Ladhu Ram Jiterwal

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Ladhu Ram Jitarwal (28.3.1925-11.02.1948) became martyr on 11.02.1948 during Indo-Pak War 1947-1948. He was awarded Vir Chakra for his act of bravery. He was from Papra Kalan village in Udaipurwati tahsil of Jhunjhunu district in Rajasthan. Unit - 1 Grenadiers

Introduction

Ladu Ram Jitarwal, Veer Chakra (Posthumous), grandfather of Mohana Singh, was a flight gunner in the Aviation Research Centre and is recipient of Vira Chakra Award in 1948 Indo-Pak War. Their family earlier lived in village Papda but now is settled at Khatehpura in Jhunjhunu district, Rajasthan. [1],Unit: 1 Indian Grenadiers, DOB: 28.3.1925, Father: Tulsa Ram, Nomination: 28.9.1942, Award Date 11.2.1948.[2]

लांस नायक लाधूराम जितरवाल

लांस नायक लाधूराम जितरवाल

18775

वीर चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 1 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

भारत-पाक युद्ध 1947-48

लांस नायक लाधूराम राजस्थान के झुंझुनूं जिले की उदयपुरवाटी तहसील के पापड़ा गांव के निवासी थे और भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की 1 बटालियन में सेवारत थे।

1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वह जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। 11 फरवरी 1948 को अदम्य साहस, दृढ़ निश्चय एवं वीरता से युद्ध करते हुए लांस नायक लाधूराम वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

राज्य सरकार द्वारा इनकी स्मृति में पापड़ा गांव के राजकीय विद्यालय का नाम शहीद श्री सुरेश कुमार बड़सरा एवं लांस नायक श्री लादूराम राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, पापड़ा किया गया है।

जीवन परिचय

11 फरवरी 1948 को 1 ग्रेनेडियरस के लांस नायक लादूराम एक ब्रेन ग्रुप की कमान कर रहे थे। उन्होने एक स्थल पर हमला करने वाली राइफल ग्रुप को आड़ देनी थी। नायक बीरबल राम का राइफल ग्रुप लांस नायक लादू राम से करीब 200 गज आगे, शत्रु की स्वचालित गोलीबारी के कारण रुक गया। उन्होने तत्काल अपनी गन उठाई और कूल्हे से फायर करते हुये शत्रु के ठिकाने पर धावा बोल दिया। वे गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़े। वह पुनः उठे और अपनी आखिरी मैगजीन फायर करते हुये शत्रु पर टूट पड़े। वे दो घंटे तक खुले मैदान में पड़े रहे और जब नायक बीरबल राम उन्हें बचाने के लिए गए तो उन्होने कहा "मेरी चिंता मत कर। गण को संभालो। आज शत्रु को मारने का अवसर आया है" यह कहते ही उन्होने वीरगति पाई। उनका यह वीरतापूर्ण कार्य उनके साथियों को बहुत समय तक याद रहेगा और उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत और आदर्श रहेगा।[3]

शहीद को सम्मान

स्रोत

गैलरी

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. Dainik Bhaskar, Jaipur, 19.6.16
  2. Jat Gatha, 5/2017, p. 24
  3. Jat Gatha, 5/2017, p. 24

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