Sunet

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Location of Sunet in Ludhiana district

Sunet (सुनेत) is a village in tahsil Ludhiana West of district Ludhiana in Punjab.

Variants of name

Location

Sunet is located in west of Ludhiana City.

Mention by Panini

Sunetra (सुनेत्र) is a place name mentioned by Panini in Ashtadhyayi under Sankaladi (संकलादि) (4.2.75) group. [1]


Saunetra (सौनेत्र), modern Sunet (सुनेत) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [2]

History

V. S. Agrawala[3] writes that Panini mentions Saunetra (सौनेत्र) - modern Sunet in Ludhiana district, three miles south west of Ludhiana town, with a large mound and other ruins indicative of an old city; here were found Yaudheya, Āgreya and other coins of the pre-Christian period.


V S Agarwal [4] writes about Yaudheya (V.3.117) – Panini’s reference to Yaudheyas is the earliest known. The Yaudheyas have a long history as shown by their inscriptions and coins of different ages, and were existing up to the time of Samudragupta. Their coins are found in the east Punjab (now Haryana) and all over the country between the Sutlej and Jamuna, covering a period of about four centuries, 2nd century BC to 2nd century AD. The Mahabharata mentions Rohitaka as the capital of Bahudhāñyaka Country, where a mint site of the Yaudheyas of Bahudhanyaka was found by the late Dr Birbal Sahani. Sunet mentioned by Panini as Sunetra was a centre of Yaudheyas where their coins, moulds and sealings have been found. The Yaudheyas do not seem to have come into conflict with Alexander, since they are not named by the Greek writers. The Johiyas who are found on the banks of the Sutlej along the Bahawalpur frontier may be identified as their modern descendants (ASR, xiv, p.114).

इतिहास

स्वामी ओमानन्द सरस्वती लिखते हैं -

इधर लुधियाना के निकट का सुनेत (सौनेत्र) का उजड़ा हुआ प्राचीन दुर्ग भी यह साक्षी दे रहा है कि यौधेय पंजाब में भी बहुत दूर तक बढ़े हुये

वीरभूमि हरयाणा, पृष्ठान्त-88


थे । इस प्रान्त के अन्य प्राचीन उजड़-खेड़ों (दुर्गों) की भांति हमें इस सुनेत के खेड़े से भी पर्याप्‍त संख्या में यौधेयों की भिन्न-भिन्न प्रकार की मुद्रायें (सिक्के) और उनके ठप्पे (moulds) जिन्हें सामान्य भाषा में साँचा कहा जाता है, मिले हैं, जो कि "हरयाणा प्रान्तीय पुरातत्त्व संग्रहालय गुरुकुल झज्जर" में विद्यमान हैं । सुनेत में भी यौधेयों की एक बड़ी विशाल टकसाल थी । मुद्रा एवं उनके ठप्पों के अतिरिक्त हमें सुनेत से मिट्टी की मोहरें भी पर्याप्‍त संख्या में उपलब्ध हुई हैं, जिन पर ब्राह्मी अक्षरों में लेख हैं । इसके लिए उपर्युक्त सामग्री प्रत्यक्ष प्रमाण है कि यह क्षेत्र यौधेयों के अधिकार में पर्याप्‍त समय तक और बहुत पीछे तक रहा है । क्योंकि यहाँ से जो ठप्पे प्राप्‍त हुए हैं, उनमें यौधेयों की अन्तिम मुद्रा "यौधेय गणस्य जय" के ठप्पे पर्याप्‍त संख्या में प्राप्‍त हुये हैं ।

दलीप सिंह अहलावत[5] लिखते हैं:

यौधेय की प्राचीन मुद्रायें लुधियाना के सुनेत स्थान से प्राप्त हुई हैं। सोनीपत (हरयाणा) के किले से और सतलुज तथा यमुना के मध्यवर्ती कई स्थानों से यौधेयों के सिक्के प्राप्त हुए हैं, जो कि भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं। शुंग काल के सिक्कों पर चलते हुए हाथी और सांड (बैल) की मूर्ति अंकित मिलती है। उन सिक्कों पर ‘यौधेयानाम्’ ऐसा लिखा है। दूसरी तरह के सिक्कों पर ‘यौधेयगणस्य जय’ लिखा है। इस सिक्के पर एक योद्धा के हाथ में भाला लिए त्रिभंगी गति से खड़ी हुई मूर्ति बनाई गई है। तीसरी तरह के सिक्कों पर उन्होंने युद्ध के देवता कार्तिकेय (जो शिवजी का बड़ा पुत्र था) की मूर्ति अंकित की है। कुछ सिक्कों पर ‘हि’ और ‘त्रि’ भी लिखा हुआ पाया गया है।

Jat gotras

Population

Notable persons

External links

References


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