Gujrugarh

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Gujrugarh (गूजडू गढ़) is a place of historical importance located in Patti Gujdu of Nainidanda region in Pauri Garhwal district, Uttarakhand.

Variants

Location

The whole complex of temple and historical caves is situated on a hilltop in Deeba range at an average altitude of 2400 metres (7880 ft). The co-ordinates are 29°46'52.77"N 79° 5'18.68"E.

History

The whole complex was a part of Gujrugarh (Gujru Fort), one of the 52 forts in the entire Garhwal region. The temple is centuries old dating back to the time of Garhwal kingdom and played an important role during Gorkha invasions. The caves are pre-historic and quite possibly were used as shelter by early humans. There are few man-made ditches visible on the way which were possibly used by warriors during Gorkha period. Several battles were fought in the region because of its strategic position and the presence and activity of different clans nearby.

गूजडू गढ़

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ... गूजडू गढ़ (AS, p.294) : गढ़वाल की एक प्राचीन गढ़ी जहाँ पुराने महलों के खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं.

गुजडू गढ़

उत्तराखण्ड में गढ़ों का आधिकारिक इतिहास उपलब्ध नहीं है. कत्युरी और पंवार वंश से पहले यहां ठकुरी राजाओं का बोल बाला था. यह गढ़ उनके ही इतिहास को दर्शाते हैं. गुजडू गढ़ जो गुजडू परगने मे था. यह सभी गढ़ों से अलग है इसके आस पास मनोहारी प्राकृतिक दृश्य बांज और पहाड़ी पेडों से घिरा जंगल एक और जहां दीबा डांडा का जंगल है वही दूसरी और जो दूर-दूर तक दूसरे क्षेत्र कुमाऊ और गढ़वाल को आप यहां से अच्छे से देख सकते है। इसके ठीक सामने सफेद हिमालय खडा निहारता नजर आता है. सबसे उपर गढ़ मे माँ भगवती का मंदिर है. कहा यह भी जाता है कि जब पांडवों को स्वर्ग जाना था तब नकुल इसी रास्ते आए थे और इस मंदिर का निर्माण किया था.

आज गुजडू गढ़ के निशान कम ही हैं पर सबसे बड़ी बात इसके इतिहास को जो जिंदा रखती है वह है गढ़ों के अंदर के रास्ते और कुए जो गुजडू गढ़ी मे नीचे की तरफ सेनिको के छिपने ,भागने या दुश्मन को चकमा देने के लिए बने हैं वह देखने लाईक हैं. सुंरग और कुए की कारीगरी देखकर लगता है यह किसी उस समय की यह सोच और कलाकारी किसी दिमाग से बनाई होगी। अब इनके से कुछ कुए को चुनाई से बंद कर दिया है ताकि कोई जा नही पाए या फस न जाए । ठकुरी राजाओ के आपसी लडाई के बाद यह गढ़ कुछ समय कत्युरी और रोहिलों के आधीन रहा. बाद में यह कुछ समय तक तीलु रौतेली का सीमांत गढ़ भी रहा जहां से वह अपने सीमा की चौकसी करती थी। बाद में यह गढ़ पवांर वश के आधीन रहा। गोरखणी राज 1803 से 1814 तक गौरखाओं ने इस गढ़ को तहस नहस कर यहां से काफी मात्रा मे लूटपाट की. उसके बाद संधि के तौर पर यह क्षेत्र बिट्रिश गढ़वाल के आधीन आने के बाद से आज तक अपने इतिहास को दबाए हुए है. दुसरी तरफ आसौ गाड़ से लेकर रसियामाहदेव तक उपजाऊ जमीन तब ठकुरी राजाओं या शासको का यही एक लगान के तौर पर अनाज अपने सैनिको और परिवार के लिए जुटाते थे. गुजडू गढ़ी अपने आप में अलग ही इतिहास रखता है. रामनगर से 55 किमी आते समय भौन देवी के दर्शन हो सकते है और फिर गुजडू गढ़ी का ऐतिहासिक गढ़ देखने के बाद दूसरे दिन दीबा देवी या दीबा गढ़ देखते हुए बुंगी मंदिर के दर्शन करके कोटद्वार होते हुए वापस जा सकते हैं.[2]

External links

References