Griddhraj Parvat

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(Redirected from Gridhachal)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Griddhraj Parvat (गृद्घराज पर्वत), which means the hill of vultures. This is a hill of religious, archaeological and ecological importance situated in Devrajnagar village of tehsil Ramnagar in Satna district of Madhya Pradesh, India.

Variants

Location

It is located at a distance of 8 km from Ramnagar town and 65 km from Satna in south direction. Its latitude and longitude are 24°18' North and 81°15' East. The altitude of the hill is 2354 feet. The hill is situated between Kaimur hills in the north and Maikal hills in the south.

In Hindu mythology

Griddhraj Parvat is of great religious importance in Hindu mythology. It has been mentioned in Skanda Purana as ‘Griddhanchal Parvat’ (page 208). It is believed to be the birthplace of ‘Sampati’, the brother of Griddhraj ‘Jatayu’ mentioned in Ramayana. The poet Kalidas mentions about this place as the most sacred in his book ‘Griddharaj Mahatmya’ (Narad Uvach) in Sanskrit language. He has written that a dip in the Mānasī Ganga River originating from Griddhraj Parvat, at an altitude of 2354 feet, is a saviour of all kinds of sins. Sons of Brahma and then goddess Parvati first saw this hill. It finds mention in Shiva Samhita (Chapter 19-Bhoogol varnan).

Description by Fa-hien

Chinese traveller Fa-hien had visited this place and has mentioned about Gridhra-kuta Hill in Chapter XXIX by James Legge as under: Chapter XXIX : GRIDHRA-KUTA HILL, AND LEGENDS. FA-HIEN PASSES A NIGHT ON IT. HIS REFLECTIONS.

“Entering the valley, and keeping along the mountains on the south-east, after ascending fifteen le, (the travellers) came to mount Gridhra-kuta.(1) Three le before you reach the top, there is a cavern in the rocks, facing the south, in which Buddha sat in meditation. Thirty paces to the north-west there is another, where Ananda was sitting in meditation, when the deva Mara Pisuna,(2) having assumed the form of a large vulture, took his place in front of the cavern, and frightened the disciple. Then Buddha, by his mysterious, supernatural power, made a cleft in the rock, introduced his hand, and stroked Ananda's shoulder, so that his fear immediately died. The footprints of the bird and the cleft for (Buddha's) hand are still there, and hence comes the name of "The Hill of the Vulture Cavern."

Habitat of vultures

Griddhraj Parvat is a unique habitat of vultures not only in India but the world also. Vultures in number of thousands can be seen in the crevices of the hill rocks. The vulture species seen here are long billed vulture (Gips indicus) and White backed vulture (Gips bengalensis). Apart from vultures it is also the habitat of number of wild animals.

The place is also of archaeological importance. There are four caves on the hill in which Rock painting and mural paintings are visible. An annual fair is organized every year in the month of Magha on the occasion of Vasant Panchami. Thousands of people come and take a dip in Mānasī Ganga River.

लेखक का प्रवास

राम को हम अगर इतिहास पुरुष मानें तो उनके जीवन में सबसे बड़ा योगदान मध्य प्रदेश के सतना जिले का है क्योंकि रामायण में वर्णित अनेक स्थान सतना जिले में स्थित हैं. आयुक्त बाणसागर रीवा पदस्थापना के दौरान लेखक (लक्षमण बुरड़क) का देवराज नगर गांव जाना हुआ जो रामनगर तहसील में स्थित था और बाणसागर रीवा के डूब में आ रहा था. उसके पास एक पहाड़ था जिसका नाम गिद्धराज पर्वत है. अक्टूबर 2006 में हम उस पहाड़ पर चढ़े. मेरे साथ श्रीमती गोमती बुरडक भी थी. साथ में बाणसागर रीवा के अधीक्षण यंत्री एस के पाठक, कार्यपालन यंत्री जे एस राजपूत और अन्य 10 कर्मचारी भी थे. अधीक्षण यंत्री एस के पाठक कुछ चढ़ाई चढने के बाद थक गए और रास्ते में ही 5 कर्मचारियों सहित रुक गए. पहाड़ की चढ़ाई बहुत कठिन और खड़ी थी. एक जगह कोई 20 फुट ऊँची लोहे की सीढ़ी भी थी जिसपर होकर ऊपर रास्ता था. कुछ घंटों में हम पहाड़ पर चढ़ने में सफल रहे. पहाड़ पर एक छोटा सा पक्का मंदिर बना है जिसमें लगातार पानी आता है. बताया गया कि यह पानी एक नदी का है जिसका नाम मानसी गंगा है. वहां मंदिर में एक बाबाजी रहते थे. ऊपर थोडा पठार है जिसपर कुछ खेती होती है और बाबाजी ने दूध के लिए गाय भी रखी हुई थी. बाबाजी ने श्रीमती गोमती बुरडक के लिए कहा कि आप दूसरी महिला हैं जो इस पहाड़ पर चढ़ी हैं और सीधा पैदल चढने वाली तो पहली महिला ही हैं. आपसे पहले आने वाली महिला उमा भारती थी जो उस समय मध्य प्रदेश की मुख्य-मंत्री थी और वह हेलिकोप्टर से पहाड़ पर उतरी थी. बाबाजी ने गाय के दूध की अच्छी चाय पिलाई और बताया कि इस पर्वत का बहुत धार्मिक महत्व है. रामायण काल में जटायु के भाई संपाती इस पहाड़ पर रहते थे. संपाती ने ही सीता के अपहरण की घटना को इस पर्वत के ऊपर से अपनी आंखों से देखा था और राम को घटना का विवरण बताया था. तभी राम को सीता का पता लगा कि उसको रावण ले गया है. पहाड़ से देखने पर नीचे दूर तक बहुत सुन्दर दृश्य दिखता है. सामने एक पहाड़ और दिखता है जिसमें काफी संख्या में गिद्ध निवास करते हैं, इस पर्वत पर हज़ारों गिद्ध पाये जाते हैं, जो इसकी चट्टानों में अपने बसेरे स्थापित करते हैं. यहाँ गिद्धों की दो जातियाँ - भारतीय गिद्ध और बंगाल का गिद्ध - पाई जाती हैं. इन गिद्धों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा योजना बनाई जा रही है. कुछ समय पहाड़ पर बाबाजी के साथ व्यतीत करने के पश्चात उनको धन्यवाद देकर हम रामनगर की तरफ से उतरने वाले रास्ते से नीचे उतरे. यह रास्ता अपेक्षाकृत आसान था. रामनगर में वन विभाग के विश्राम गृह में कुछ देर रुके और जनता की शिकायतें सुनी. रात को हम वापस रीवा आ गए. यह विश्राम गृह बाणसागर रीवा की सहायता से ही वन विभाग ने निर्माण कराया है.

यह स्थान पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ी में चार गुफाएँ हैं जिनमें शिला चित्रण (रॉक पेंटिंग) तथा मुराल पेंटिंग देखे जा सकते हैं। हर वर्ष माघ महीने की वसन्त पंचमी के दिन यहाँ मेला लगता है। हजारों लोग मेले में आते हैं और स्थानीय गंगा (मानसी गंगा नदी) में स्नान करते हैं।

References

  • Jitan Singh Diwan, Kothi State, 1907: Rewa Rajya Darpan
  • Kalidas : Griddharaj Mahatmya (Narad Uvach)
  • Shiva Samhita (Chapter 19-Bhoogol varnan)
  • JAMES LEGGE: A RECORD OF BUDDHISTIC KINGDOMS, Being an Account by the Chinese Monk Fa-Hien of his Travels in India and Ceylon (A.D. 399-414) in Search of the Buddhist Books of Discipline

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