Sirsali

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Sirsali (सिरसली) is a large, Jat village in Desh-khap - Baraut tahsil, Baghpat district in Uttar Pradesh.

Location

It is situated 8km away from Baraut town and 21km away from Baghpat city. Sirsali village has got its own gram panchayat. Chandayan, Mangrauli and Rahatna are some of the nearby villages

Gotra

Tomar[1]

History

क्रांति ग्राम सिरसली
क्रांति ग्राम सिरसली

सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सिरसली एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है 18 जुलाई 1857 को क्रांतिवीर शाहमल की शहादत के उपरांत सिरसली में उनके भतीजे सुज्जाराम द्वारा 84 देशखाप तथा अन्य क्रांतिकारियों को एकत्रित कर अंग्रेजी फौज पर पुनः आक्रमण की योजना तैयार की गई. इसके उपरांत सिरसली क्रांतिकारियों के मुख्यालय के रूप में सामने आया. बागपत ऐतिहासिक स्थल सर्वेक्षण योजना के अंतर्गत यह स्थल इतिहासकारों द्वारा चिन्हित किया गया. इस बाबत एक अभिलेख संलग्न है.

क्रांति ग्राम सिरसली और क्रन्तिकारी लिज्जामल जाट का परिचय

1857 की क्रांति में देश भक्त जाटों ने असंख्य बलिदान दिए उनमे से सिरसली गाँव के जाटों का अतुलनीय योगदान होने के कारन भारत सरकार व उत्तरप्रदेश सरकार ने इस ग्राम को क्रांति ग्राम का दर्जा देकर सम्मानित किया है| यह हम सभी के लिए गर्व की बात है| सिरसली ग्राम के जाट दिल्लीपति कौन्तेय महाराजा सलकपाल देव तोमर के पुत्र हरिपाल के वंशज हैं | यह ग्राम वर्तमान में तोमर देशखाप के बामनौली थाम्बे के अंतर्गत आता है|

1857 की क्रांति में सिरसली के देश भक्त जाटों ने बाबा शाहमल तोमर (कुंतल) के पौत्र लिज्जामल और भतीजे सुज्जा सिंह (सज्जन सिंह) के साथ मिलकर अंग्रेजो से स्वतन्त्रता संग्राम में लोहा लिया था | तोमर जाटों के 84 गांवों की एक महापंचायत सिरसली गांव के शिव मंदिर में बुलाई गई। यह शिव मंदिर दिल्ली तोमर जाट राजाओं द्वारा निर्मित है |इसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रणनीति तैयार की गई और सिरसली गांव को आगामी गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनाया गया था।

लिज्जामल तोमर का परिचय - क्रांतिकारी लिज्जामल तोमर (कुंतल) बाबा शाहमल का पोता और दिलसुख सिंह का बड़ा पुत्र था| जब बाबा शाहमल ने प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दे दी और अंग्रेजो ने उनके मृत शरीर से शीश काट के घुमाने का असफल प्रयास किया तो देश क्षेत्र के स्वाभिमानी लोगो के दिलो में क्रांति ज्वाला प्रज्ज्वलित हो गई उन्होंने शाहमल के पोते लिज्जामल के नेतृत्व में क्रांति का झंडा पुनः उठा लिया था| सैन्य टुकड़ी बाबा के शीश को लेकर बड़ौत पहुंची तो यहां मुख्य बाजार में उन्हे तीव्र विरोध झेलना पड़ा। उन पर पथराव हुआ और महिलाओं ने छतों से खौलता हुआ पानी उनके ऊपर उड़ेला। इसी बीच अंग्रेजों को भनक लगी कि मेरठ के रास्ते में पड़ने वाले जौहड़ी गांव में क्रांतिकारी लिज्जामल और जयराम तोमर के नेतृत्व में घात लगाए बैठे हैं। इस स्थिति में कार्ययोजना में तब्दीली करते हुए सैन्य टुकड़ी को रात के अंधेरे में दबे पांव गुजारा गया और हिंडन नदी के रास्ते मेरठ ले जाया गया।

कुछ दिन बाद लिज्जामल ने राजस्व वसूली के लिए आये अंग्रेज़ अधिकारी की हत्या कर दी थी| 20 जुलाई को लिज्जामल अपने साथी लायकसिंह तोमर और कुछ साथियों के साथ अंग्रेजी रिसाले के पीछे जा पंहुचा था| मेरठ का अंग्रेजी अधिकारी डनलप लिखता है – चौकसी की दृष्टि से हम लोग मुख्य सड़क को छोड़ कर खेतो से रातभर भटकते रहे सबेरे एक ग्रामीण मिला जिसने हम को बताया की बरनावा ग्राम विपरीत दिशा में है सामने सिरसली है यदि हम सिरसली पहुच जाते तो हमारी इस छोटी टुकड़ी का जाट काम तमाम कर देते सावधानी से चलते हुए हम दोपहर को अपनी मुख्य टुकड़ी से जा मिले जो हिंडन को पार कर रही थी तभी जाटों ने धावा बोल दिया इससे पहले अंग्रेज़ अपनी रायफल से मोर्चा लेते लिज्जामल और उसके साथियों ने अंग्रेजी टुकड़ी को काट डाला और बाबा शाहमल का सिर अपने साथ ले गए.

30 जुलाई को मुज़फ्फरनगर के जौला ग्राम में क्रांतिकारियों की एक पंचायत हुई जिसमे परसौली विद्रोही नेता ने लिज्जमल्ल को एक नीली घोड़ी दी. 23 अगस्त 1857 को शाहमल के पौत्र लिज्जामल जाट ने बड़ौत क्षेत्र से जंग की शुरुआत कर दी। 25 अगस्त को लिज्जामल ने बडौत तहसील पर कब्ज़ा कर लिया था| लिज्जामल ने 26 अगस्त को सरधना तहसील पर कब्ज़ा कर लिया था|

6 सितम्बर 1857 को धोखे से लिज्जामल को पकड़ लिया गया लिज्जामल को बंदी बना कर उसके साथियों जिनकी संख्या 32 बताई जाती है इन सभी को फ़ासी दे दी गई। जिस बरगद के पेड़ पर फाँसी दी गयी वो आज भी बिजरोल में मौजूद है

Population

Population of Sirsali according to Census 2011, stood at 5966 (Males: 3280, Females: 2686).[2]

Notable persons

  • लिज्जामल तोमर (कुंतल) (death:6.9.1857): क्रांतिकारी लिज्जामल तोमर (कुंतल) बाबा शाहमल का पोता और दिलसुख सिंह का बड़ा पुत्र था| जब बाबा शाहमल ने प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दे दी और अंग्रेजो ने उनके मृत शरीर से शीश काट के घुमाने का असफल प्रयास किया तो देश क्षेत्र के स्वाभिमानी लोगो के दिलो में क्रांति ज्वाला प्रज्ज्वलित हो गई उन्होंने शाहमल के पोते लिज्जामल के नेतृत्व में क्रांति का झंडा पुनः उठा लिया था|
Yash Vir Singh Tomar-9.jpg
  • Yash Vir Singh Tomar (Hav) (4.1.1960-13.6.1999) , Vir Chakra, Aged 39, from Sirsali village in Bagpat district Uttar Pradesh died on 12 June 1999 in Kargil War. He was in Unit-2 Rajputana Rifles.
  • Er.Richhpal Singh Tomar (Mechanical) Chief Engineer UPPCL in Uttar Pradesh
  • Shree Lal Singh Verma (Tomar) IG of Police (5 July 1977 to 11 March 1980)

Gallery

External links

References



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