Uragapura
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Uragapura (उरगपुर) was one of three capitals of Chola dynasty.
Origin
Variants
- Urag (उरग) = Uragapura (उरगपुर) (AS, p.100)
- Urgapur
- Uragpur (उरगपुर)
- Urayiyura (उरयियूर)= Uragapura (उरगपुर) (AS, p.100)
- Uraiyur
- Urayur
- Uragakhyapura उरगाख्यपुर (AS, p.487)
History
Urayur (now a part of Thiruchirapalli) was the oldest capital of Cholas.[1] Kaveripattinam also served as an early Chola capital.[2] The Mahavamsa mentions that an ethnic Tamil adventurer, a Chola prince known as Ellalan, invaded the island Sri Lanka and conquered it around 235 BCE with the help of a Mysore army.[3][4]
Uraiyur
Uraiyur is an area of Tiruchirapalli in Tamil Nadu, India. It was the capital of the early Cholas and Muthurajas, who were one of the three main kingdoms of the ancient Tamil country. Sometimes spelt as Urayur, this location is also known as Thirukkozhi, Nikalaapuri, Uranthai, and Kozhiyur or Koliyur. It has a history dating back to before 200 BCE.
Uraiyur is also mentioned as the capital of the ancient great Chola King Karikalan and Mutharaiyar before the 1st century CE until the dynasty was revived by Vijayalaya Chola c. 850 CE. The Cholas were one of the four great Tamil dynasties; (Pallavas, Cheras and Pandyas are the other three) who ruled over the Tamil country in South India, the Konkan coast, Deccan Plateau and during the peak reached beyond the Narmada up to the Ganges – Damodar delta from early antiquity.
The word Urayur in Tamil literally means "the residence". Urayur was an ancient Chola city with a fortress and city wall on the southern banks of the river Kaveri. The Imperial Cholas of the 9th century CE and later made Tanjavur their capital, and Urayur slowly lost its place in the Chola administration.
Jat History
Dr Naval Viyogi[5] has mentioned the history of Sor Jat clan. According to him Cher, Chola and Pandyas have been important indigenous tribes of Ancient India. H.L. Kosare [6] puts forth his opinion on their origin and history. Urgapur was one of the towns of Nagas of southern region. We have enough information on this issue. Ptolemy has informed that the name of the chief city of southern Cholas was Aur-Thaur. Aur-Thaur was capital of Shor Nagas and it was under Shoartai [7]. The word Shor is synonymous of Sor or Chol of Tamil language. It is quite clear from the name of Shor nagas that Aur-Thaur was the capital of the naga kings; whosoever, he was called Shor (Chola) because he was the ruler of Shor-Tai.[8]
उरग - उरगपुर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[9] ने लेख किया है ... उरग - उरगपुर (AS, p.100): उरगपुर चोल साम्राज्य की तीन राजधानियों में से पहली थी। महाकवि कालिदास ने 'उरग' का अपने महाकाव्य 'रघुवंश'[6,59] में उल्लेख किया है- 'अथोरगाख्यपुरस्य नाथं दौवारिकी देवसरूपमेत्य, इतश्चकोराक्षि विलोकयेति पूर्वानुशिष्टां निजगाद भोज्याम्'।
मल्लिनाथ ने इसकी टीका करते हुए लिखा है, 'उरगाख्यस्त पुरस्यपंड्यदेशे कान्यकुब्जतीरवर्ति नागपुरस्य'। इससे ज्ञात होता है कि 'उरगपुर' कान्यकुब्ज नदी के तट पर बसा हुआ था। एपिग्राफ़िका इंडिका 10,103 में उरगपुर को अशोक कालीन चोल देश की राजधानी बताया है, जिसे 'उरयियूर' भी कहते थे। यह 'त्रिशिरापल्ली' और 'त्रिचनापल्ली' का ही प्राचीन नाम था। मल्लिनाथ का नागपुर वर्तमान 'नेगापटम' (ज़िला राजमहेन्द्री- मद्रास) है।
उरगपुर का वर्तमान प्रतिनिधि त्रिचनापल्ली के पास 'उरय्युर' है। एक समय 'उरगपुर' पल्लवों के अधिकार में था। जब उनकी चालुक्यों से शत्रुता चल रही थी, तब जैसा कि चालुक्य अभिलेख [10] से प्रकट है कि चालुक्य राज विक्रमादित्य प्रथम ने कांची पर तो अधिकार कर ही लिया, 'महामल्ल' के कुल का नाश करता हुआ वह उरगपुर तक जा पहुँचा था। करिकाल चोल ने पांड्यों का आधिपत्य हटाकर उरगपुर को वीरान कर दिया था। इसी नगर के निकट से चोलों की शक्ति का उत्कर्ष 850 ई. से पहले विजयालय ने किया।[11]
चोल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[12] ने लेख किया है ...1. चोल (AS, p.345): सुदूर दक्षिण का प्रदेश-- कोरोमंडल या चोलमंडल. महाभारत सभा पर्व है 31,71 में चोल या चोड़ प्रदेश का उल्लेख है. इसे सहदेव ने दक्षिण की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में जीता था-- 'पाण्ड्यांश च द्रविड़ांश्चैव सहितांश चॊड्र केरलैः'. चोड का पाठांतर चोड्र भी है. वन पर्व 51,22 में में चोलों का द्रविड़ों और आंध्रों के साथ उल्लेख है-- 'सवंङ्गाङ्गान स पौण्ड्रोड्रान सचॊल द्रविडान्धकान'. सभा पर्व 51 में केरल और चोल नरेशों द्वारा युधिष्ठिर को दी गई भेंट का उल्लेख है--'चंदनागरुचानन्तं मुक्तावैदर्य चित्रिका:, चोलश्च केरलश्चोभौ ददतु: पाण्डवायवै'.
अशोक के शिलालेख 13 में चोल का प्रत्यंत (पड़ोसी) देश के रूप वर्णन है. प्राचीन समय में यहां की मुख्य नदी कावेरी थी. चोल प्रदेश की राजधानी उरगपुर या वर्तमान त्रिशिरापल्ली (त्रिचनापल्ली, मद्रास) में थी. इसे उरयियूर भी कहते थे. किंतु कालिदास ने (रघुवंश 6,59) 'उरगाख्यपुर' को पाण्ड्य देश की राजधानी बताया है. अवश्य ही यह भेद इतिहास के विभिन्न कालों में इन दोनों पड़ोसी देशों की सीमाएं बदलती रहने के कारण हुआ होगा. चोल नरेशों ने प्राचीन काल और मध्यकाल में [p.346]: शासन की जनसत्तात्मक पद्धति शापित की थी जिसमें ग्राम पंचायतों और ग्राम समितियों का बहुत महत्व था. यह सूचना हमें चोल नरेशों के अनेक अभिलेखों से मिलती है.
External links
References
- ↑ Tripathi (1967), p. 457
- ↑ Sastri (2002), p. 113
- ↑ Tripathi (1967), p. 457
- ↑ R, Narasimhacharya (1942). History of the Kannada Language. Asian Educational Services. p. 48. ISBN 9788120605596.
- ↑ Dr Naval Viyogi: Nagas – The Ancient Rulers of India, p. 310
- ↑ H.L. Kosare, P.47
- ↑ E.A. 8 P-368
- ↑ D.R. Bhandarkar, Ram Prakash Ojha "Ashoka" PP 35-36
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.100
- ↑ एपिग्राफ़िका इंडिका, खंड 10, पृ. 100-106)
- ↑ भारतकोश-उरगपुर
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.345