Rambrouch

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Rambrouch on Map of Luxembourg

Rambrouch (Luxembourgish: Rammerech) is a commune and small town in western Luxembourg, in the canton of Redange. It lies close to the border with Belgium.

Location

The town is situated in western Luxembourg, in the canton of Redange. It lies close to the border with Belgium.

Origin

History

Rambrouch was formed on 1 January 1979 from the former communes of Arsdorf, Bigonville, Folschette, and Perlé, all in Redange canton. The law creating Rambrouch was passed on 27 July 1978.[1]

As of 2005, the town of Rambrouch, which lies in the centre of the commune, has a population of 379. Other towns within the commune include Arsdorf, Bigonville, Bilsdorf, Folschette, Holtz, Hostert, Koetschette, Perlé, Rombach, Schwiedelbrouch, and Wolwelange.

प्राचीनकाल में यूरोप देश

दलीप सिंह अहलावत[2] लिखते हैं: यूरोप देश - इस देश को प्राचीनकाल में कारुपथ तथा अङ्गदियापुरी कहते थे, जिसको श्रीमान् महाराज रामचन्द्र जी के आज्ञानुसार लक्ष्मण जी ने एक वर्ष यूरोप में रहकर अपने ज्येष्ठ पुत्र अंगद के लिए आबाद किया था जो कि द्वापर में हरिवर्ष तथा अंगदेश और अब हंगरी आदि नामों से प्रसिद्ध है। अंगदियापुरी के दक्षिणी भाग में रूम सागर और अटलांटिक सागर के किनारे-किनारे अफ्रीका निवासी हब्शी आदि राक्षस जातियों के आक्रमण रोकने के लिए लक्ष्मण जी ने वीर सैनिकों की छावनियां आवर्त्त कीं। जिसको अब ऑस्ट्रिया कहते हैं। उत्तरी भाग में ब्रह्मपुरी बसाई जिसको अब जर्मनी कहते हैं। दोनों भागों के मध्य लक्ष्मण जी ने अपना हैडक्वार्टर बनाया जिसको अब लक्षमबर्ग कहते हैं। उसी के पास श्री रामचन्द्र जी के खानदानी नाम नारायण से नारायण मंडी आबाद हुई जिसको अब नॉरमण्डी कहते हैं। नॉरमण्डी के निकट एक दूसरे से मिले हुए द्वीप अंगलेशी नाम से आवर्त्त हुए जिसको पहले ऐंग्लेसी कहते थे और अब इंग्लैण्ड कहते हैं।

द्वापर के अन्त में अंगदियापुरी देश, अंगदेश के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जिसका राज्य सम्राट् दुर्योधन ने अपने मित्र राजा कर्ण को दे दिया था। करीब-करीब यूरोप के समस्त देशों का राज्य शासन आज तक महात्मा अंगद के उत्तराधिकारी अंगवंशीय तथा अंगलेशों के हाथ में है, जो कि ऐंग्लो, एंग्लोसेक्शन, ऐंग्लेसी, इंगलिश, इंगेरियन्स आदि नामों से प्रसिद्ध है और जर्मनी में आज तक संस्कृत भाषा का आदर तथा वेदों के स्वाध्याय का प्रचार है। (पृ० 1-3)।

यूरोप अपभ्रंश है युवरोप का। युव-युवराज, रोप-आरोप किया हुआ। तात्पर्य है उस देश से, जो लक्ष्मण जी के ज्येष्ठपुत्र अङ्गद के लिए आवर्त्त किया गया था। यूरोप के निवासी यूरोपियन्स कहलाते हैं। यूरोपियन्स बहुवचन है यूरोपियन का। यूरोपियन विशेषण है यूरोपी का। यूरोपी अपभ्रंश है युवरोपी का। तात्पर्य है उन लोगों से जो यूरोप देश में युवराज अङ्गद के साथ भेजे और बसाए गये थे। (पृ० 4)

कारुपथ यौगिक शब्द है कारु + पथ का। कारु = कारो, पथ = रास्ता। तात्पर्य है उस देश से जो भूमध्य रेखा से बहुत दूर कार्पेथियन पर्वत (Carpathian Mts.) के चारों ओर ऑस्ट्रिया, हंगरी, जर्मनी, इंग्लैण्ड, लक्षमबर्ग, नॉरमण्डी आदि नामों से फैला हुआ है। जैसे एशिया में हिमालय पर्वतमाला है, इसी तरह यूरोप में कार्पेथियन पर्वतमाला है।

इससे सिद्ध हुआ कि श्री रामचन्द्र जी के समय तक वीरान यूरोप देश कारुपथ देश कहलाता था। उसके आबाद करने पर युवरोप, अङ्गदियापुरी तथा अङ्गदेश के नाम से प्रसिद्ध हुआ और ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैण्ड, ऑस्ट्रिया, हंगरी, जर्मनी, लक्षमबर्ग, नॉरमण्डी, फ्रांस, बेल्जियम, हालैण्ड, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, इटली, पोलैंड आदि अङ्गदियापुरी के प्रान्तमात्र महात्मा अङ्गद के क्षेत्र शासन के आधारी किये गये थे। (पृ० 4-5)

नोट - महाभारतकाल में यूरोप को ‘हरिवर्ष’ कहते हैं। हरि कहते हैं बन्दर को। उस देश में अब भी रक्तमुख अर्थात् वानर के समान भूरे नेत्र वाले होते हैं। ‘यूरोप’ को संस्कृत में ‘हरिवर्ष’ कहते थे। [3]

External links

See also

References