Mahendra Singh Datusalia

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Mahendra Singh Datusalia

Mahendra Singh Datusalia (Subedar) (b.15.01.1974) (सूबेदार महेन्द्र सिंह दतुसलिया) is from Doodana Ka Bas village in Nawalgarh tahsil in Jhunjhunu district of Rajasthan. He was awarded Sena Medal for his acts of bravery at LOC in 2013. He was awarded Kirti Chakra for his act of bravery fighting with militants in Kupwara district of Jammu and Kashmir on 2.9.2015. Unit: 9 Parachute Regiment.

सूबेदार महेन्द्र सिंह दतुसलिया

सूबेदार महेन्द्र सिंह दतुसलिया

कीर्ति चक्र, सेना मेडल

9 पैराशूट रेजिमेंट

ऑपरेशन रक्षक 2015

सूबेदार महेन्द्र सिंह का जन्म 15 जनवरी 1974 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले की नवलगढ़ तहसील के दुदाना का बास गांव में, श्री मोहन लाल दतुसलिया एवं श्रीमती पतासी देवी के परिवार में हुआ था। अपनी शिक्षा पूर्ण करके 21 अक्टूबर 1990 को वह भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट में, पैराट्रूपर के पद पर भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 9 पैरा बटालियन में नियुक्त किया गया था।

अपनी बटालियन में भिन्न भिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं देते हुए वर्ष 1999 में महेन्द्र सिंह लांस नायक के पद पर पदोन्नत हुए। वर्ष 2002 में नायक के पद पर पदोन्नत हुए, तत्पश्चात वर्ष 2005 में हवलदार के पद पर पदोन्नत हुए। वर्ष 2009 में वह नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत हुए। महेंद्र सिंह अधिकतर आतंकवाद विरोधी अभियानों में, ही तैनात रहे।

वर्ष 2013 में, उन्होंने नियंत्रण रेखा पार कर रहे एक पाकिस्तानी सैनिक को मार गिराया और घुसपैठ का प्रयास विफल कर दिया। इस कार्रवाई में, उनके अदम्य साहस एवं वीरता प्रदर्शन के लिए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में, उन्हें सूबेदार के पद पर पदोन्नत किया गया। वर्ष 2014 में उन्हें जम्मू कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुपवाड़ा जिले में तैनात किया गया।

2 सितंबर 2015 की रात सूबेदार महेंद्र सिंह को, कुपवाड़ा जिले के लवंज जंगल में, आतंकवादियों और उनकी टीम के मध्य हुई भीषण गोलीबारी में, अपने दो जवानों के गंभीर रुप से घायल होने की सूचना प्राप्त हुई। सूबेदार महेंद्र सिंह ने, सोचने में समय नष्ट नहीं करते हुए, त्वरित अपने साथियों को बचाने का निर्णय किया। वह लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी के साथ मुठभेड़ वाले स्थान पर पहुंचे, तभी आतंकवादियों की ओर से पुनः भारी गोलीबारी हुई।

सूबेदार महेंद्र सिंह ने त्वरित प्रत्युत्तर में फायरिंग की और अपने जीवन को संकट में डालते हुए उन्होंने एक आतंकवादी को घेर लिया और उसे अति निकट से मार गिराया। इससे आक्रोशित आतंकवादियों ने उन पर भारी गोलीबारी आरंभ कर दी। यह गोलीबारी सूबेदार महेंद्र सिंह को नहीं रोक सकी। भीषण गोलीबारी में भी वह निरंतर आतंकवादियों की ओर बढ़ते रहे, परंतु दुर्भाग्य से उन्हें पेट, कमर और रीढ़ में अनेक गोलियां लग गईं।

इन चोटों से, पैर की उंगलियों से लेकर कमर तक उनका शरीर लकवाग्रस्त हो गया। इस विकट स्थिति में भी वह पीछे नहीं हटे तथा एक और आतंकवादी को अति निकट से मार गिराया। उस रात हुई भीषण मुठभेड़ में लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी वीरगति को प्राप्त हो गए व सूबेदार महेंद्र सिंह गंभीर रुप से घायल हो गए। सूबेदार महेंद्र सिंह चाहते तो मुठभेड़ स्थल पर अपना बचाव कर सकते थे परंतु वह आतंकवादियों और अपने घायल साथियों के मध्य चट्टान की तरह खड़े रहे। कई महीनों तक लंबा उपचार चलने के पश्चात वह चलने की स्थिति में आ पाए।

सूबेदार महेंद्र सिंह को उनकी वीरता, दृढ़ निश्चय एवं सौहार्द की भावना के लिए 26 जनवरी 2016 को, महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

वर्ष 2017 में, उन्हें सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया। तत्पश्चात वर्ष 2020 में, उन्हें मानद कैप्टन के रैंक पर पदोन्नत किया गया।

मार्च 2021 में, अपना गौरवमई सेवाकाल पूर्ण करके वह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए।

बाहादुरी का सम्मान

सूबेदार महेंद्र सिंह को उनकी वीरता, दृढ़ निश्चय और सौहार्द की भावना के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

स्रोत

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References


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