Ram Singh Kulhari

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Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Ram Singh Kulhari (born:1897) (रामसिंह कुलहरी बड़वासी) from Barwasi, Nawalgarh, Jhunjhunu, was a Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....श्री रामसिंह जी बड़वासी- [पृ.429]: श्री रामसिंह जी बड़वासी का जन्म कुलहरी गोत्र के चौधरी गोविंद सिंह जी के यहां संवत 1954 में हुआ था। आप बड़वासी गांव के रहने वाले हैं। आप के भाई का नाम श्री चौधरी चेनाराम जी और पुत्रों के नाम श्री मानसिंह जी व श्री झाबरसिंह हैं।

आप शेखावाटी प्रांत के सच्चे और कर्मठ कार्यकर्ता हैं। आत्म सम्मान की भावना आपने सदा से रही है। और उसी हेतू आप अपने यहां के ठिकानेदारों की आंखों का कांटा बन गए। ठीकानेदार की ओर से आपको यातनाएं दी जाने लगी।


[पृ.430]: आप वैधानिक रुप से प्रतिकार करते रहे परंतु राज्यसत्ता ठिकानेदारों के प्रभाव में होने के कारण आप की नहीं सुनी गई और वर्षों तक मुकदमा चलता रहा। फिर भी अंत में आपको अपनी जमीन से भी हाथ धोना पड़ा यद्यपि आप आज बेघरबार बना दिए गए परंतु फिर भी आपने ठिकानेदारों के यहां जाकर किसी प्रकार की चिंता दिखलाने को आत्मप्रवंचना समझा है।

आप जाट किसान पंचायत के कार्यकर्ता रहे और और स्थानीय प्रजामंडल द्वारा संचालित सन 1939 के सत्याग्रह में आपने सक्रिय भाग लिया। आपको कई बार गिरफ्तार किया गया और हर बार पीट-पीटकर छोड़ दिया गया। आपकी उस समय की पिटाई की कहानी बड़ी रोमांचकारी और राजय अधिकारियों के नाम पर धब्बा है।

आजकल आप समस्त समय प्रजामंडल जिला कमेटी झुंझुनू के कार्य में लगा रहे हैं। आप के छोटे पुत्र झाबरसिंह प्रमुख किसान नेता श्री घासी राम जी द्वारा संचालित विद्यालय घासी का बास में अध्यापक हैं और बड़े उत्साह से कार्य कर रहे हैं।

जीवन परिचय

किसान आन्दोलन का दमन

किसान आन्दोलन के दमन का सबसे भयंकर दृश्य शेखावाटी में था. जहाँ किसानों पर घोड़े दौडाए गए और जगह-जगह लाठी चार्ज हुआ. झुंझुनूं में 1 से 4 फ़रवरी 1939 तक एकदम अराजकता थी. पहली फ़रवरी को पंचायत के 6 जत्थे निकले, जिसमें तीस आदमी थे. इनको बुरी तरह पीटा गया. दो सौ करीब मीणे और करीब एक सौ पुलिस सिपाहियों ने जो कि देवी सिंह की कमांड में घूम रहे थे, लोगों को लाठियों और जूतों से बेरहमी से पीटा. जत्थे के नायक राम सिंह बडवासीइन्द्राज को तो इतना पीटा कि वे लहूलुहान हो गए. रेख सिंह (सरदार हरलाल सिंह के भाई) को तो नंगा सर करके जूतों से इतना पीटा कि वह बेहोश हो गए. उनकी तो गर्दन ही तोड़ दी. चौधरी घासी राम, थाना राम भोजासर, ओंकार सिंह हनुमानपुरा, मास्टर लक्ष्मी चंद आर्य और गुमान सिंह मांडासी की निर्मम पिटाई की. इन दिनों जो भी किसान झुंझुनू आया उसको सिपाहियों ने पीटा. यहाँ तक कि घी, दूध बेचने आने वाले लोगों को भी पीटा गया. [3]

सन्दर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.429-430
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.429-430
  3. डॉ पेमाराम, शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p. 167

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