Sherpura Bikaner
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Sherpura (शेरपुरा) is a village in tahsil Lunkaransar of Bikaner district in Rajasthan.
The Location
The Founders
Johiya Jats.
Jat Gotras
इतिहास
Sherpura (शेरपुरा) गाँव बीकानेर जिले की लूणकरणसर तहसील में बसा है. जांगल देश का यह एक एतिहासिक गाँव है जिसका सम्बन्ध जाट गणराज्यों से जुड़ा है. इसका पिन कोड 334604 है. 16 वीं शताब्दी में राठोडों के इस भू-भाग में आने तक यहाँ जोहिया जाटों का राज्य था. शेरसिंह उनका राजा था.
शेरसिंह के नाम पर यह गाँव बसाया गया है.
जब 16 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में राठोड इस एरिया में आए, उस समय पूला सारण भाड़ंग का शासक था और उसके अधीन 360 गाँव थे. इसी ने अपने नाम पर पूलासर (तहसील सरदारशहर) बसाया था. पूला की पत्नी का नाम मलकी था, जिसको लेकर बाद में गोदारा व सारणों के बीच युद्ध हुआ. [1] मलकी के नाम पर ही बीकानेर जिले की लूणकरणसर तहसील में मलकीसर गाँव बसाया गया था.[2]
मलकीसर, पाण्डूसर, नकोदरसर, शेखसर,शेरपुरा और गोपलाणा सभी गाँव बीकानेर जिले की लूणकरणसर तहसील में हैं. संभवतः पांडू के नाम पर पाण्डूसर, शेरसिंह के नाम पर शेरपुरा और नकोदर के नाम पर नकोदरसर बसाया गया है. [3]
भूरुपाल के जोहिया
जैसलमेर, जांगल देश और मारवाड़ के बहुत से प्रदेश पर इनका राज रहा है. राठोड़ों से पहले उनके राज्य में 600 गाँव थे. शेरसिंह उनका राजा था. राठोड़ों को नाकों चने शेरसिंह ने ही चबाये थे. भूरुपाल में उनकी राजधानी थी. बीका ने गोदारों और अपनी सेना लेकर जोहिया जाटों पर आक्रमण किया. शेरसिंह ने अपनी सेनाएं इकट्ठी करके दोनों शक्तियों का सामना किया. शेरसिंह बड़ा बांका योद्धा था. बीका राठोड इस युद्ध को आसानी से नही जीत सका. अंत में विजय कि कोई सूरत न देख बीका ने शेरसिंह को षडयंत्र से मरवा दिया. [4][5][6]
ठाकुर देशराज[7] ने लिखा है चौधरी हरिश्चंद्र के पिता चौधरी रामूराम जी ने महाराजा खड़ग सिंह जी से तहसील लूणकरणसर के गाँव शेरपुरा में जमीन पट्टे पर ली। संवत 1933 में वहाँ छीला नामक गाँव बसाया। एक कुआ भी बनवाया। महाराजा जसवंत सिंह के रूई के अंगरखे में आग लग गई जिससे वे जलकर मर गए। इसके बाद रामूरम जी ने उस गाँव को छोड़ दिया।
अपने हाथ से लिखी जीवनी में चौधरी हरीश्चंद्र जी ने अपने पिताजी द्वारा जमीन छोड़ने की घटना पर कौतूहल पूर्ण प्रकाश डाला है। महाराजा खड़ग सिंह की एक पासवान थी चुरू की निवासी चम्पा बनियाणी। बुढ़ापे में वह चम्पा दादी के नाम से मशहूर थी। इसी ने महाराजा डूंगरसिंह के हमारे पिताजी के खिलाफ कान भरे और उन्होने पिताजी के गिरफ्तारी का हुक्म दे दिया। उनको पकड़वाकर किले में बंद कर दिया। किन्तु पिताजी अपनी चतुराई से किले से भाग निकले, हमें शेरपुरा से रातोंरात लेकर चल दिये। गंधेली के पास सरदारपुरा में जाकर निवास किया।
Notable persons
- Mani Ram Sihag - Sherpura[8]
Population
लेखक: Laxman Burdak लक्ष्मण बुरड़क
सन्दर्भ
- ↑ दयालदास ख्यात, देशदर्पण, पेज 20
- ↑ Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 209
- ↑ Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 213
- ↑ सुखसम्पति राय भंडारी, देशी राज्यों के इतिहास
- ↑ वाकय-राजपूताना
- ↑ ठाकुर देशराज : जाट इतिहास, पेज 624
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 16
- ↑ Kisan Chhatrawas Bikaner Smarika 1994, p.129
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