Mahil
Mahil (माहिल)/Dhanda(ढांडा)[1][2] [3]is gotra of Jats in Punjab, Uttar Pradesh, Haryana and Pakistan.
Origin
This gotra is said to be originated from place called Mahanargarh (महनारगढ़). [4]
Mahalisai village
- महालीसै (जाट गोत्र - माहिल) : महालीसै नाम का गाँव झारखंड के सराइकेला खरसावाँ जिले की खरसावाँ विकास-खंड में है।
History
Dr Pema Ram writes that after the invasion of Alexander in 326 BC, the Jats of Sindh and Punjab migrated to Rajasthan. They built tanks, wells and Bawadis near their habitations. The tribes migrated were: Shivis, Yaudheyas, Malavas, Madras etc. The Shivi tribe which came from Ravi and Beas Rivers founded towns like Sheo, Sojat, Siwana, Shergarh, Shivganj etc. This area was adjoining to Sindh and mainly inhabited by Jats. The descendants of Yaudheyas in Rajasthan are: Kulhari, Kuhad, Mahla, Mahil, Khichar etc. [5]
The inscriptions on the Railing of the Bharhut Stupa record the names of the donors of different parts of the Railing, as of a Pillar, a BRail-bar, or a piece of Coping. Some of them also give the calling or occupation of the donors, and several add the name of their native city, or place of residence. One such inscription on PLATE LIV. Corner Pillars — S. Gate. reads:
55. Bhadanta Mahilasa thabho dānam. = "Pillar-gift of the lay brother Mahila."
Here it mentions about gift of a person named Mahila.
Sub divisions of Chauhan
Bhim Singh Dahiya[6] provides us list of Jat clans who were supporters of the Chauhan when they gained political ascendancy. The Mahil clan supported the ascendant clan Chauhan and become part of a political confederacy.[7]
मोहिल-महला-माहिल जाटवंश का इतिहास
दलीप सिंह अहलावत[8] लिखते हैं:
मोहिल-महला-माहिल - यह चन्द्रवंशी जाटवंश है जिसका प्राचीनकाल से शासन रहा है। रामायणकाल में इनका जनपद पाया जाता है। महाभारत भीष्मपर्व 9-48 के अनुसार माही और नर्मदा नदियों के बीच इनका जनपद था। यह जनपद गुजरात एवं मालवा की प्राचीन भूमि पर था। पं० भगवद्दत्त बी०ए० ने अपने ‘भारतवर्ष का इतिहास’ में इनके इस जनपद को इन्हीं दोनों नदियों के बीच का क्षेत्र लिखा है। टॉड और स्मिथ ने इस जनपद को सुजानगढ़ बीकानेर की प्राचीन भूमि पर अवस्थित लिखा है। जैमिनीय ब्राह्मण 1-151, बृहद्दवेता 5-62, ऋक्सर्वानुक्रमणी 5-61 के अनुसार अर्चनाना, तरन्त पुरुमीढ़ नामक तीन मन्त्रद्रष्टा-तत्त्वज्ञ कर्मकाण्डी माहेय ऋषियों का वर्णन मिलता है।
मोहिल जाटवंश ने बीकानेर राज्य स्थापना से पूर्व छापर में जो बीकानेर से 70 मील पूर्व में है और सुजानगढ़ के उत्तर में द्रोणपुर में अपनी राजधानियां स्थापित कीं। इनकी ‘राणा’ पदवी थी। छापर नामक झील भी मोहिलों के राज्य में थी जहां काफी नमक बनता है। कर्नल जेम्स टॉड ने अपने इतिहास के पृ० 1126 खण्ड 2 में लिखा है कि “मोहिल वंश का 140 गांवों1 पर शासन था।
- 1. 140 गांवों के जिले (परगने) - छापर (मोहिलों की राजधानी), हीरासर, गोपालपुर, चारवास, सोंदा, बीदासर. लाडनू, मलसीसर, खरबूजाराकोट आदि। जोधा जी के पुत्र बीदा (बीका का भाई) ने मोहिलों पर आक्रमण किया और उनके राज्य को जीत लिया। मोहिल लोग बहुत प्राचीनकाल से अपने राज्य में रहा करते थे। पृ० 1123.
जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-250
मोहिलों के अधीश्वर की यह भूमि माहिलवाटी कहलाती थी।” जोधपुर के इतिहास के अनुसार राव जोधा जी राठौर ने माहिलवाटी पर आक्रमण कर दिया। राणा अजीत माहिल और राणा बछुराज माहिल और उनके 145 साथी इस युद्ध में मारे गये। राव जोधा जी राठौर की विजय हुई। उसी समय मोहिल फतेहपुर, झुंझुनू, भटनेर और मेवाड़ की ओर चले गये। नरवद माहिल ने दिल्ली के बादशाह बहलोल लोधी (1451-89) से मदद मांगी। उधर जोधा जी के भाई कांधल के पुत्र बाघा के समर्थन का आश्वासन प्राप्त होने पर दिल्ली के बादशाह ने हिसार के सूबेदार सारंगखां को आदेश दिया कि वह माहिलों की मदद में द्रोणपुर पर आक्रमण कर दे। जोधपुर इतिहास के अनुसार कांधलपुत्र बाघा सभी गुप्त भेद जोधा जी को भेजता रहा। युद्ध होने पर 555 पठानों सहित सारंगखां परास्त हुआ और जोधा जी विजयी बने। कर्नल टॉड के अनुसार जोधा के पुत्र बीदा ने मोहिलवाटी पर विजय प्राप्त की। राव बीदा के पुत्र तेजसिंह ने इस विजय की स्मृतिस्वरूप बीदासर नामक नवीन राठौर राजधानी स्थापित की। तदन्तर यह ‘मोहिलवाटी’ ‘बीदावाटी’ के नाम से प्रसिद्ध की गई। इस प्रदेश पर बीदावत राजपूतों का पूर्ण अधिकार हो गया। राजपूतों ने इस प्राचीनकालीन मोहिलवंश को अल्पकालीन चौहानवंश की शाखा लिखने का प्रयत्न किया।[9] किन्तु इस वंश के जाट इस पराजय से बीकानेर को ही छोड़ गये। कुछ राजपूत भी बन गये। माहिलों की उरियल (वर्तमान उरई-जालौन) नामक रियासत बुन्देलखण्ड में थी। आल्हा काव्य के चरितनायक आल्हा, उदल, मलखान की विजयगाथाओं से महलाभूपत के कारनामे उल्लेखनीय हैं। बिल्कुल झूठ को सत्य में और सत्य को असत्य में परिणत करने की कला में ये परम प्रवीण थे। (जाट इतिहास उत्पत्ति और गौरव खण्ड पृ० 105 पर लेखक ठा० देशराज ने मलखान को वत्स गोत्र का जाट लिखा है)।
इस माहिल वंश के जाट राणा वैरसल के वंशज मेवाड़ में बस गये तथा शेष माहिल लोग पंजाब, हरयाणा, बृज, रुहेलखण्ड के विभिन्न जिलों में आबाद हो गये।
1941 ई० की मतगणना के अनुसार ये लोग फिरोजपुर में 1045, अमृतसर में 2555, जालंधर में 1575, जींद में 4175, पटियाला में 795 सिख जाट माहिल थे।
शेखावाटी में पईवा, मेरठ में रसूलपुर, दबथला, बड़ला, मथुरा में छाता, बुलन्दशहर में चिट्ठा, हिसार में डाबड़ा, मिलकपुर, सौराया, खेड़ी, लाधड़ी, अलीगढ़ में भोजपुर, जहांगीराबाद गांव माहिल जाटों के हैं।
भाषाभेद से इस वंश को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे पंजाब में माहे-माहि-माहिय और बृज से मध्यप्रदेश तक महला-मोहले तथा हरयाणा, यू० पी० में माहिल मोहिल कहा जाता है।
माहिल वंश की शाखा 1. गोधारा (गोदारा) 2. महनार्या।
1. जाटों का उत्कर्ष, 337-338 लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री; जाट इतिहास उर्दू पृ० 378-380, लेखक ठा० संसारसिंह।
नोट - बहलोल लोधी का शासन सन् 1451-1489 ई० तक् रहा। बीका ने बीकानेर नामक अपनी राजधानी की नींव सन् 1489 ई० में डाली।
Distribution in Uttar Pradesh
Villages in Meerut district
Barla (बड़ला) Dabthla, Rasulpur,
Villages in Mathura district
Villages in Bulandshahr district
Villages in Aligarh district
Distribution in Haryana
Villages in Hisar district
Dabra Hisar, Kheri, Ladhari, Milkpur, Sauraya,
Distribution in Punjab
Villages in Moga district
Villages in Patiala district
Mahils have a population of 2,169 in Patiala district. This clan also claims its origin from the Tur Rajputs and came from the Delhi area.
Villages in Sangrur district
The clan owns four villages: Shahpuri Khurd and Shahpuri Kalan, Namol (all of these three in Sunam sub-district), and Khanpur (in Dhuri sub-district).[10]
Villages in Amritsar district
Mahils have a population of 7,020 in Amritsar district. [11]
Villages in Jalandhar district
According to B S Dhillon the population of Mahil clan in Jalandhar district is 4,350.[12]
Villages in Hoshiarpur district
In Hoshiarpur district the Mahil population is 840. [13]
Villages in Firozpur district
In Firozpur district the Mahil population is 1,110. [14]
Distribution in Pakistan
Mahil - The Mahil claim Chandravanshi Rajput ancestry. Muslim Mahil were found in Gurdaspur, Jalandhar, Firuzpur, Hoshiarpur and Patiala. They are now found in Okara, Khanewal, Sahiwal and Faisalabad districts.
Notable persons
- Ujagar Singh Mahil: Author of the book Antiquity of Jat race, Delhi, 1955.
References
- ↑ B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.240, s.n.136
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. म-58
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.56,s.n. 2033
- ↑ Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p. 276
- ↑ Dr Pema Ram:Rajasthan Ke Jaton Ka Itihas, p.14
- ↑ Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Appendices/Appendix I,p.316-17
- ↑ A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.375-76
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ-250,251
- ↑ जाटों का उत्कर्ष, 337-338 लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री; जाट इतिहास उर्दू पृ० 378-380, लेखक ठा० संसारसिंह।
- ↑ History and study of the Jats, B.S Dhillon, p.126
- ↑ History and study of the Jats, B.S Dhillon, p.124
- ↑ History and study of the Jats, B.S Dhillon, p.127
- ↑ History and study of the Jats, B.S Dhillon, p. 127
- ↑ History and study of the Jats, B.S Dhillon, p. 127
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