Jag Ram Behra

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Jag Ram Behra

Jag Ram Behra (8.7.1924-26.11.1968) was a teacher, freedom fighter and Social worker from Surpura Khurd village in Bhopalgarh tahsil of Jodhpur district in Rajasthan.


जीवन परिचय

जगराम बेहरा का जन्म सुरपुरा खुर्द गाँव, तहसील भोपालगढ़, जिला जोधपुर में 8.7.1924 को साधारण किसान पन्नालाल बेहरा के घर में हुआ। इनके पिताजी पढे-लिखे नहीं थे। उन्होने जगराम को किसान छात्रावास जोधपुर में पढ़ने के लिए भेज दिया। बलदेव राम मिर्धा खुद इस छात्रावास को देखते थे और उन्होने मास्टर रघुवीर सिंह को इसका प्रोक्टर नियुक्त कर दिया था। मास्टर रघुवीर सिंह उत्तर प्रदेश से थे और वे एक अधिकारी की नौकरी छोड़कर समाज सेवा में लगे थे। जगराम बलदेव राम मिर्धा और मास्टर रघुवीर सिंह के चहेते छत्रों में से थे।

जगराम अत्यंत कुशाग्र बुद्धि थे। उन्होने अल्प समय में ही स्कूल में छात्रों के बीच जगह बना ली थी। उस समय बिजली नहीं थी सो वे सड़क के किनारे खंभों के प्रकाश में रात में पढ़ते और दिन में छात्रावास के कनिष्ठ छत्रों को पढ़ाते थे। उन्होने 7 वीं में ही अङ्ग्रेज़ी शब्द कोश कंठस्थ याद कर लिया था।

8 वीं में जगराम के दादा जी का निधन हो गया। परंपरानुसार इनके पिताजी ने मृत्युभोज पर बहुत अधिक खर्च कर दिया और वैराग्य होने से साधू बन गए। गाँव के पहाड़ी पर कुटिया बनाकर रहने लगे और वहीं जीवित समाधि ले ली ।

अध्यापक की नौकरी

जगराम को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अध्यापक की नौकरी करनी पड़ी जिसमें उन्हें मासिक 18 रुपये मिलते थे। उन्होने समाज सेवा के साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और शीघ्र ही वे टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल विद्याशाला के हेडमास्टर बन गए।

उसी समय अक्तूबर 1954 के ठाकुर देशराज द्वारा प्रकाशित जाट इतिहास में इनका फोटो छपा और विवरण भी। मास्टर साहब का शरीर सुडौल, लंबा-चौड़ा ललाट व सुगठित शरीर था। वे फूटबाल, हाकी, अथलेटिक्स के अछे खिलाड़ी थे और अनेक पदक जीते थे। वे स्वयं एक अच्छे लेखक व कवि थे।

उससमय की तात्कालिक समस्याओं पर मारवाड़ में एक छोटा अखबार शुरू किया, जिसमें वे संपादक थे। किसान छात्रों को उत्साहित कर उसमें लेख लिखवाते थे। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने से यह अखबार बंद हो गया। उनके लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते थे। मारोठ स्कूल की प्रथम स्मारिका उनके प्रयास से ही प्रकाशित हुई थी।

मास्टर साहब ने फलौदी, बाड़मेर, लाडनूं, जमा रामगढ़, कुचेरा, मारोठ स्कूलों में अध्यापन किया। अध्यापन के साथ-साथ उन्होने एम. ए. , बी. एड., बी. डी. (Bachelor of Drawing), पटना बिहार से की।

बेहरा साहब की बहुमुखी प्रतिभा के कारण 1957-58 में वे सीधे राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त हुये।

उन्होने स्वयं के प्रयासों से मारोठ के मूल निवासी सेठ फूल चंद, सुगण चंद गोधा से आर्थिक सहयोग प्राप्त कर पहाड़ी पर स्थित स्कूल भवन का निर्माण कराया। इस स्कूल भवन का उदघाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया से करवाया। इस समारोह में विशेष अतिथी के रूप में नाथूराम मिर्धा और रामनिवास मिर्धा थे। सुखाड़िया ने उस समय बेहरा साहब की तारीफ इन शब्दों में की थी कि - मुझे बेहरा साहब जैसे अध्यापक पूरे राजस्थान में मिलें तो शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान जल्दी ही अग्रिम पंक्ति में होगा।

जगराम मास्टर जी का योगदान आज भी स्कूल के प्रवेश द्वार पर स्थित संगमरमर के शिलालेख पर स्व. गोधा सेठों ने अंकित करवाया कि श्री जगराम जी बेहरा प्रधानाध्यापक जी की प्रेरणा से यह भवन बनाना संभव हुआ।

आजादी आंदोलन

शिक्षा जगत की अनुकरणीय सेवा के साथ-साथ 1942 के भारत के आजादी आंदोलन के वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होने उस वर्ष के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में जोधपुर के युवकों का नेतृत्व किया था। आजादी पूर्व जगराम जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लिया। उनकी नेतृत्व क्षमताओं और सक्रिय सहयोग को देखते हुये उन्हे 1948 में जोधपुर के 'कांग्रेस सेवा दल' का प्रभारी बनाया था जो बखूबी निभाया। इस सम्मेलन में महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसे महान नेताओं के सानिध्य का जयपुर में सौभाग्य मिला। वह स्थान जहां यह सम्मेलन हुआ था उसे गांधीनगर कहते हैं।

जगराम मास्टर जी एक अच्छे लेखक, खिलाड़ी, वक्ता, अध्यापक, चित्रकार, मंच संचालक के साथ-साथ बहुत अच्छे इंसान थे। उनके घर से कोई व्यक्ति कभी भी भूखा नहीं गया। उन्हें मेहमान नवाजी का शौक था।

स्वर्गवास

आपका 26.11.1968 को 44 वर्ष की अल्प-आयु में स्वर्गवास हो गया। आपके देहांत के समय 3 पुत्र और 2 पुत्रियाँ अबोध बच्चे थे। उनकी धर्म पत्नी केसर देवी ने पति की भावनाओं से प्रेरित होकर बच्चों की अच्छी परवरिश की और शिक्षा दिलाई।

संदर्भ

ओंकार सिंह चाहर: 5 भगत की कोठी विस्तार योजना, पाली रोड, जोधपुर, मोबा- 9001064615 के जाट समाज आगरा, जुलाई 2016 पृ. 21-22 पर प्रकाशित लेख पर आधारित


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