Hanuman Singh Jat
Hanuman Singh Jat from village Seethal (Jhunjhunu) was a Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. He was killed by Jagirdars in 1946.
जीवन परिचय
रामेश्वरसिंह[1] ने लेख किया है.... सन 1946 में चनाणा गाँव में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया। हजारों की संख्या में किसान यहां एकत्रित हुये।चनाणा का जागीरदार इसे अपने अधिकारों को चुनौती मानता था। इसे वह अपना अपमान मानता था। सम्मेलन में श्री टीकाराम जी पालीवाल इसकी अध्यक्षता कर रहे थे। सरदार हरलाल सिंह, श्री
नरोत्तम लाल जी जोशी आदि नेता इस सम्बोधित कर रहे थे।
जागीरदारों ने अपने लोगों के साथ इस समय हमला कर दिया। जागीरदारों के पास बंदूके, तलवार, भाले आदि थे किसान भी संगठित थे, पर उनके पास सिर्फ लाठियां ही थी। यहां भिड़न्त हुई, जिसमें अनेक लोग घायल हुये। यहां श्री हनुमानाराम (Seethal) जागीरदारों का प्रतिरोध करते हुए मारे गये। इनकी छतरी यहां आगे चलकर बनाई गई, जो इस वीर के बलिदान का स्मरण नई पीढ़ी को करा रही है।
चनाणा गोलीकांड
सन 1946 में झुंझुनू जिले के चनाणा गाँव में किसान सम्मलेन का आयोजन किया गया था. सम्मलेन के अध्यक्ष नरोत्तम लाल जोशी व मुख्य अतिथि पंडित टिकाराम पालीवाल थे. किसान नेता सरदार हरलाल सिंह, नेतराम सिंह, ठाकुर राम सिंह, ख्याली राम, बूंटी राम और स्वामी मिस्रानंद आदि उपस्थित थे. सम्मलेन आरंभ हुआ ही था कि घुड़सवार, ऊँटसवार व पैदल भौमिया तलवारें, बंदूकें, भाले व लाठियां लेकर आये. सीधे स्टेज पर हमला किया जिसमें टिकाराम पालीवाल के हाथ चोट आई. दोनों ओर से 15 मिनट तक लाठियां बरसती रहीं. भौमियों के बहुत से आदमी घायल होकर गिर पड़े तो उन्होने बंदूकों से गोलियां चलाई जिससे कई किसान घायल हो गए और सीथल का हनुमान सिंह जाट मारा गया. किसानों ने हथियार छीनकर जो मुकाबला किया उसमें एक भौमिया तेज सिंह तेतरागाँव मारा गया और 10 -12 भौमियां घायल हुए. सभा में भगदड़ मच गयी और दोनों तरफ से क़त्ल के मुकदमे दर्ज हुए. आगे चलकर समझौता हुआ और दोनों ओर से मुकदमे उठा लिए गए. (डॉ. ज्ञानप्रकाश पिलानिया: पृ. 42-43)
External links
References
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