Rana Vairsal
Rana Vairsal (राणा वैरसल) was a Mohil clan ruler of Jodhpur (Rajasthan) prior to Rajputs.
इतिहास
दलीप सिंह अहलावत[1] लिखते हैं:
मोहिलों के अधीश्वर की भूमि माहिलवाटी कहलाती थी।” जोधपुर के इतिहास के अनुसार राव जोधा जी राठौर ने माहिलवाटी पर आक्रमण कर दिया। राणा अजीत माहिल और राणा बछुराज माहिल और उनके 145 साथी इस युद्ध में मारे गये। राव जोधा जी राठौर की विजय हुई। उसी समय मोहिल फतेहपुर, झुंझुनू, भटनेर और मेवाड़ की ओर चले गये। नरवद माहिल ने दिल्ली के बादशाह बहलोल लोधी (1451-89) से मदद मांगी। उधर जोधा जी के भाई कांधल के पुत्र बाघा के समर्थन का आश्वासन प्राप्त होने पर दिल्ली के बादशाह ने हिसार के सूबेदार सारंगखां को आदेश दिया कि वह माहिलों की मदद में द्रोणपुर पर आक्रमण कर दे। जोधपुर इतिहास के अनुसार कांधलपुत्र बाघा सभी गुप्त भेद जोधा जी को भेजता रहा। युद्ध होने पर 555 पठानों सहित सारंगखां परास्त हुआ और जोधा जी विजयी बने। कर्नल टॉड के अनुसार जोधा के पुत्र बीदा ने मोहिलवाटी पर विजय प्राप्त की। राव बीदा के पुत्र तेजसिंह ने इस विजय की स्मृतिस्वरूप बीदासर नामक नवीन राठौर राजधानी स्थापित की। तदन्तर यह ‘मोहिलवाटी’ ‘बीदावाटी’ के नाम से प्रसिद्ध की गई। इस प्रदेश पर बीदावत राजपूतों का पूर्ण अधिकार हो गया। राजपूतों ने इस प्राचीनकालीन मोहिलवंश को अल्पकालीन चौहानवंश की शाखा लिखने का प्रयत्न किया।[2] किन्तु इस वंश के जाट इस पराजय से बीकानेर को ही छोड़ गये। कुछ राजपूत भी बन गये। माहिलों की उरियल (वर्तमान उरई-जालौन) नामक रियासत बुन्देलखण्ड में थी। आल्हा काव्य के चरितनायक आल्हा, उदल, मलखान की विजयगाथाओं से महलाभूपत के कारनामे उल्लेखनीय हैं। बिल्कुल झूठ को सत्य में और सत्य को असत्य में परिणत करने की कला में ये परम प्रवीण थे। (जाट इतिहास उत्पत्ति और गौरव खण्ड पृ० 105 पर लेखक ठा० देशराज ने मलखान को वत्स गोत्र का जाट लिखा है)।
इस माहिल वंश के जाट राणा वैरसल के वंशज मेवाड़ में बस गये तथा शेष माहिल लोग पंजाब, हरयाणा, बृज, रुहेलखण्ड के विभिन्न जिलों में आबाद हो गये। 1941 ई० की मतगणना के अनुसार ये लोग फिरोजपुर में 1045, अमृतसर में 2555, जालंधर में 1575, जींद में 4175, पटियाला में 795 सिख जाट माहिल थे। शेखावाटी में पईवा, मेरठ में रसूलपुर, दबथला, बड़ला, मथुरा में छाता, बुलन्दशहर में चिट्ठा, हिसार में डाबड़ा, मिलकपुर, सौराया, खेड़ी, लाधड़ी, अलीगढ़ में भोजपुर, जहांगीराबाद गांव माहिल जाटों के हैं।
External links
References
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-251
- ↑ जाटों का उत्कर्ष, 337-338 लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री; जाट इतिहास उर्दू पृ० 378-380, लेखक ठा० संसारसिंह।
Back to The Ancient Jats/ Back to The Rulers