Mahilwati

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Mahilwati (माहिलवाटी)/Mohilwat (मोहिलवाटी) was region of Rajasthan ruled by Mahil/Mohil Jats.[1]

History

मोहल-माहिल-महला जाटराज्य - इस जाटवंश ने बीकानेर राज्य स्थापना से पूर्व ‘चोपर’ में जो बीकानेर से 70 मील पूर्व में है और ‘द्रोणपुर’ में जो सुजानगढ़ के उत्तर में है, अपनी राजधानियां स्थापित कीं। इनकी ‘राणा’ पदवी थी। चौपर नामक झील भी मोहिलों के राज्य में थी, वहां काफी नमक बनता है। कर्नल जेम्स टॉड ने अपने इतिहास के पृ० 1126, खण्ड 2 में लिखा है कि “मोहिल जाटों का 140 गांवों पर शासन था। मोहिलों के अधीश्वर की यह भूमि माहिलवाटी कहलाती थी।” जोधपुर के इतिहास के अनुसार जोधा जी राठौर ने माहिलवाटी पर आक्रमण कर दिया। राणा अजीतसिंह माहिल और राणा बछराज माहिल और उनके 145 सैनिक इस युद्ध में मारे गये। जोधा जी की विजय हुई। टॉड के अनुसार जोधा जी के पुत्र बीदा ने माहिलवाटी पर विजय प्राप्त की। राव बीदा के पुत्र तेजसिंह ने इस विजय की स्मृतिस्वरूप ‘बीदासर’ नामक नवीन राठौर राजधानी स्थापित की। तदनन्तर यह माहिलवाटी नाम बदलकर ‘बीदावाटी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गई। माहिलों ने बीकानेर को छोड़ दिया। माहिलों की अरियल (वर्तमान उरई-जालौन) नामक रियासत बुन्देलखण्ड में थी। आल्हा काव्य के चरितनायक आल्हा, उदल, मलखान की विजयगाथाओं में महलाभूपत के कारनामे उल्लेखनीय हैं। पूरी झूठ को सत्य में और सत्य को असत्य में परिणत करने की कला में वह परम प्रवीण था। मलखान आदि सब भाई वत्स गोत्र के जाट थे।[2]

References


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