Khyali Ram Janu

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Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Khyali Ram Janu (born:?) was a Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement. He was born in year ..... at village Bhamarwasi in Chirawa tahsil of district Jhunjhunu in Rajasthan.[1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी ख्यालीराम - [पृ.411]: ख्यालीराम जी मोहनपुर आज का मोहनपुर और पहले का भामरवासी शेखावाटी में सदा ही उन्नत काल में रहा है। शेखावाटी के हर यज्ञ में भामरवासी ने उचित आहुति दी होती है। इसी गांव में चौधरी सेवाराम के यहां हमारे सूत्रधार का जन्म मिति पोस सुदी 13 संवत 18721 रविवार के दिन हुआ था। जन्म का नाम तो माता पिता ने कुछ और ही निकलवाया था पर खेल में अधिक रुचि रखने के कारण लाड प्यार में ख्यालीराम नाम डाल दिया। आपकी जाति गोत्र यादव था जो फिर बिगड़ते बिगड़ते जादू2 हो गया है। आपके पिता का देहांत 25 वर्ष की अवस्था में कार्तिक बदी 7 संवत 1875 के 10 बजे जब कि आप 3 साल की अवस्था में थे


नोट 1. यह तिथि गलत है। सही तिथि .... है। नोट 2 यह गोत्र जादू नहीं है जानू है। इन तथ्यों की पुष्टि राजेन्द्र कसवा से की गई है। Laxman Burdak (talk)


[पृ.412]: हो गया था। बचपन में ही जिम्मेदारी और माता पिता का इकलौता बालक होने के कारण खेलकूद में ही सदा दिलचस्पी रही है। बचपन के लक्षण आज भी जीवन में दृष्टिगोचर होते हैं। हां आप बचपन की जिम्मेदारी के कारण गांभीर्य कुछ ज्यादा बढ़ाया है।

जाट महासभा के झुंझुनू के जलसे पर यज्ञोपवीत भी ग्रहण किया और फिर जाति सेवा में कूद पड़े। किसान पंचायत में काम करना शुरू किया। किंतु भगवान को आप का दायरा विस्तृत करना था। बहुत जल्दी ही अंतरात्मा की प्रेरणा से प्रजामंडल के कार्य में सुचारु रुप से तन मन धन और पूरी लगन से टूट पड़े। गत जयपुर आंदोलन में सारा ग्रहस्थ सार्वजनिक लाइन में आ गया। यहां तक कि आपकी पत्नी सौ. किशोरी देवी जी ने भी जयपुर शहर में जुलूस निकालकर आंदोलन में जेल की हवा खाई थी। तब से अब तक एक कार्य और एक उद्देश्य को लेकर जीवन में आगे बढ़ रहे हैं। समाजवादी आदर्श के पक्के पुजारी अपने ध्येय की तरफ बढ़ने में पूरी निर्भीकता से काम करते जाते हैं। नमृता तो इतनी कि विरोधी भी झुक जाता है। आप का त्याग और नम्रता की छाप इन्हीं कारणों से गत जयपुर असेंबली के चुनाव में विरोधियों की ताकत सामने किसी को खड़ा करने तक की नहीं हुई और निर्विरोध असेंबली के मेंबर चुने गए, जहां पर जोश और भरपूर लगन एवं अदम्य साहस से दहाड़ते हैं। जिससे विरोधियों के भी छक्के छूट जाते हैं। मौके मौके पर उन्होंने अदम्य साहस दिखाकर पथ प्रदर्शन किया है। इस समय एक पुत्र और 2 पुत्रियां हैं। बड़े सुपुत्र का नाम कुंवर रणजीतसिंह है जिनकी


[पृ.413]: कुशाग्र बुद्धि और निर्भीकता का परिचय अभी इतने से बचपन से ही बराबर मिलता रहता है। बच्चे की इस कल्पना पर भविष्य की कल्पना की जा सकती है। भगवान से प्रार्थना है कि सफल पिता के सफल पुत्र साबित हो।

विद्यार्थी भवन झुंझुनू से पूरा संबंध रहा है। माताजी के निर्भीक सारे से ही सारा का सारा जीवन अवलंबित रहा है। आपके जीवन के सब कार्यों का सारा श्रेय उनकी माता जी का ही है। जिन्होंने बचपन से ही ऐसे ढांचे में ढाला है जिसका प्रभाव आज प्रकाश जीवन में दिख रहा है।

खयालीराम जी की उम्र इस समय करीबन 39 साल की है। ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारे नायक चिरंजीव हो जिससे जाति एवं समाज का लाभ पहुंचता रहे।

जीवन परिचय

मास्टर चंद्रभानसिंह गिरफ्तार :बधाला की ढाणी में विशाल आमसभा

मास्टर चंद्रभानसिंह गिरफ्तार - ठिकानेदार और रावराजा ने जाट प्रजापति महायज्ञ सीकर सन 1934 के नाम पर जो एकता देखी, इससे वे अपमानित महसूस करने लगे और प्रतिशोध की आग में जलने लगे. जागीरदार किसान के नाम से ही चिढ़ने लगे. एक दिन किसान पंचायत के मंत्री देवी सिंह बोचल्या और उपमंत्री गोरु सिंह को गिरफ्तार कर कारिंदों ने अपमानित किया. लेकिन दोनों ने धैर्य का परिचय दिया. मास्टर चंद्रभान उन दिनों सीकर के निकट स्थित गाँव पलथाना में पढ़ा रहे थे. स्कूल के नाम से ठिकानेदारों को चिड़ होती थी. यह स्कूल हरीसिंह बुरड़क जन सहयोग से चला रहे थे. बिना अनुमति के स्कूल चलाने का अभियोग लगाकर रावराजा की पुलिस और कर्मचारी हथियारबंद होकर पलथाना गाँव में जा धमके. मास्टर चंद्रभान को विद्रोह भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया और हथकड़ी लगाकर ले गये. [3]

किसान नेता घरों में पहुँच कर शांति से साँस भी नहीं ले पाए थे कि सीकर खबर मिली कि मास्टर चंद्रभान सिंह को 24 घंटे के भीतर सीकर इलाका छोड़ने का आदेश दिया है और जब वह इस अवधि में नहीं गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. ठिकाने वाले यज्ञ में भाग लेने वाले लोगों को भांति-भांति से तंग करने लगे. मास्टर चंद्रभान सिंह यज्ञ कमेटी के सेक्रेटरी थे और पलथाना में अध्यापक थे. सीकर ठिकाने के किसानों के लिए यह चुनौती थी. मास्टर चंद्रभानसिंह को 10 फ़रवरी 1934 को गिरफ्तार करने के बाद उन पर 177 जे.पी.सी. के अधीन मुक़दमा शुरू कर दिया था. [4]

यह चर्चा जोरों से फ़ैल गयी की मास्टर चन्द्रभान को जयपुर दरबार के इशारे पर गिरफ्तार किया गया है. तत्पश्चात ठिकानेदारों ने किसानों को बेदखल करने, नई लाग-बाग़ लगाने एवं बढ़ा हुआ लगान लेने का अभियान छेड़ा. (राजेन्द्र कसवा: p. 122-23)

पीड़ित किसानों ने बधाला की ढाणी में विशाल आमसभा आयोजित की, जिसमें हजारों व्यक्ति सम्मिलित हुए. इनमें चौधरी घासीराम, पंडित ताड़केश्वर शर्मा, ख्यालीराम भामरवासी, नेतराम सिंह, ताराचंद झारोड़ा, इन्द्राजसिंह घरडाना, हरीसिंह पलथाना, पन्ने सिंह बाटड, लादूराम बिजारनिया, व्यंगटेश पारिक, रूड़ा राम पालडी सहित शेखावाटी के सभी जाने-माने कार्यकर्ता आये. मंच पर बिजोलिया किसान नेता विजय सिंह पथिक, ठाकुर देशराज, चौधरी रतन सिंह, सरदार हरलाल सिंह आदि थे. छोटी सी ढाणी में पूरा शेखावाटी अंचल समा गया. सभी वक्ताओं ने सीकर रावराजा और छोटे ठिकानेदारों द्वारा फैलाये जा रहे आतंक की आलोचना की. एक प्रस्ताव पारित किया गया कि दो सौ किसान जत्थे में जयपुर पैदल यात्रा करेंगे और जयपुर दरबार को ज्ञापन पेश करेंगे. तदानुसार जयपुर कौंसिल के प्रेसिडेंट सर जॉन बीचम को किसानों ने ज्ञापन पेश किया. (राजेन्द्र कसवा: p. 123)

सरदार हरलाल सिंह को झुंझुनू पहुँचाया

प्रजामंडल के आगरा कार्यालय ने घोषणा की कि सरदार हरलाल सिंह 15 मार्च 1939 को झुंझुनू में गिरफ़्तारी देंगे. सरदार हरलाल सिंह के झुंझुनू पहुँचने की कहानी बड़ी रोचक है. पुलिस ने कमर कसली थी कि 15 मार्च 1939 को हरलाल सिंह तो क्या. किसी भी किसान को झुंझुनू नहीं पहुँचने दिया जायेगा. सरदार हरलाल सिंह आगरा में थे. पुलिस की योजना थी कि उन्हें रास्ते में ही गिरफ्तार किया जाये. लेकिन सरदार निश्चित दिवस से दो दिन पूर्व ही आगरा से रवाना हो गए. वे नारनौल तक गाड़ी में गए. वहां भेष बदला और ऊँट पर स्वर होकर रात को गुमनाम रास्ते से झुंझुनू के लिए चल पड़े. काटली नदी के किनारे बसे गाँव भामरवासी में वे ख्याली राम के घर रुके. दूसरी रात्रि को वे छुपते-छुपाते, झुंझुनू से सटी नेत की ढाणी में पहुंचे. वहां से पैदल चलकर झुंझुनू के एक सेठ रंगलाल गाड़िया के घर छुप गए. पुलिस और घुड़सवार पैनी दृष्टि गडाए थे लेकिन लम्बे-चोडे डील-डौल वाले सरदार हरलाल सिंह ने उनको चकमा दे दिया. उनको आगरा से सुरक्षित झुंझुनू पहुँचाने में ख्याली राम भामरवासी का विशेष योगदान बताया जाता है. ख्याली राम के साथ दु:साहसी युवकों की टोली रहती थी जो जोखिम भरे कार्य करने में हमेशा आगे रहती थी. (राजेन्द्र कसवा, p. 170)

चनाणा गोलीकांड

चनाणा गोलीकांड - सन 1946 में झुंझुनू जिले के चनाणा गाँव में किसान सम्मलेन का आयोजन किया गया था. सम्मलेन के अध्यक्ष नरोत्तम लाल जोशी व मुख्य अतिथि पंडित टिकाराम पालीवाल थे. किसान नेता सरदार हरलाल सिंह, नेतराम सिंह, ठाकुर राम सिंह, ख्याली राम, बूंटी राम और स्वामी मिस्रानंद आदि उपस्थित थे. सम्मलेन आरंभ हुआ ही था कि घुड़सवार, ऊँटसवार व पैदल भौमिया तलवारें, बंदूकें, भाले व लाठियां लेकर आये. सीधे स्टेज पर हमला किया जिसमें टिकाराम पालीवाल के हाथ चोट आई. दोनों ओर से 15 मिनट तक लाठियां बरसती रहीं. भौमियों के बहुत से आदमी घायल होकर गिर पड़े तो उन्होने बंदूकों से गोलियां चलाई जिससे कई किसान घायल हो गए और सीथल का हनुमान सिंह जाट मारा गया. किसानों ने हथियार छीनकर जो मुकाबला किया उसमें एक भौमिया तेज सिंह तेतरागाँव मारा गया और 10 -12 भौमियां घायल हुए. सभा में भगदड़ मच गयी और दोनों तरफ से क़त्ल के मुकदमे दर्ज हुए. आगे चलकर समझौता हुआ और दोनों ओर से मुकदमे उठा लिए गए. (डॉ. ज्ञानप्रकाश पिलानिया: पृ. 42-43)

15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).

महरामपुर में किसानों की बृहत सभा आयोजित 1947

जयपुर राज्य किसान सभा ने महरामपुर में 16 फ़रवरी 1947 को किसानों की एक बृहत सभा आयोजित की. झुंझुनू के डिप्टी कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक, नाजिम और डिप्टी इंस्पेक्टर पुलिस बहुत से पुलिस दल के साथ पहुँच कर सारी शेखावाटी में दो महीने के लिए दफा 144 लगा दी. स्थल पर दफा 144 तोड़ने पर पंडित ताड़केश्वर शर्मा, राधावल्लभ अग्रवाल, दुर्गादत्त जयपुर, ख्याली राम मोहनपुरा, शिवकरण उपदेशक, माली राम अध्यापक, मान सिंह बनगोठडी और डूंगर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. जयपुर राज्य किसान सभा ने धरा 144 उठाने की मांग की और न उठाने पर शेखावाटी की जनता के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए विद्याधर कुलहरी, ईश्वर सिंह भैरूपुरा, देवासिंह बोचल्या, राधावल्लभ अग्रवाल और आशा राम ककड़ेऊ की एक सर्वाधिकार युक्त कमेटी बना दी जो जनता के सामने सविनय अवज्ञा भंगकरने का प्रोग्राम रखे और सत्याग्रह चलाये. साथ ही गाँवों में आये दिन होने वाले झगड़े-फसादों के समय रक्षार्थ 'किसान रक्षा दल' के संगठन का निर्णयलिया तथा 'किसान सन्देश' नामक बुलेटिन निकालने का निश्चय किया. (किसान सन्देश 13 मार्च 1947) (डॉ पेमा राम 216 )

सन्दर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.411-413
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.411-413
  3. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 122
  4. डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.91

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