Kekay
Kekay (केकय) [1]is a gotra of Jats.[2]
Origin
Gets this name from Kekaya vansha. [3]
History
Ram Sarup Joon[4] writes that ....There is a story in Karna Parva/Mahabharata Book VIII Chapter 23 of the Mahabharata that when Dron Acharya was killed in action, Karna was appointed Commander in Chief of Kaurava Army. He chose Raja Shalya of Sialkot as his charioteer. He was a Madrak Jat and a brother of Madri, mother of the Pandavas. When they were driving to the battle field Karan said, “0, Shalya, there is none equal to me in archery in the Pandava army. They will flee before my arrows”. Shalya was frank and said “No, my people don’t acknowledge your prowess with the bow and arrow as being superior to that of Arjuna.” Karan felt offended and remarked caustically’ “0 Shalya, what do you Jartikas living in the land of five rivers, know about archery and bravery. All your people, Arh, Gandhar, Darad, Chima, Tusar, Malhia, Madrak, Sindhaw, Reshtri, Kukat, Bahik and Kekay eat onion and garlic..... The gotras mentioned above are all Jats and are not found in any other community. However ungraceful the remark, it does prove the existence of Jats in that period and that people of Punjab were called Jatika or Jartika.
केकय, सौवीर जाटवंश
दलीप सिंह अहलावत[5] के अनुसार चन्द्रवंशी सम्राट् ययाति के पांच पुत्रों में से एक का नाम अनु था। अनु की दसवीं पीढ़ी में सम्राट् शिवि हुए, जिनके नाम पर शिवि जाटवंश प्रचलित हुआ। उस शिवि के तीन पुत्रों सौवीर, केकय और मद्र के नामों पर तीन जाटवंश सौवीर, केकय और मद्र प्रचलित हुए थे। (जाट इतिहास पृ० 26, लेखक श्रीनिवासाचार्य महाराज)।
केकय और सौवीर राज्य महाभारत काल से पहले ब्राह्मण काल (ब्राह्मण ग्रन्थ) से ही बराबर चले आते थे। (जाट इतिहास, पृ० 24, लेखक ठा० देशराज)।
सौवीर जाटों का राज्य महाभारत काल में सिंध तथा गुजरात के कुछ भागों पर था। यह राज्य जयद्रथ के अधीन था। इस सिन्धु नरेश जयद्रथ के अधीन 10 राष्ट्र थे। (कर्णपर्व 2-23;
जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-291
वनपर्व 268-8; वनपर्व 266-12)। (सिन्धुवंश के प्रकरण देखो)। महाराजा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में सौवीरराज ने हाथी से जुते हुए 300 रथ प्रदान किये (सभापर्व, अध्याय 51, श्लोक 8)। सौवीर नरेश तथा उसके सैनिक महाभारत युद्ध में कौरव पक्ष में होकर लड़े (भीष्मपर्व)।
केकय जनपद हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में था। केकय नरेश ने राजसूय यज्ञ में युधिष्ठिर को बहुत धन दिया (सभापर्व अध्याय 51)। केकय देश के नरेश तथा लोग काम्यक वन में पाण्डवों से मिलने गये (वनपर्व)।
केकय देश के पुरुषसिंह पांच नरेश, जो परस्पर सगे भाई थे, एक अक्षौहिणी सेना के साथ दुर्योधन के पास आये (उद्योगपर्व, अध्याय 19, श्लोक 25)। परन्तु ये दो भागों में होकर कौरव तथा पाण्डव दोनों की ओर होकर महाभारत युद्ध में लड़े। केकय राजकुमार बृहत्क्षत्र पाण्डव पक्ष में था (भीष्मपर्व)। परन्तु केकय सैनिक एवं राजकुमार आपस में भी लड़े थे। केकय देशीय योद्धाओं से घिरे हुये भीम के समान पराक्रमी केकय राजकुमार को उन्हीं के भाई दूसरे केकय राजकुमार ने बलपूर्वक मार गिराया (कर्णपर्व, अ० 6, श्लोक 18)।
Distribution
Notable persons
Population
References
- ↑ Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.32,sn-372.
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. क-127
- ↑ Mahendra Singh Arya et al.: Adhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 233
- ↑ History of the Jats/Chapter II,p.33-34
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ.291-292
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