Thana Ram Meel

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Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Thana Ram Meel (चौधरी थानाराम मील),from Bhojasar , Jhunjhunu, was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी थानाराम जी - [पृ.407]: आप मील गोत्र के चौधरी ..... के पुत्र हैं। आप ठिकाना खेतडी के अंतर्गत मौजा भोजासर के रहने वाले हैं। आपके दो भाइयों के नाम श्री कालूराम जी तथा ..... है। आप शेखावाटी के उन पुराने जाट नेताओं में से हैं जिन्होंने अपने तन मन और धन की बाजी लगाकर शेखावाटी के निरंकुश ठिकानेदारों के अत्याचारों के विरुद्ध जबरदस्त आंदोलन खड़ा किया। स्थानीय जाट पंचायत के संगठन के आप प्रमुख व्यक्तियों में से थे और पंचायत द्वारा किसानों को संगठित करने का जो भी कदम उठाया गया उसमें आपका कार्य सदा प्रशंसनीय रहा। पंचायत स्थगित हो जाने के बाद आपका भी अन्य साथियों की तरह प्रजा मंडल में शामिल हो जाना स्वाभाविक ही था अतः आपने प्रजामंडल में रहते हुए शेखावाटी में किसानों में चिरस्मरणीय कार्य किया।


1939 ई. में प्रजामंडल द्वारा चलाए गए सत्याग्रह के समय आपका कार्य अत्यंत साहसपूर्ण था। उस समय आप झुंझुनू में स्थापित सत्याग्रह कैंप के प्रधान थे। आपको कितनी ही बार निर्दलीय कर्मचारियों द्वारा बुरी तरह से पीटा


[पृ.408]: गया और ले जाकर निर्जन स्थानों में छोड़ा गया लेकिन आपने इसकी कतई भी परवाह न कर बड़ी योग्यता पूर्वक कैंप का संचालन किया और समझौता होने तक जान लगा कर कार्य किया। आप बहुत से उत्साहपूर्ण अनुभवी व्यक्ति हैं। आप आजकल रुग्ण रहते हैं फिर भी सार्वजनिक कामों में दिलचस्पी लेते हैं।

जीवन परिचय

किसान आन्दोलन का दमन

किसान आन्दोलन के दमन का सबसे भयंकर दृश्य शेखावाटी में था. जहाँ किसानों पर घोड़े दौडाए गए और जगह-जगह लाठी चार्ज हुआ. झुंझुनूं में 1 से 4 फ़रवरी 1939 तक एकदम अराजकता थी. पहली फ़रवरी को पंचायत के 6 जत्थे निकले, जिसमें तीस आदमी थे. इनको बुरी तरह पीटा गया. दो सौ करीब मीणे और करीब एक सौ पुलिस सिपाहियों ने जो कि देवी सिंह की कमांड में घूम रहे थे, लोगों को लाठियों और जूतों से बेरहमी से पीटा. जत्थे के नायक राम सिंह बडवासीइन्द्राज को तो इतना पीटा कि वे लहूलुहान हो गए. रेख सिंह (सरदार हरलाल सिंह के भाई) को तो नंगा सर करके जूतों से इतना पीटा कि वह बेहोश हो गए. उनकी तो गर्दन ही तोड़ दी. चौधरी घासी राम, थाना राम भोजासर, ओंकार सिंह हनुमानपुरा, मास्टर लक्ष्मी चंद आर्य और गुमान सिंह मांडासी की निर्मम पिटाई की. इन दिनों जो भी किसान झुंझुनू आया उसको सिपाहियों ने पीटा. यहाँ तक कि घी, दूध बेचने आने वाले लोगों को भी पीटा गया. [3]

किसान सभा का अनुमोदन

जगन सिंह भोजासर/ थाना राम भोजासर/धोकल सिंह भोजासर - 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमोदन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).

चनाणा कांड

रामेश्वरसिंह[4] ने लेख किया है.... चनाणा गांव में जयपुर राज्य प्रजामंडल की ओर से मई 1946 में एक किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन दिनों जागीर के किसी गांव में सम्मेलन का आयोजन करना बड़ा कठिन काम था क्योंकि जागीदार इस तरह के सम्मेलन को अपने लिए एक चुनौती और अपमान मानते थे। चनाणा के जागीरदारों ने भी इसे अपने अहम एवं अधिकार पर कुठाराघात माना। इस सम्मेलन में श्री टीकाराम पालीवाल, सरदार हरलाल सिंह जी, श्री नरोत्तम लाल जोशी, श्री संत कुमार शर्मा आदि नेतागण एवं अनेक कार्यकर्ता शरीक हुए। जागीरदारों ने हथियार


शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम, पृष्ठांत-38

बंद होकर इस मीटिंग को बंद करने के लिए अकस्मात हमला किया और लोगों को पीटने लगे। श्री हनुमानाराम सीथल वाले युवावस्था में ही इस चनाणा कांड में शहीद हुए। वे अपने पीछे अपनी विधवा पत्नी, वृद्ध माता-पिता एवं मासूम बच्चों को बिलखते छोड़ गए।

जागीरदार-काश्तकार संघर्ष में यह एक महत्वपूर्ण बलिदान था जिसने किसान जागृति के दीपक में और भी तेज चमक के लिए घी का काम किया। काश्तकार और जागीरदार दोनों ही पक्षों द्वारा पुलिस में मुकदमे दर्ज कराए गए। जागीरदारों में सरदार हरलाल सिंह एवं नरोत्तम लाल जी जोशी के खिलाफ कत्ल का आरोप लगाया। श्री संत कुमार जी बड़े भोजस्वी नेता थे। उनके भाषण बड़े जोशीले हुआ करते थे। वे इस प्रकार की बातें कहते थे कि लोग सुनकर चकित हो जाते। भय तो उनको जरा सा भी छू तक नहीं गया था। पं. ताड़केश्वर शर्मा पचेरी के जागीरदार के नग्न अत्याचार अपनी आंखों से देख चुके थे। उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से लोगों को बड़ा प्रभावित किया था। यह पढ़े लिखे थे इससे किसान आंदोलन को बड़ा लाभ मिला। श्री लादूराम जी कीसारी कई बार जेल गए और उन्होंने श्री नेतराम जी तथा श्री घासीराम जी का जन आंदोलन के समय पूरी तरह साथ दिया। चौ. थानौराम जी भोजासर वाले इस किसान आंदोलन में अन्य किसान नेताओं के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.407-408
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.407-408
  3. (डॉ पेमाराम, शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p. 167)
  4. Rameshwar Singh Meel:Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Janm, Shaishav Aur Shiksha,pp.38-39

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