Shiv Karan Chahar
Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur |
Shiv Karan Chahar (born: 1907) (चौधरी शिवकरण चाहर), from Deorod (देवरोड की ढाणी), Chirawa, Jhunjhunu, was a Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [1]
जीवन परिचय
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी शिवकरण जी - [पृ.405]: आप चौधरी सुखलाल जी चाहर के सुपुत्र हैं। शेखावाटी में पिलानी से 4 मील के फासले पर देवरोड की ढाणी है। वही आपका गांव है। आप आरंभ में आर्य समाज के भक्त बने। आपका जन्म संवत 1964 श्रावण में हुआ था। तरुण होने पर सन 1927 में फौज में भर्ती हो गए। वहीं से आपको आर्य समाज से प्रेम हुआ। सन 1936 में अपनी नौकरी छोड़ दी और पंडित दत्तूराम जी के साथ शेखावाटी में भजनोपदेशक का कार्य करने लगे। उसके बाद जाट बोर्डिंग हाउस झुंझुनू के लिए कार्य किया। इस समय शिक्षा सदन बास घासीराम के लिए कार्य करते हैं। शेखावाटी में जिस समय प्रजा मंडल ने सत्याग्रह किया आपने जत्थे निकाले और पुलिस व ठिकाने के गुंडों द्वारा पिटाई बर्दाश्त की। आप एक सरल चित प्रचारक और जाति भक्त पुरुष है।
महरामपुर में किसानों की बृहत सभा आयोजित 1947
जयपुर राज्य किसान सभा ने महरामपुर में 16 फ़रवरी 1947 को किसानों की एक बृहत सभा आयोजित की. झुंझुनू के डिप्टी कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक, नाजिम और डिप्टी इंस्पेक्टर पुलिस बहुत से पुलिस दल के साथ पहुँच कर सारी शेखावाटी में दो महीने के लिए दफा 144 लगा दी. स्थल पर दफा 144 तोड़ने पर पंडित ताड़केश्वर शर्मा, राधावल्लभ अग्रवाल, दुर्गादत्त जयपुर, ख्याली राम मोहनपुरा, शिवकरण उपदेशक, माली राम अध्यापक, मान सिंह बनगोठडी और डूंगर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. जयपुर राज्य किसान सभा ने धरा 144 उठाने की मांग की और न उठाने पर शेखावाटी की जनता के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए विद्याधर कुलहरी, ईश्वर सिंह भैरूपुरा, देवासिंह बोचल्या, राधावल्लभ अग्रवाल और आशा राम ककड़ेऊ की एक सर्वाधिकार युक्त कमेटी बना दी जो जनता के सामने सविनय अवज्ञा भंगकरने का प्रोग्राम रखे और सत्याग्रह चलाये. साथ ही गाँवों में आये दिन होने वाले झगड़े-फसादों के समय रक्षार्थ 'किसान रक्षा दल' के संगठन का निर्णयलिया तथा 'किसान सन्देश' नामक बुलेटिन निकालने का निश्चय किया. (किसान सन्देश 13 मार्च 1947) (डॉ पेमा राम 216 )
External links
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.405
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.405
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