Siwana Barmer

From Jatland Wiki

Note - Please click → Siwana for details of similarly named villages at other places.


Location of Siwana in Barmer district

Siwana (सिवाना) is a town and tahsil in Barmer district in Rajasthan.

Origin

Siwana is located in Barmer district near the eastern border. It is about 90 km from Jodhpur in south-west and is 40 km in north-west of Jalore city.

Villages in Siwana tahsil

Ambon Ka Bara, Arjiyana, Arthnari, Baamaseen, Baliyana, Baloo, Berinari, Bhagwa, Bhalaron Ka Bara, Bhanawas, Bhati Khera, Bhilon Ki Dhani Mangla, Bhooti, Bijaliya, Burd (Boorad), Charnon Ka Bara, Cheeyali, Chirdiya, Dabli, Dantala, Darbala, Deoliyali, Deora, Dev Nagar, Dev Pura, Dewandi, Dharna, Dheedhas, Dheeran, Doodon Ka Bara (Ajeet), Durgapura, Girad Ka Dhana, Godon Ka Bara, Goliya, Goliya Chaudhariyan, Goongrot, Gura, Harmalpur, Hemawas, Hotrara, Indrana, Itwaya, Jalampura, Jethantari, Jethantarihalt, Jinpur, Kamon Ka Bara, Kankhi, Karmawas, Kathari, Khakharlri, Khandap, Kharantiya, Khejariyali, Khera Khindawara, Khetasar, Kotri, Kumahroon Ki Dhani, Kumpawas, Kundal, Kuseep, Lalana, Laleeya, Loodrara, Majal, Mangi, Mangla, Math Kharantiya, Mawri, Maylawas, Meli, Mithora, Miyon Ka Bara, Mokalsar, Mokhandi, Moothli, Motisara, Mubari, Nai Khakharlai, Nal, Nimbeshwar, Pabupura, Padardi Kalan, Padardi Khurd, Padroo, Pariharon Ki Dhani, Paton Ka Bara, Paun, Peeploon, Phoolan, Rakhi, Ramniya, Rampura, Rani Deshipura, Ratri, Relon Ki Dhani, Rojiyon Ki Dhani, Samdari, Samdari Station, Samooja, Sanwarda, Sarwari, Sela, Sewali, Silor, Siner, Siriyadevi Nagar, Siwana, Sooili, Tejsingh Ki Dhani, Telwara, Thakar Khera, Thanmata Hinglaj, Thapan, Tirgati,

History

सिवाणा

सिवाणा राजस्थान में जोधपुर से 54 मील पश्चिम में स्थित है। सिवाणा दुर्ग का इतिहास बड़ा गौरवशाली रहा है। सिवाणा दुर्ग इसका निर्माण परमारवंशीय वीर नारायण ने 954 ई. में करवाया था। तदंतर यह क़िला चौहानों के अधिकार में आ गया। अलाउद्दीन ख़िलजी ने सिवाणा पर जब 2 जुलाई, 1306 में आक्रमण किया, तब यह दुर्ग कान्हड़देव के भतीजे चौहान सरदार शीतलदेव के अधिकार में था। बरनी की फुतुहाते फीरोजशाही से ज्ञात होता है कि यह घेरा दीर्घकाल तक चला। ख़िलजी सेना ने इसे लेने के कठोर प्रयास किये। बबूल, धोक व पलास के वृक्षों से अच्छादित सघन वन में खड़े सिवाणा के क़िले को जीतने में तुर्क सेना को पसीने आ गये।[1]

शीतलदेव ने क़िले की सुरक्षा का माक़ूल प्रबन्ध कर रखा था। नैणसी की ख्यात और कान्हड़देव प्रबंध के अनुसार कई महीनों के घेरे के पश्चात् अंत में विश्वासघात के कारण अलाउद्दीन को सफलता मिली। अमीर खुसरो ने सिवाणा के सैनिकों की वीरता और शौर्य की बहुत प्रशंसा की है। शीतलदेव मारा गया। अलाउद्दीन ने इस दुर्ग का नाम खैराबाद रखा और कमालुद्दीन गुर्ग को यहाँ का प्रशासक नियुक्त करने के बाद वह लौट गया। जब खलजियों की शक्ति निर्बल हो गयी तो राठौर जैतमल ने इस दुर्ग पर कब्ज़ा कर लिया और कई पुश्तों तक उसके वंशजों का इस पर अधिकार रहा। जब मारवाड़ का शासक मालदेव बना, तो उसने अपनी शक्ति को संगठित करने के लिए क़िले को अपने अधिकार में कर लिया। अकबर के समय राव चन्द्रसेन ने सिवाना के दुर्ग में रहकर काफ़ी समय तक मुग़ल सेनाओं का विरोध किया। अंत में इस पर अकबर का अधिकार हो गया। बाद में अकबर के अधीनस्थ मोटा राजा उदयसिंह का इस पर कब्ज़ा हो गया।[2]

सिवाना का दुर्ग वैसे तो चारों ओर से रेतीले भू-भाग से घिरा है। परंतु इसके साथ-साथ इस भाग में छप्पन के पहाड़ों का सिलसिला पूर्व-पश्चिम की सीध में 48 मील फैला है। इस पहाड़ी सिलसिले के अंतर्गत हलदेश्वर का पहाड़ सबसे ऊँचा है, जिस पर ही यह सुदृढ़ दुर्ग बना हुआ है। इसकी टेढ़ी-मेढ़ी चढ़ाई, घुमावदार बुर्ज, सुदृढ़ दीवारें, मध्ययुगीन सामरिक उपयोगिता पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डालती हैं। इसमें कल्ला रायमलोत का थड़ा (रायमलोत राव चन्द्रसेन का भतीजा था) और महाराजा अजीत सिंह द्वारा बनवाया हुआ दरवाज़ा, कोट तथा महल आदि विद्यमान हैं। [3]

External Links

History

Dr Pema Ram writes that after the invasion of Alexander in 326 BC, the Jats of Sindh and Punjab migrated to Rajasthan. They built tanks, wells and Bawadis near their habitations. The tribes migrated were: Shivis, Yaudheyas, Malavas, Madras etc. The Shivi tribe which came from Ravi and Beas Rivers founded towns like Sheo, Sojat, Siwana, Shergarh, Shivganj etc. This area was adjoining to Sindh and mainly inhabited by Jats. The descendants of Shivi in Rajasthan are: Seu, Shivran, Shivral, Sihot, Sinwar, Chhaba etc. [4]

James Tod[5] writes about:Siwana. — Siwanchi is the tract between the Luni and Sukri, of which Siwana, a strong castle placed on the extremity of the same range with Jalor, is the capital. The country requires no particular description, being of the same nature as that just depicted. In former times it constituted, together with Nagor, the appanage of the heir-apparent of Marwar ; but since the setting-up of the pretender, Dhonkal Singh, both have been attached to the fisc : in fact, there is no heir to Maru ! Ferishta mentions the defence of Siwana against the arms of Alau-d-din.

Jat gotras

References


Back to Jat Villages