Hardev Singh Bhukar
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Hardeo Singh Bhukar (born:1885 AD) was from village Gothra Bhukaran, Sikar, Rajasthan. He was Freedom fighter of Shekhawati farmers movement. [1]
जीवन परिचय
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी हरदेवसिंह - [पृ.321a]: भूकर का गोठड़ा में चौधरी रामबक्स जी के बाद एक दूसरा संपन्न घराना भी है उसके मुखिया चौधरी हरदेव सिंह जी हैं।
[p.322a]: आपके पिता का नाम चौधरी भैरोंसिंह जी भूकर था। आपका जन्म संवत 1942 में हुआ है। आप की भाईचारे में चौधरी रामबक्स जी से प्रतिस्पर्धा रहती थी किंतु कौम के काम में आप पृथ्वी सिंह, गंगा सिंह के बराबर मददगार रहे। आप सीकर वाटी जाट पंचायत के कई वर्ष तक खजांची रहे हैं। सीकर के जाट आंदोलन में आप फरार हो गए और गंगा सिंह जी के साथ बाहर रहे। आपको 101/- रुपये जुर्माने के अदा करने पड़े। आपके मकान को भी सीकर के उन्मत अधिकारियों ने घेरा दिलवाया था और लूट भी कराई। आप के पुत्र का नाम सूरत सिंह जी है।
पाशविकता की पराकाष्ठा
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है .... कुदन के पश्चात गोठड़ा में: पुलिस और कप्तान वेब गोठड़ा गांव में भी पहुंचे। वहां पर गांव के प्रमुख चौधरी राम बक्स से मनचाहा लगान वसूल करना चाहा। वेब साहब पुलिस को लेकर मकान में घुस गए और उसके घर का समान अनाज कपड़े रुपया पैसा निकाल लिया। खेती करने के औजार, रोटी बनाने के बर्तन तक नहीं छोड़े। घर को नष्ट भृष्ट कर गाव के दूसरे चौधरी हरदेव सिंह से ₹600 उनके सब पड़ोसी किसानों के लगान भी वसूल किए। चौधरी राम बक्स और कुछ स्त्रियों को धूप में बिठाकर तंग किया।
जाट मास्टर की दुर्दशा: इस गांव से चलकर पलथाना गांव में दो जाटों से तमाम गांव का रुपया वसूल किया और जुर्माना लिया। गांव
[पृ.282]: के जाट मास्टर को गिरफ्तार कर लिया। पीछे इस मास्टर को फतेहपुर और लक्ष्मणगढ़ के कस्बों में घुमा कर जूते लगाए गए। इसके साथ एक मोटाराम जाट का भी यही हाल किया गया।
शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह
शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह[4] लिखते हैं .... कूदन के बाद जाट एजीटेशन के पंचों – चौधरी हरीसिंह बुरड़क, पलथना, चौधरी ईश्वरसिंह भामु, भैरूंपुरा; पृथ्वी सिंह भूकर, गोठड़ा भूकरान; चौधरी पन्ने सिंह बाटड़, बाटड़ानाऊ; एवं चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल (मंत्री) कटराथल – को गिरफ्तार करके देवगढ़ किले मैं कैद कर दिया। इस कांड के बाद कई गांवों के चुनिन्दा लोगों को देश निकाला (ठिकाना बदर) कर दिया। मेरे पिताजी चौधरी गनपत सिंह को ठिकाना बदर कर दिया गया। वे हटूँड़ी (अजमेर) में हरिभाऊ उपाध्याय के निवास पर रहे। मई 1935 में उन्हें ठिकाने से निकाला गया और 29 फरवरी, 1936 को रिहा किया गया।
जब सभी पाँच पंचों को नजरबंद कर दिया गया तो पाँच नए पंच और चुने गए – चौधरी गणेशराम महरिया, कूदन; चौधरी धन्नाराम बुरड़क, पलथाना; चौधरी जवाहर सिंह मावलिया, चन्दपुरा; चौधरी पन्नेसिंह जाखड़; कोलिडा तथा चौधरी लेखराम डोटासरा, कसवाली। खजांची चौधरी हरदेवसिंह भूकर, गोठड़ा भूकरान; थे एवं कार्यकारी मंत्री चौधरी देवीसिंह बोचलिया, कंवरपुरा (फुलेरा तहसील) थे। उक्त पांचों को भी पकड़कर देवगढ़ किले में ही नजरबंद कर दिया गया। इसके बाद पाँच पंच फिर चुने गए – चौधरी कालु राम सुंडा, कूदन; चौधरी मनसा राम थालोड़, नारसरा; चौधरी हरजीराम गढ़वाल, माधोपुरा (लक्ष्मणगढ़); मास्टर कन्हैयालाल महला, स्वरुपसर एवं चौधरी चूनाराम ढाका , फतेहपुरा।
External links
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.321a-322a
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.321a-322a
- ↑ Thakur Deshraj: Jat Jan Sewak, 1949, p.281-82
- ↑ रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ.114
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