Jayant Chaudhary

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Jayant Chaudhary

Jayant Chaudhary (जयंत चौधरी) (Tewatia) (born 27 December, 1978) is an Indian politician. He is a "Rashtriya Lok Dal" leader and was a member of "15th Lok Sabha" represented Mathura (Lok Sabha constituency) in Uttar Pradesh state.

Jayant Chaudhary is grandson of former Prime Minister Chaudhary Charan Singh and son of RLD chief Chaudhary Ajit Singh and his wife Radhika Bishnoi, daughter of Kunwar Sukhbir Singh Bishnoi of Jagir Kanth of Moradabad.

Education

Jayant chaudhary is a graduate from "London School of Economics". He is helping his father in party affairs and wished to bring more youngsters into the RLD fold to strengthen its base.

Political career

In May 2014, he could not win the Lok Sabha election from Mathura constituency, when he was defeated by BJP candidate, Hema Malini. Also, in Lok Sabha elections held in May 2019, he had to face defeat in Bagpat constituency, when the BJP candidate won the seat.

Jayant is affectionately called as "Chhote Chaudhary" in Western Uttar Pradesh. He is a great politician and real leader of modern politics.  He may be called future leader of JAT community in India. He has strong hold in Western Uttar Pradesh and believes in clear and clean politics. Great Person.........

चौ० चरणसिंह और गायत्री देवी का परिवार

श्रीमती गायत्री देवी ने अपनी कोख से चौ० चरणसिंह के घर पांच पुत्रियों और एक पुत्र को जन्म दिया जो सभी शादीशुदा हैं। चौ० चरणसिंह ने अपने आर्यसमाजी सिद्धान्तों के अनुसार अपनी दो पुत्रियों की अन्तर्जातीय शादी कराकर आर्यसमाजी कट्टरपन का परिचय दिया है। स्वयं को कभी जातिवाद के घेरे में कैद नहीं किया और अपनी ईमानदारी और नेकनीयती के समक्ष जाति या धर्म को आड़े नहीं आने दिया। यद्यपि देश के कुछ कुत्सित मनोवृत्ति के लोग और निकृष्ट प्रकार के राजनीतिज्ञ उनके ऊपर जातिवाद का आरोप थोपने का पूर्णतया निष्फल प्रयास करते रहे हैं। चौधरी साहब जब गाजियाबाद में वकालत कर रहे तो उनके घर का रसोइया एक सामान्य हरिजन था। वे कहा करते थे कि मुझे जाट जाति में जन्म लेने का गौरव है लेकिन यह मेरी इच्छा से नहीं हुआ। बल्कि ईश्वर की कृपा से हुआ है। मेरे लिए भारतवर्ष में निवास करने वाले सभी जातियों के मनुष्य एक समान हैं। चौधरी साहब को जाट परिवारों से कहीं अधिक यादव, राजपूत, लोधे, कुर्मी, गुर्जर, मुसलमान और पिछड़े वर्ग में अधिक सम्मान प्राप्त था। माताजी गायत्री देवी को सन् 1978 में यादव महासभा के अखिल भारतीय सम्मेलन बम्बई में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। यही नहीं, अनेक ब्राह्मण एवं वैश्य परिवारों में जहां जातीय कट्टरपन नहीं है, चरणसिंह जी की एक आदर्शवादी सिद्धान्तनिष्ठ नेता और विचारशील तथा संघर्षशील, राजनैतिक व्यक्ति के रूप में मानो पूजा होती थी।

चौ० चरणसिंह की सबसे बड़ी पुत्री सत्या का विवाह एक विद्वान् प्रो० गुरुदत्तसिंह सोलंकी के साथ हुआ। वह आगरा के पास कस्बा कागारौल के मूल निवासी थे। वह खेरागढ विधान सभा क्षेत्र (जिला आगरा) से उत्तर प्रदेश विधानसभा के एम० एल० ए० चुने गये और इसी सदस्य के रूप में ही उनका मार्च 1984 ई० में निधन हो गया।

डॉ जयपाल सिंह और पत्नी वेदवती, पुत्री चौधरी चरणसिंह, 1959

दूसरी पुत्री वेदवती का विवाह, राम मनोहर लोहिया हस्पताल के एक योग्य डाक्टर जे० पी० सिंह के साथ हुआ।

तीसरी पुत्री ज्ञानवती, जो मेडिकल ग्रेजुएट है, सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर जेनोआ में अपने पति के पास चली गई। वह आई० पी० एस० अफसर है।

चौथी पुत्री सरोज का विवाह श्री एस० पी० वर्मा के साथ हुआ है जो कि उत्तरप्रदेश में गन्ना विभाग में अफसर है। इनका यह अन्तर्जातीय विवाह है।

पांचवीं बेटी का विवाह वासुदेव सिंह से हुआ ।

चौ० चरणसिंह का एक ही पुत्र अजीतसिंह है जिसने यन्त्रशास्त्र विश्वविद्यालय की उपाधि धारण की है। वह अमेरिका में नौकरी करते थे। वहां से त्यागपत्र देकर भारत आ गये और लोकदल के प्रमुख मन्त्री (General Secretary) चुने गये। आप लोकसभा के सदस्य भी हैं।

चौ. अजीतसिंह (12.02.1939 - 06.05.2021) का विवाह राधिका सिंह से 15 जून सन 1967 में हुआ जिनसे एक पुत्र जयंत चौधरी (जन्म 27 दिसम्बर 1978) और दो पुत्रियां (निधी, दीप्ति) हुईं। श्रीमती राधिका सिंह (1947-2014) पुत्री कुंवर सुखवीर सिंह विशनोई निवासी फतेहपुर विशनोई (244504) जिला मुरादाबाद उ प्र से थी । जयंत चौधरी की शादी चारु सिंह से 2003 में हुई जिनसे दो पुत्रियां (साहिरा, इलेशा) हुईं।

संदर्भ: जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, pp. 942-943

"हाल-ए-विपक्ष 2024: जयंत को अपने दादा चौ. चरण सिंह से सीखनी चाहिए राजनीति"

"हाल-ए-विपक्ष 2024: जयंत को अपने दादा चौ. चरण सिंह से सीखनी चाहिए राजनीति"

लेखक - के.पी. मलिक, दैनिक भास्कर

राजनीति का अर्थ है सत्ता प्राप्त कर अपने वर्ग के हित में काम करना। लोकदल किसानों की पार्टी है, परंतु केंद्र में 10 सालों से सत्ता से दूर है और यूपी में भी लगभग 20 सालों से सत्ता से दूर है। ऐसे में ना तो किसानों के हक में कोई नीति बना सकी, ना अपने कार्यकर्ताओं के काम हो रहे, ना ही पार्टी के नेताओं को किसी सदन में पहुंचने का बहुत विश्वास है। ऐसी स्थिति में कोई भी पार्टी लंबे समय तक जिंदा नहीं रह सकती।

जयंत को अपने दादा चौधरी चरण सिंह से सीखना चाहिए कैसे राजनीति होती है। चौधरी साहब लगभग सारा राजनीतिक जीवन सत्ता में रहे, और अपने किसान मजदूर वर्गों के हित में नीतियां बनाई। चौधरी साहब ने इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनीति की और इंदिरा गांधी के समर्थन से ही प्रधानमंत्री बने। दिल पर हाथ रखकर बताओ यदि वे प्रधानमंत्री नहीं बनते तो कौन उन्हें किसानों का सबसे बड़ा नेता मानता।

जयंत ने सारा जीवन विपक्ष में बिताया और कुछ हासिल नहीं किया, ना अपने लिए, ना अपने कार्यकर्ताओं के लिए और न ही अपने वोटर किसान वर्ग के लिए, दो दो बार दोनों बापू बेटा चुनाव हारे। तो ऐसे में ज्यादा दिनों तक वोटर, कार्यकर्ता और नेता उनका साथ नहीं देंगे। लोकदल ने सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के गठबंधन में ही जीतीं। खुद जयंत 2009 के बाद लोकसभा का मुंह नहीं देख पाए। यदि अपने अंदर शक्ति ना हो तो सत्ता के जहाज में बैठना चाहिए। जिससे अपने वर्गों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के काम हो सकें, वरना राजनीति करने का कोई अर्थ नहीं है। रालोद नेताओं और कार्यकर्ताओं के भी यही विचार हैं। दिमाग से राजनीति करो दिमाग से।

"रालोद और पश्चिम यूपी को साधने के लिए भाजपा की बड़ी योजना"

RLD Aur Pashchim UP Ko Sadhane Ki Badi Yojna.jpg

लेखक - के.पी. मलिक, दैनिक भास्कर

नई दिल्ली। अक्षर कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है और उसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश का विशेष योगदान रहता है। सब जानते हैं कि पश्चिम यूपी में जाटों के बिना राजनीति संभव नहीं है। पिछले दस सालों में भाजपा ने महसूस किया है कि यूपी के जाट पूरी तरह से उसके साथ नहीं आ रहे हैं। अभी लगभग आधे जाट रालोद तो आधे भाजपा के साथ हैं। अब सारे जाटों को अपने साथ जोड़ने और सपा व इंडिया गठबंधन का माकूल इलाज करने के लिया भाजपा ने एक बड़ा प्लान तैयार किया है।

दरअसल सबसे पहले तो जयंत चौधरी की पार्टी को इंडिया गठबंधन से अपनी ओर करने के लिए जयंत को भाजपा ने एनडीए में शामिल होने का ऑफर दिया है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक तमाम बातचीत हो चुकी है। रालोद को चार लोकसभा की सीटें, अगली केंद्र सरकार बनने पर जयंत को मंत्री पद, साथ ही यूपी में एक मंत्री पद का ऑफर देने की बात सामने आई है। इसके साथ ही संभावना है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न तथा जाटों को केंद्र में आरक्षण देने की पुरानी लंबित मांग को भी माना जा सकता है।

ज्ञात हो कि जयंत की अखिलेश से इस बात को लेकर नाराजगी है कि अखिलेश ने रालोद को दी सात सीटों में तीन पर सपा और सातवीं सेट फतेहपुर सीकरी पर कांग्रेस प्रत्याशी को देने की शर्त रखी दी। इससे रालोद कार्यकर्ताओं पदाधिकारी और शुभचिंतकों में भारी रोष व्याप्त है साथ ही जयंत भी नाराज हैं। साल 2022 के यूपी चुनाव में भी अखिलेश ने जयंत को तीन दर्जन सीटें देकर रालोद के टिकट पर एक दर्जन सपा के प्रत्याशी लड़ाने के लिए मजबूर किया था। इसमें जाटों को अखिलेश की कुटिलता नज़र आती है और उनको चौधरी अजित सिंह और मुलायम सिंह यादव के आपसी टकराव की पुरानी बातें और घाव फिर ताजा होते दिखे। जाट ये भी नहीं भूले हैं कि जाट आरक्षण का सबसे ज्यादा विरोध यादव परिवार ने ही किया था। इस कारण 2022 में जाट गठबंधन के बावजूद सपा को वोट देने की जगह बहुत बड़ी संख्या में भाजपा की तरफ चले गए थे। गौरतलब है कि रालोद ने सबसे ज्यादा लोकसभा सीट 2009 में भाजपा गठबंधन में ही जीती थीं। उसके बाद तो पिता पुत्र दोनों बार हार गए थे। जयंत जानते हैं कि अभी भी भाजपा के साथ मिलकर लड़ने से सभी सीटों पर जीत पक्की है।

बहरहाल यूपी में सपा ही अब मुख्य विपक्षी दल बचा है। अब भाजपा सपा का भी स्थाई इलाज करना चाहती है। इसके लिए जयंत को समझाया गया है कि कालांतर में उत्तर प्रदेश का बंटवारा तो होना ही है। अतः चौधरी अजित सिंह के हरित प्रदेश के सपने को भी भाजपा ही पूरा कर सकती है। इसमें जयंत को भविष्य में हरित प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की भी संभावना दिखाई गई है। ज़ाहिर है सपा हरित प्रदेश की भी विरोधी रही है और यदि यूपी का बंटवारा हुआ तो इसके बाद सपा का वजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो समाप्त ही हो जायेगा। जनता में भी हरित प्रदेश का पूरा समर्थन है।

राजनीति संभावनाओं का खेल है। मोदी असंभव और चौकाने वाले बड़े फैसले लेने में सक्षम हैं। अगले कुछ माह में बड़े-बड़े खेल होने तय हैं। जो आज यहां है, कल दूसरे पाले में चला जाए तो कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

जयंत को मिल रही है तारीख पे तारीख

लेखक - के.पी. मलिक, दैनिक भास्कर जयंत चौधरी की लाख कोशिशों के बावजूद मोदी या अमित शाह से मुलाकात नहीं हो पा रही है। यूपी राज्यसभा चुनाव में अपने 9 विधायकों की वोट भाजपा के प्रत्याशी को दिलवाने के बाद उन्होंने पहली परीक्षा तो पास कर ली। उन्हें आशा थी कि अब उन्हें प्रधानमंत्री समय देंगे परंतु उनके सामने एक नई शर्त रख दी गई है। अब सुनने में आ रहा है कि उन्हें अगले महीने दूसरी परीक्षा में भी 9 विधायकों के वोट भाजपा को दिलवाने होंगे। इसके बाद ही मोदी से मुलाकात और गठबंधन की औपचारिक घोषणा संभव होगी।

दरअसल उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। 4 मार्च को अधिसूचना जारी होगी और 11 मार्च को नामांकन का अंतिम दिन होगा। नामांकन पत्रों की जांच 12 मार्च को होगी, और नाम वापसी 14 मार्च तक हो सकेगी। यदि 13 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं तो चुनाव 21 मार्च को होगा। अतः माना जा रहा है कि जयंत की फाइल फिर 21 मार्च तक भी लटक सकती है।

इधर चर्चा यह भी है कि राज्यसभा चुनाव में रालोद के विधायकों द्वारा भाजपा उम्मीदवार को वोट देने से पश्चिम यूपी के जाटों में बहुत बेचैनी है क्योंकि जाटों ने इनको भाजपा के खिलाफ वोट देकर जिताया था। जाट और मुस्लिम अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और अब उन्होंने खुलकर जयंत के एनडीए में जाने के निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया है।

सूत्र बताते हैं कि इस सारी स्थिति और जाटों के रुख पर भाजपा पैनी नजर बनाए हुए है। राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव में भी रालोद विधायकों के वोट लेने के बाद यदि भाजपा को लगा कि जयंत लोकसभा चुनाव में बहुत लाभकारी नहीं हैं और ना ही अकेले लड़कर कुछ बिगाड़ पाएंगे तो जयंत को भाजपा, रालोद के विलय का प्रस्ताव भी दे सकती है। नहीं माना तो टाटा बाय बाय हो जायेगी और जयंत अकेले चुनाव लड़ने को मजबूर होंगे। मुसलमान तो भाग ही गया है, जाट वोट के छिटकने और राजनीतिक विश्वसनीयता खोने के बाद एक सीट पर भी जमानत बचा पाना संभव नहीं होगा। आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले ना सारी पावे। यह कहावत जयंत चौधरी पर सच होती लग रही है।

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