Topra

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Ashokan Pillar at the ruined palace in Feroz Shah Kotla, shifted from Topra Kalan to Delhi called the Delhi-Topta pillar.

Topra (टोपरा) or Topra Kalan is a village in Jagadhri tahsil in Yamunanagar district of Haryana.

Variants

History

We know of the transfer of the Ashokan (273-236 BC) pillars from Topra and Meerut to Delhi. Though many scholars have tried to identify Chandra of this inscription, it remains a baffling problem. The generally accepted view is to identify him with Chandragupta II. [1]

The Ashokan pillar in the grounds of Feroz Shah Kotla, is known as the Delhi-Topta Pillar.

The Ashokan Pillar erected above the palace building at Feroz Shah Kotla is 13 metres (43 ft) high (with one metre below the platform) and made of sandstone. It is finished very well vis-à-vis the second pillar located in Delhi at the ridge. The inscription in Brahmi script, which was deciphered by James Princep, a renowned scholar in Indian antiquarian studies in 1837, conveys the same message as the other Ashokan Pillars erected such as "code of dharma:virtue, social cohesion and piety" but with one difference that on this pillar there is also a reference to issues related to taxation. The building that houses the pillar is a three-storied structure built in rubble masonry. It has a large number of small domed rooms in the first and second floors, with links to the roof. Rooms on each floor have arched entrances, which are now stated to be used for pujas (worship). It is a pyramidal shaped structure with reducing size at each level with the pillar installed on the terrace of the building. It is conjectured that originally the pillar had a lion capital (similar to the Ashoka Emblem), which is the National Emblem of India. Feroz Shah is said to have embellished the top of the pillar with frescoes in black and white stone topped with a gilded copper cupola. But at present, what is visible is the smooth polished surface of the pillar, and an elephant carving added much later.

It has also been noted that this pillar, apart from the Ashokan edict, has another set of text inscribed in Sanskrit "below and around Ashokan edict", in nagari script. This inscription records: "the conqests of Visala Deva, Vigraharaja IV (1163 AD) of the Chauhan dynasty, which was still ruling over Delhi at the time of Ghurid conqests in the 1190s, and his victories over a Mlechha (presumably "Ghaznavid or Gharid"). With this finding, it has been inferred that Visala Deva reused this pillar to record his triumphs in wars. The Ashoka edict is in Brahmi script containing seven edicts of the king. In later centuries, minor records of pilgrims and travellers were inscribed on it. A Sanskrit engraving records the conquests of Chauhan king Visala .

Villagers resolution

James Princep had decoded these edicts. Alexander Cunningham had confirmed that the pillar was brought from Topra Kalan village (Ambala). Topra was an important trade center on the Mathura - Taxila (now in Pakistan) route. The Topra villagers have passed a resolution to bring back the above pillar.[2]

तोपरा

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...Topara तोपरा (जिला यमुनानगर, हरियाणा) (AS, p.412) - एक ऐतिहासिक स्थान जो हरियाणा में अम्बाला के निकट स्थित है। तोपरा को टोपरा भी कहा जाता है। तोपरा में अशोक द्वारा एक स्तम्भ स्थापित करवाया गया। इस स्तम्भ पर अशोक की 1-7 धर्मलिपियां उत्कीर्ण हैं। फ़िरोज़शाह तुग़लक़ (1351-1388 ई.) इस स्तम्भ को उठाकर दिल्ली ले गया, जहाँ यह आज भी सुरक्षित है। इस स्तंभ को दिल्ली-तोपरा स्तंभ कहा जाता है. यह अब फ़िरोजशाह की लाट के नाम से प्रसिद्ध है।

टोपरा कलां में स्थापित होगा अशोक स्तंभ का प्रारूप

दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में स्थापित अशोक स्तंभ का रेप्लिका (डुप्लीकेट) जिले में रादौर खंड के गांव टोपरा कलां में स्थापित किया जाएगा। साथ ही गांव में प्राचीन भारत की सभ्यता एवं संस्कृति के स्रोत एकत्रित कर विश्वविद्यालय बनाने पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। टोपरा कलां की पंचायत ने गांव में अशोक स्तंभ लगाने व पार्क बनाने के लिए दो एकड़ जमीन दी है। [4]

फिरोजशाह ले गया था स्तंभ को: दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में जो अशोक स्तंभ लगा हुआ है, वह जिले के गांव टोपरा कलां से ही ले जाया गया था। इतिहासकार डॉ. राजपाल ने बताया कि सम्राट अशोक ने गुजरात की गिरनार की पहाड़ियों में इस स्तंभ को बनवाया था, जिसकी लंबाई 42 फीट व चौड़ाई 2.5 फीट है। इस स्तंभ पर प्राचीन लिपी ब्राह्मी और प्राकृत भाषा में लिखी गई उनकी सात राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं। देश का यह एकमात्र स्तंभ है, जिस पर सात राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं। 1453 में फिरोजशाह तुगलक जब टोपरा कलां में शिकार के लिए आए तब उसकी नजर इस स्तंभ पर पड़ी। पहले वे इसे तोड़ना चाहते थे, लेकिन बाद में इसे अपने साथ दिल्ली ले जाने का मन बनाया। इस बात का वर्णन इतिहासकार श्यामे सिराज ने तारीकी -फिरोजशाही में किया है।

यमुना के रास्ते इस स्तंभ को दिल्ली ले जाने के लिए एक बड़ी नाव तैयार की गई। स्तंभ पर कोई खरोंच न पडे़ इसके लिए उसे रेशम व रुई में लपेट कर ले जाया गया। डॉ. राजपाल ने बताया कि टोपरा से यमुना नदी तक इसे ले जाने के लिए 42 पहियों की गाड़ी तैयार की गई थी, जिसे आठ हजार लोगों ने खींचा था। 18वीं शताब्दी में सबसे पहले एलेग्जेंडर कनिंघम ने साबित किया था कि यह स्तंभ टोपरा कलां से लाया गया है। उसके सहकर्मी जेम्स पि्रंसेप ने पहली बार ब्राह्मी लिपी में लिखे संदेश को पढ़ा था।

द बुद्धिष्ठ फोरम के अध्यक्ष सिद्धार्थ गौरी का कहना है कि फिरोजशाह कोटला में लगे स्तंभ को वापस लाना मुश्किल है इसलिए इसका प्रारुप तैयार कराया जाएगा। जिसे टोपरा कलां में स्थापित किया जाएगा। इस पार्क पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसके लिए डोनेशन लिया जाएगा। साथ ही श्रीलंका ने भी मदद का आश्वासन दिया है।

गांव की सरपंच रामकली ने बताया कि यहां अशोक स्तंभ को स्थापित करने व पार्क बनाने के लिए पंचायत ने दो एकड़ जमीन दी है। उनकी कोशिश रहेगी कि यह पार्क विश्व का ऐसा पार्क बने, जिसमें मोर्यकाल की जीवन शैली व आर्ट कल्चर को संजोया जाए।

Jat Gotras

Nehra

Notable persons

Jagmal Singh Nehra INLD

External Links

References


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