Dhavalapala
Dhavalapala (660 AD) was Dhaulya clan ruler in the ancestry of Tejaji. Dholpur was founded by one of the ancestors of Tejaji named Dhawalpāl (धवलपाल) in about middle of 7th century.[1]
Variants of name
- Dhavala Pala (धवलपाल)
- Dhaval Pal
- Dhawalpāl
- Dhawala Pala
- Dhawalapala
- Dhavala Raja/Dhawala Raja (धवलराज)
- Dhavalaraja
- Dhawal Raj
- Dhawalrāj
Genealogy of Tejaji
Mansukh Ranwa[2] has provided the Genealogy of Dhaulya rulers. The primeval man of their ancestry was Mahābal, whose descendants and estimated periods calculated @ 30 years for each generation are as under:
- 1. Mahābal (महाबल) (480 AD)
- 2. Bhīmsen (भीमसेन) (510 AD)
- 3. Pīlapunjar (पीलपंजर) (540 AD)
- 4. Sārangdev (सारंगदेव) (570 AD)
- 5. Shaktipāl (शक्तिपाल) (600 AD)
- 6. Rāypāl (रायपाल) (630 AD)
- 7. Dhawalpāl (धवलपाल) (660 AD)
- 8. Nayanpāl (नयनपाल) (690 AD)
- 9. Gharṣanpāl (घर्षणपाल) (720 AD)
- 10. Takkapāl (तक्कपाल) (750 AD)
- 11. Mūlsen (मूलसेन) (780 AD)
- 12. Ratansen (रतनसेण ) (810 AD)
- 13. Śuṇḍal (सुण्डल) (840 AD)
- 14. Kuṇḍal (870 AD)
- 15. Pippal (पिप्पल) (900 AD)
- 16. Udayarāj (उदयराज) (930 AD) (Udayaraja Dhaulya defeated Kala Jats of Jayal and occupied Kharnal in 964 AD and made his capital)[3]
- 17. Narpāl (नरपाल) (960 AD)
- 18. Kāmrāj (कामराज) (990 AD)
- 19. Vohitrāj (वोहितराज) (1020 AD)
- 20. Thirarāj (थिरराज) (1050 AD) or Tahardev (ताहड़देव)
- 21. Tejpal (तेजपाल) (1074- 1103 AD)
Taharji had six sons namely - Tejaji from Ramkunwari; Raṇaji, Guṇaji, Maheshji, Nagji, and Rūpji from Rami Devi.
तेजाजी के पूर्वज
संत श्री कान्हाराम[4] ने लिखा है कि.... [पृष्ठ-62] : रामायण काल में तेजाजी के पूर्वज मध्यभारत के खिलचीपुर के क्षेत्र में रहते थे। कहते हैं कि जब राम वनवास पर थे तब लक्ष्मण ने तेजाजी के पूर्वजों के खेत से तिल खाये थे। बाद में राजनैतिक कारणों से तेजाजी के पूर्वज खिलचीपुर छोडकर पहले गोहद आए वहाँ से धौलपुर आए थे। तेजाजी के वंश में सातवीं पीढ़ी में तथा तेजाजी से पहले 15वीं पीढ़ी में धवल पाल हुये थे। उन्हीं के नाम पर धौलिया गोत्र चला। श्वेतनाग ही धोलानाग थे। धोलपुर में भाईयों की आपसी लड़ाई के कारण धोलपुर छोडकर नागाणा के जायल क्षेत्र में आ बसे।
[पृष्ठ-63]: तेजाजी के छठी पीढ़ी पहले के पूर्वज उदयराज का जायलों के साथ युद्ध हो गया, जिसमें उदयराज की जीत तथा जायलों की हार हुई। युद्ध से उपजे इस बैर के कारण जायल वाले आज भी तेजाजी के प्रति दुर्भावना रखते हैं। फिर वे जायल से जोधपुर-नागौर की सीमा स्थित धौली डेह (करणु के पास) में जाकर बस गए। धौलिया गोत्र के कारण उस डेह (पानी का आश्रय) का नाम धौली डेह पड़ा। यह घटना विक्रम संवत 1021 (964 ई.) के पहले की है। विक्रम संवत 1021 (964 ई.) में उदयराज ने खरनाल पर अधिकार कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाया। 24 गांवों के खरनाल गणराज्य का क्षेत्रफल काफी विस्तृत था। तब खरनाल का नाम करनाल था, जो उच्चारण भेद के कारण खरनाल हो गया। उपर्युक्त मध्य भारत खिलचीपुर, गोहाद, धौलपुर, नागाणा, जायल, धौली डेह, खरनाल आदि से संबन्धित सम्पूर्ण तथ्य प्राचीन इतिहास में विद्यमान होने के साथ ही डेगाना निवासी धौलिया गोत्र के बही-भाट श्री भैरूराम भाट की पौथी में भी लिखे हुये हैं।
External links
References
- ↑ Sant Kanha Ram: Shri Veer Tejaji Ka Itihas Evam Jiwan Charitra (Shodh Granth), Published by Veer Tejaji Shodh Sansthan Sursura, Ajmer, 2015. pp.62-63
- ↑ Mansukh Ranwa: Kshatriya Shiromani Veer Tejaji, 2001, p.13
- ↑ Sant Kanha Ram:Shri Veer Tejaji Ka Itihas Evam Jiwan Charitra (Shodh Granth), Published by Veer Tejaji Shodh Sansthan Sursura, Ajmer, 2015. pp.62-63
- ↑ Sant Kanha Ram: Shri Veer Tejaji Ka Itihas Evam Jiwan Charitra (Shodh Granth), Published by Veer Tejaji Shodh Sansthan Sursura, Ajmer, 2015. pp.62-63
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