amara Sahu.[2]
Jat clans
इतिहास
धाणसिया (Dhansia) (Dhansiya) हनुमानगढ़ जिला, राजस्थान में एक एतिहासिक गाँव है. यह हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में है. इसकी जनसंख्या 5661 है, जिसमें से 1808 अनुसूचित जाति के लोग है. इसका पिन कोड है - 335523 यह सोहुआ जाटों की राजधानी था. यह जबरासर उप तहसील में है, जिसमें अन्य ऐतिहासिक गाँव है जबरासर, जोखासर एवं पाण्डूसर.
सहू पट्टी
चूरू जनपद के जाट इतिहास पर दौलतराम सारण डालमाण[4] ने अनुसन्धान किया है और लिखा है कि पाउलेट तथा अन्य लेखकों ने इस हाकडा नदी के बेल्ट में निम्नानुसार जाटों के जनपदीय शासन का उल्लेख किया है जो बीकानेर रियासत की स्थापना के समय था।
क्र.सं. | जनपद | क्षेत्रफल | राजधानी | मुखिया | प्रमुख ठिकाने |
---|---|---|---|---|---|
4. | सहू पट्टी | 84 गाँव | धाणसिया (नोहर) | अमरुजी सहू | धाणसिया, खुईया, रायपुरा |
धाणसिया के सोहुआ
धाणसिया चुरू से लगभग 45 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित था. इस पर सोहुआ जाटों का अधिकार था. दयालदास की ख्यात के अनुसार इनका 84 गाँवों पर अधिकार था और राठोडों के आगमन के समय इनका मुखिया अमरा सोहुआ था. कहा जाता है की पहले भाड़ंग पर सोहुआ जाटों का अधिकार था. किंवदन्ती है कि सोहुआ जाटों की एक लड़की सारणों को ब्याही थी. उसके पति के मरने के बाद वह अपने एकमात्र पुत्र को लेकर अपने पीहर भाडंग आ गयी और वहीं रहने लगी. भाड़ंग के सोहुआ जाट उस समय गढ़ चिनवा रहे थे लेकिन वह गढ़ चिनने में नहीं आ रहा था. तब किसी ने कहा कि नरबली दिए बिना गढ़ नहीं चिना जा सकता. [5] कोई तैयार नहीं होने पर विधवा लड़की के बेटे को गढ़ की नींव में चुन दिया. वह बेचारी रो पीटकर रह गयी. गढ़ तैयार हो गया, लेकिन माँ के मन में बेटे का दुःख बराबर बना रहा. एक दिन वह ढाब पर पानी भरने गयी तो वहां एक आदमी पानी पीने आया. लड़की के पूछने पर जब आगंतुक ने अपना परिचय एक सारण जाट के रूप में दिया तो उसका दुःख उबल पड़ा. उसने आगंतुक को धिक्कारते हुए कहा कि क्या सारण अभी जिंदा ही फिरते हैं ? आगंतुक के पूछने पर लड़की ने सारी घटना कह सुनाई. इस पर वह बीना पानी पिए ही वहां से चला गया. उसने जाकर तमाम सारणों को इकठ्ठा कर उक्त घटना सुनाई. तब सारणों ने इकठ्ठा होकर भाडंग पर चढाई की. बड़ी लड़ाई हुई और अंततः भाड़ंग पर सारणों का अधिकार हो गया. [6] इसके बाद सोहुआ जाट धाणसिया की तरफ़ चले गए और वहां अपना अलग राज्य स्थापित किया. उनके अधीन 84 गाँव थे. [7][8]
Notable persons
- Sh Chaudhary Roopa Ram Sohu - Engineer & Ex-Sarpanch of Dabda Gram Panchayat. They belong to Dhansiya's (Churu) Sahu family.
- Harish Chandra Sohu - S/O Chaudhary Roopa Ram Sohu is Geologist & posted in G.S.I. He is from Dabda village in Nagaur district.
External links
सन्दर्भ
- ↑ Dr. Jay Singh Sahu, Jat Samaj Agra, July 2015, p. 17
- ↑ Dr. Jay Singh Sahu, Jat Samaj Agra, July 2015, p. 17
- ↑ Dr. Jay Singh Sahu, Jat Samaj Agra, July 2015, p. 17
- ↑ 'धरती पुत्र : जाट बौधिक एवं प्रतिभा सम्मान समारोह, साहवा, स्मारिका दिनांक 30 दिसंबर 2012', पेज 8-10
- ↑ पंरेऊ, मारवाड़ का इतिहास, प्रथम खंड, पेज 92
- ↑ गोविन्द अग्रवाल, चुरू मंडल का शोधपूर्ण इतिहास, पेज 112-113
- ↑ दयालदास ख्यात, देशदर्पण, पेज 20
- ↑ Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 203
Back to Jat Villages/Jat Forts