Sant Sadaram
ठाकुर देशराज[1] लिखते हैं कि मारवाड़ में चुंटीसरा नामक गाँव है । उसमें एक बड़े प्रसिद्द जाट-भक्त हुए हैं । वे सदारामजी महाराज के नाम से पुकारे जाते हैं । रेवाड़ गोत्र के जाट परिवार में उनका जन्म हुआ था । उनके 24 शिष्य थे, जिन्होंने राजस्थान के विभिन्न भागों पर मंदिर स्थापित किये । सभी जातियों के लोग उनकी प्रशंसा करते हैं और श्रद्धा के साथ उनका स्मरण करते हैं । उनके मंदिर निम्न स्थानों में हैं -
1. Chuntisara (चुंटीसरा), 2. Balaya (बलाया), 3. Barangaon (बरणगांव), 4. Phirod (फिड़ोद), 5. Kharnal (खरनाल), 6. Nagaur (नागौर), 7. Phalaudi (फलौदी), 8. Marwar Mundwa (मारवाड़ मुंडवा), 9. Sujangarh (सुजानगढ़) (Bikaner), 10. Utalad (उटालड़) (D.Churu), 11. Desh (देश), 12. Teu (टेऊ), 13. Dulchasar (दुलचासर), 14. Nathasar (नाथासर), 15. Bikaner (बीकानेर), 16. Raghunathsar (रघुनाथसर), 17. Mastramji Acharyon Ke Chok Men (मस्तरामजी आचार्यों के चोक में), 18. Vinaniya Ke Chok Men (विनानिया के चोक में), 19. Gaanvren (गांवरेन), 20. Gachhipura (ग़च्छीपुरा), 21. Jodhpur (जोधपुर), 22. Udaipur (उदयपुर), 23. Jaipur (जयपुर), 24. Nagaur (नागौर) ।
इनके शिष्यों में जोधपुर में जाटों के बास में मूरदास जी के नाम से मशहूर संत हुए हैं ।
References
- ↑ जाट इतिहास, पृ. 609
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