Patoda
- Note - For Patoda village in Jhunjhunu, please click → Patoda Jhunjhunu.
Patoda (पाटोदा) is a village in Laxmangarh tahsil, Sikar district in Rajasthan.
History
Its ancient name, mentioned in Harsha Inscription 961 AD (L-34, L-37), was Patta-Badaka (पट्ट-बड़क) / Pattabadaka (पट्टबड़क) . It was a vishaya (pragana) of Burdak Chauhans. [1]
Harsha Inscription 961 AD (L-34, L-37) reveals that Chauhan ruler Simharaja donated villages Ekalaka, Krisānukūpa and Urusara from Pattabadaka paragana.
Patoda was the residence (thikana) of Sikar's Rao Raja Shiv Singh Shekhawat.
सीकर में जागीरी दमन
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है .... जनवरी 1934 के बसंती दिनों में सीकर यज्ञ तो हो गया किंतु इससे वहां के अधिकारियों के क्रोध का पारा और भी बढ़ गया। यज्ञ होने से पहले और यज्ञ के दिनों में ठाकुर देशराज और उनके साथी यह भांप चुके थे कि यज्ञ के समाप्त होते ही सीकर ठिकाना दमन पर उतरेगा। इसलिए उन्होंने यज्ञ समाप्त होने से एक दिन पहले ही सीकर जाट किसान पंचायत का संगठन कर दिया और चौधरी देवासिह बोचल्या को मंत्री बना कर सीकर में दृढ़ता से काम करने का चार्ज दे दिया।
उन दिनों सीकर पुलिस का इंचार्ज मलिक मोहम्मद नाम का एक बाहरी मुसलमान था। वह जाटों का हृदय से विरोधी था। एक महीना भी नहीं बीतने ने दिया कि बकाया लगान का इल्जाम लगाकर चौधरी गौरू सिंह जी कटराथल को गिरफ्तार कर लिया गया। आप उस समय सीकरवाटी जाट किसान पंचायत के उप मंत्री थे और यज्ञ के मंत्री श्री चंद्रभान जी को भी गिरफ्तार कर लिया। स्कूल का मकान तोड़ फोड़ डाला और मास्टर जी को हथकड़ी डाल कर ले जाया गया।
उसी समय ठाकुर देशराज जी सीकर आए और लोगों को बधाला की ढाणी में इकट्ठा करके उनसे ‘सर्वस्व स्वाहा हो जाने पर भी हिम्मत नहीं हारेंगे’ की शपथ ली। एक डेपुटेशन
[पृ 229]: जयपुर भेजने का तय किया गया। 50 आदमियों का एक पैदल डेपुटेशन जयपुर रवाना हुआ। जिसका नेतृत्व करने के लिए अजमेर के मास्टर भजनलाल जी और भरतपुर के रतन सिंह जी पहुंच गए। यह डेपुटेशन जयपुर में 4 दिन रहा। पहले 2 दिन तक पुलिस ने ही उसे महाराजा तो क्या सर बीचम, वाइस प्रेसिडेंट जयपुर स्टेट कौंसिल से भी नहीं मिलने दिया। तीसरे दिन डेपुटेशन के सदस्य वाइस प्रेसिडेंट के बंगले तक तो पहुंचे किंतु उस दिन कोई बातें न करके दूसरे दिन 11 बजे डेपुटेशन के 2 सदस्यों को अपनी बातें पेश करने की इजाजत दी।
अपनी मांगों का पत्रक पेश करके जत्था लौट आया। कोई तसल्ली बख्स जवाब उन्हें नहीं मिला।
तारीख 5 मार्च को मास्टर चंद्रभान जी के मामले में जो कि दफा 12-अ ताजिराते हिंद के मातहत चल रहा था सफाई के बयान देने के बाद कुंवर पृथ्वी सिंह, चौधरी हरी सिंह बुरड़क और चौधरी तेज सिंह बुरड़क और बिरदा राम जी बुरड़क अपने घरों को लौटे। उनकी गिरफ्तारी के कारण वारंट जारी कर दिये गए।
और इससे पहले ही 20 जनों को गिरफ्तार करके ठोक दिया गया चौधरी ईश्वर सिंह ने काठ में देने का विरोध किया तो उन्हें उल्टा डालकर काठ में दे दिया गया और उस समय तक उसी प्रकार काठ में रखा जब कि कष्ट की परेशानी से बुखार आ गया (अर्जुन 1 मार्च 1934)।
उन दिनों वास्तव में विचार शक्ति को सीकर के अधिकारियों ने ताक पर रख दिया था वरना क्या वजह थी कि बाजार में सौदा खरीदते हुए पुरानी के चौधरी मुकुंद सिंह को फतेहपुर का तहसीलदार गिरफ्तार करा लेता और फिर जब
[पृ 230]: उसका भतीजा आया तो उसे भी पिटवाया गया।
इन गिरफ्तारियों और मारपीट से जाटों में घबराहट और कुछ करने की भावना पैदा हो रही थी। अप्रैल के मध्य तक और भी गिरफ्तारियां हुई। 27 अप्रैल 1934 के विश्वामित्र के संवाद के अनुसार आकवा ग्राम में चंद्र जी, गणपत सिंह, जीवनराम और राधा मल को बिना वारंटी ही गिरफ्तार किया गया। धिरकाबास में 8 आदमी पकड़े गए और कटराथल में जहा कि जाट स्त्री कान्फ्रेंस होने वाली थी दफा 144 लगा दी गई।
ठिकाना जहां गिरफ्तारी पर उतर आया था वहां उसके पिट्ठू जाटों के जनेऊ तोड़ने की वारदातें कर रहे थे। इस पर जाटों में बाहर और भीतर काफी जोश फैल रहा था। तमाम सीकर के लोगों ने 7 अप्रैल 1934 को कटराथल में इकट्ठे होकर इन घटनाओं पर काफी रोष जाहिर किया और सीकर के जुडिशल अफसर के इन आरोपों का भी खंडन किया कि जाट लगान बंदी कर रहे हैं। जनेऊ तोड़ने की ज्यादा घटनाएं दुजोद, बठोठ, फतेहपुर, बीबीपुर और पाटोदा आदि स्थानों और ठिकानों में हुई। कुंवर चांद करण जी शारदा और कुछ गुमनाम लेखक ने सीकर के राव राजा का पक्ष ले कर यह कहना आरंभ किया कि सीकर के जाट आर्य समाजी नहीं है। इन बातों का जवाब भी मीटिंगों और लेखों द्वारा मुंहतोड़ रूप में जाट नेताओं ने दिया।
लेकिन दमन दिन-प्रतिदिन तीव्र होता जा रहा था जैसा कि प्रेस को दिए गए उस समय के इन समाचारों से विदित होता है।
Population
As per Census-2011 statistics, Patoda village has the total population of 4248 (of which 2194 are males while 2054 are females).[3]
Jat Gotras
Notable persons
- Hawaldar Tiku Ram Patoda - Freedom fighter
Gallery
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Gurumukh Daulatpura and Hawaldar Tiku Ram Patoda
External links
- Information about Patoda village - villageinfo.in website
- Detailed map of Sikar and neighboring regions
- Geo Location of Patoda
References
- ↑ Early Chauhan Dynasties, by Dasharatha Sharma, pp.227-228.
- ↑ Thakur Deshraj: Jat Jan Sewak, 1949, p.228-230
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/81410-patoda-rajasthan.html
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