Hukma Ram Jat

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Hukma Ram Jat (Jitarwal) (01.01.1949 - 09.12.1971) became martyr on 09.12.1971 during Indo-Pak war-1971 in operation Trident, an operation of the Indian Navy that attacked Karachi, Pakistan. He was from Doongri village in Phulera tahsil of Jaipur district in Rajasthan.

हुक्मा राम जाट का परिचय

ME -1 हुक्मा राम जाट

01-01-1949 - 09-12-1971

वीरांगना - स्व. श्रीमती भगवती देवी

यूनिट - युद्धपोत INS खुखरी

ऑपरेशन - ट्राइडेंट

भारत-पाक युद्ध 1971

ME -1 हुक्मा राम का जन्म 1 जनवरी 1949 को राजस्थान के जयपुर जिले की सांभर तहसील की जोरपुरा सुंदरियावास ग्राम पंचायत के डूंगरी गांव में स्व. चौधरी श्री मांगू राम जीतरवाल एवं स्व. श्रीमती कानी देवी के परिवार में हुआ था। अपनी विद्यालयी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात 18 अक्टूबर 1968 को वह भारतीय नौ सेना में Seaman - 2 (नाविक) के पद पर भर्ती हुए थे। प्रारंभिक प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें भारतीय नौसेना के युद्धपोत INS खुखरी पर ME-2 (मिलीट्री इंजिनियर) के पद पर नियुक्त किया गया था। लगभग दो वर्षों तक सेवा करने के पश्चात, 28 दिसंबर 1970 को उन्हें ME-1 रैंक पर पदोन्नत किया गया था।

वर्ष 1971 में जब भारत-पाक युद्ध के बादल मंडराने लगे तो भारतीय नौसेना को आशंका थी कि पाकिस्तानी पनडुब्बियां मुंबई बंदरगाह को अपना निशाना बनाएंगी। इसलिए नौसेना ने निर्णय लिया कि युद्ध आरंभ होने से पहले सारे नौसेना FLEET को मुंबई से बाहर ले जाया जाए।

2/3 दिसंबर 1971 की रात जब भारतीय नौसेना के पोत मुंबई छोड़ रहे थे तो उन्हें यह भान ही नहीं था कि उनके नीचे एक फ्रांस निर्मित तकनीकी रूप से उन्नत पाकिस्तानी पनडुब्बी PNS हंगोर हमला करने के लिए उसी क्षेत्र में घूम रही थी।

इस बीच, उस पाकिस्तानी पनडुब्बी में कुछ यांत्रिक समस्या आ गई और उसे ठीक करने के लिए उसे समुद्र की सतह पर आना पड़ा परंतु उसकी ओर से भेजे गए संदेश INTERCEPT होने से भारतीय नौसेना को यह आभास हो गया कि एक पाकिस्तानी पनडुब्बी दीव के तट के निकट घूम रही है।

भारतीय नौसेना मुख्यालय ने आदेश दिया कि भारतीय जल सीमा में घूम रही इस पाकिस्तानी पनडुब्बी को त्वरित हमला कर नष्ट किया जाए और इसके लिए Anti Submarine Frigate INS खुखरी, INS कुठार और INS कृपाण को नियुक्त किया गया।

यह तीनों पोत 8 दिसंबर को, अपने मिशन पर मुंबई से चले और 9 दिसंबर को दीव के उस क्षेत्र में पहुंच गए, जहां पाकिस्तानी पनडुब्बी के होने का संदेह था। अपनी लंबी दूरी की टोह लेने की यांत्रिक क्षमता के कारण PNS हंगोर को पहले से ही INS खुखरी और INS कृपाण के आने के संकेत मिल गए।

यह भारतीय युद्धपोत टेढ़ेमेढ़े (Zigzag) चलते हुए पाकिस्तानी पनडुब्बी की खोज कर रहे थे। PNS हंगोर ने भारतीय युद्धपोतों के निकट आने की प्रतीक्षा की और जैसे ही ये युद्धपोत निकट आए। उसने पहला टॉरपीडो INS कृपाण पर चलाया। परंतु टॉरपीडो उसके नीचे से निकल गया और फटा ही नहीं। इस टॉरपीडो को 3000 मीटर की दूरी से फायर किया गया था।

अब, भारतीय युद्धपोतों को हंगोर की सही स्थिति का अनुमान हो गया था। ऐसे में, PNS हंगोर के लिए दो ही विकल्प बचे थे कि या तो वह वहां से भाग जाए या दूसरा टॉरपीडो फायर करे। रात के 8:45 बजे उसने दूसरा टॉरपीडो फायर किया, जो सीधा INS खुखरी के ऑयल टैंक में लगा, जिससे INS खुखरी में तेजी से पानी भरने लगा, अंधेरा हो गया और वह डूबने लगा। पोत के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन महेन्द्र नाथ मुल्ला ने इस विकट परिस्थिति में अपने अधिक से अधिक अधिकारियों और नाविकों को युद्धपोत से निकालने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी लाइफ जैकेट भी बचने के लिए किसी नौसैनिक को दे दी थी।

अंतत: इस युद्धपोत को बचाया नहीं जा सका और मात्र डेढ़ मिनट में ही, दीव के समुद्र तट से 40 नॉटिकल मील दूर 18 अधिकारियों और 176 नौसैनिकों के साथ INS खुखरी युद्धपोत समुद्र में डूब गया था। ME -1 हुक्मा राम जाट भी अन्य नौसैनिकों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए।

यहां यह बात भी जानने योग्य है कि इस हमले के 48 घंटों के भीतर ही भारतीय नौ सेना के मिसाइल बोट विनाश ने त्रिशूल और तलवार फ्रिगेट के साथ 6 स्टिक्स मिसाइलें दाग कर पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के तेल भंडार को जला दिया और वहां कब्जा कर लिया था। वहां पाकिस्तान का इतना विशाल तेल भंडार था कि अगले 7 दिन तक कराची बंदरगाह जलता रहा था।

INS खुखरी के बलिदानियों की स्मृति में 28 वर्ष पश्चात दीव में एक स्मारक बनाया गया। इस स्मारक में कांच में INS खुखरी के छोटे से प्रतिरूप को रखा गया। यह स्मारक समुद्र के सम्मुख एक पहाड़ी की चोटी पर है। 15 दिसम्बर 1999 वाइस एडमिरल माधवेन्द्र सिंह ने इस स्मारक का उद्घाटन किया था।

ME -1 हुक्मा राम जाट के बलिदान को भारत में युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।

शहीद को सम्मान

चित्र गैलरी

स्रोत

संदर्भ


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