Second World War
Author: Dayanand Deswal दयानन्द देसवाल |
World War II (abbreviated as WW-II or WW2), also known as the Second World War, was a global war that lasted from 1939 to 1945 (although related conflicts began earlier). It involved the vast majority of the world's countries—including all of the great powers - eventually forming two opposing military alliances: the Allies and the Axis. It was the most widespread war in history, and directly involved more than 100 million people from over 30 countries. In a state of "total war", the major participants threw their entire economic, industrial, and scientific capabilities behind the war effort, erasing the distinction between civilian and military resources. Marked by mass deaths of civilians, including the Holocaust (in which approximately 11 million people were killed) and the strategic bombing of industrial and population centres (in which approximately one million were killed, and which included the atomic bombings of Hiroshima and Nagasaki), it resulted in an estimated 50 million to 85 million fatalities. Thia made the World War II the deadliest conflict in human history.[1]
World War II altered the political alignment and social structure of the world. The United Nations (UN) was established to foster international co-operation and prevent future conflicts. The victorious great powers - the United States, the Soviet Union, China, the United Kingdom, and France - became the permanent members of the United Nations Security Council. The Soviet Union and the United States emerged as rival superpowers, setting the stage for the Cold War, which lasted for the next 46 years. Meanwhile, the influence of European great powers waned, while the decolonisation of Asia and Africa began. Most countries whose industries had been damaged, moved towards economic recovery. Political integration, especially in Europe, emerged as an effort to end pre-war enmities and to create a common identity.
WW-II in Jat History
Please read Jatland page Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter X (Pages 846-876)
List of Jat Recipients of Victoria Cross during WW-II
- Subedar Richhapal Ram Lamba
- CHM Chhailu Ram
- Major Prakash Singh
- Sepoy Ishwar Singh
- Naik Nand Singh
- Sepoy Kamal Ram
- Jamadar Gyan Singh
- Captain Param Jit
- Abdul Hafiz - He was of First Jat Batalion, Ranghar by caste.
List of Jat Recipients of Military Cross during WW-II
- Subedar Chhotu Ram Shyoran (17.5.1912-6.1.1982) from village Ahulana, tahsil Gohana, district Sonipat (Haryana) was born in the family of Sh. Molu Ram Shyoran and Smt. Basanti Dewee. He joined 15 Punjab Regiment in 1932 and soon promoted to the post of Subedar. He fought World War II in Burma and was awarded with Military Cross, Burma Star and War Medal for his acts of bravery. In addition to this he was allotted an agricultural land in Montgomery, Pakistan which was transferred to Puthi Gohana, Gohana, Sonipat, Haryana after division of the country.
List of Jats in World War-II
- Boyat Ram Dudi (1923-30.01.2023) was a soldier of Raj Rifles. He retired from Indian Army in 1957. He was from Bhorki village in Udaipurwati tahsil of Jhunjhunu district in Rajasthan. He fought bravely at six fronts in World War-II for which he was awarded 6 Sena Medals. He was sent to Libya and Africa during World War-II.
द्वितीय विश्वयुद्ध और आज़ाद हिन्द फ़ौज
आज़ाद हिन्द फ़ौज की प्रथम डिवीजन का गठन 1 दिसम्बर, 1942 ई. को मोहन सिंह के अधीन हुआ। इसमें लगभग 16,300 सैनिक थे। कालान्तर में जापान ने 60,000 युद्ध बंदियों को आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल होने के लिए छोड़ दिया। जापानी सरकार और मोहन सिंह के अधीन भारतीय सैनिकों के बीच आज़ाद हिन्द फ़ौज की भूमिका के संबध में विवाद उत्पन्न हो जाने के कारण मोहन सिंह एवं निरंजन सिंह गिल को गिरफ्तार कर लिया गया। आज़ाद हिन्द फ़ौज का दूसरा चरण तब प्रारम्भ हुआ, जब सुभाषचन्द्र बोस सिंगापुर गये। सुभाषचन्द्र बोस ने 1941 ई. में बर्लिन में 'इंडियन लीग' की स्थापना की, किन्तु जब जर्मनी ने उन्हें रूस के विरुद्ध प्रयुक्त करने का प्रयास किया, तब कठिनाई उत्पन्न हो गई और बोस ने दक्षिण पूर्व एशिया जाने का निश्चय किया।
जुलाई, 1943 ई. में सुभाषचन्द्र बोस पनडुब्बी द्वारा जर्मनी से जापानी नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुँचे। वहाँ उन्होंने दिल्ली चलो का प्रसिद्ध नारा दिया। 4 जुलाई, 1943 ई. को सुभाषचन्द्र बोस ने 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' एवं 'इंडियन लीग' की कमान को संभाला। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सिपाही सुभाषचन्द्र बोस को नेताजी कहते थे। बोस ने अपने अनुयायियों को 'जय हिन्द' का नारा दिया। उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 ई. को सिंगापुर में अस्थायी भारत सरकार 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की। सुभाषचन्द्र बोस इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सेनाध्यक्ष तीनों थे। वित्त विभाग एस.सी चटर्जी को, प्रचार विभाग एस.ए. अय्यर को तथा महिला संगठन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा गया।
फ़रवरी से जून, 1944 ई. के मध्य आज़ाद हिन्द फ़ौज की तीन ब्रिगेडों ने जापानियों के साथ मिलकर भारत की पूर्वी सीमा एवं बर्मा से युद्ध लड़ा, परन्तु दुर्भाग्यवश दूसरे विश्व युद्ध में जापान की सेनाओं के मात खाने के साथ ही आज़ाद हिन्द फ़ौज को भी पराजय का सामना करना पड़ा। आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक एवं अधिकारियों को अंग्रेज़ों ने 1945 ई. में गिरफ़्तार कर लिया। साथ ही एक हवाई दुर्घटना में सुभाषचन्द्र बोस की भी 18 अगस्त, 1945 ई. को मृत्यु हो गई। हालांकि हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु अभी भी संदेह के घेरे में है। बोस की मृत्यु का किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। लोगों को लगा कि किसी दिन वे फिर सामने आ खड़े होंगे। आज इतने वर्षों बाद भी जनमानस उनकी राह देखता है।
आज़ाद हिन्द फ़ौज के गिरफ़्तार सैनिकों एवं अधिकारियों पर अंग्रेज़ सरकार ने दिल्ली के लाल क़िले में नवम्बर, 1945 ई. को मुकदमा चलाया। इस मुकदमें के मुख्य अभियुक्त कर्नल सहगल, कर्नल ढिल्लों एवं मेजर शाहवाज ख़ाँ पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। इनके पक्ष में सर तेजबहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरू, भूला भाई देसाई और के.एन. काटजू ने दलीलें दी। लेकिन फिर भी इन तीनों की फांसी को सज़ा सुनाई गयी। इस निर्णय के ख़िलाफ़ पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया हुई, नारे लगाये गये- "लाल क़िले को तोड़ दो, आज़ाद हिन्द फ़ौज को छोड़ दो।" विवश होकर तत्कालीन वायसराय लॉर्ड वेवेल ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर इनकी मृत्युदण्ड की सज़ा को माफ कर दिया।[2]
Also see
External Links
- World War-II 1039-1945 - britannica.com website
- WW-II - page at BBC website
- http://www.history.com/topics/world-war-ii
- https://en.wikipedia.org/wiki/World_War_II