Bhairu Singh Payal
Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur |
Bhairu Singh Payal (भैरोसिंह पायल तोगड़ा) was a Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement. He was born at village Togra Kalan in Nawalgarh tahsil of district Jhunjhunu in Rajasthan.[1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....भैरोसिंह जी - [पृ.425]: आप तोगड़ा (झुंझुनू) निवासी चौधरी जीवनराम जी पायल के पुत्र हैं। आपके एक छोटे भाई और थे जिनका पिछले दिनों स्वर्गवास हो चुका है। आपके दो कन्या हैं जो आजकल विद्यार्थी भवन झुंझुनू में शिक्षा पा रही हैं। आप युवावस्था के आरंभ से ब्रिटिश पलटन में भर्ती हो गए। आप कट्टर आर्य समाजी विचार रखते थे। जिन्हें आप पलटन में रहकर भी निभाते रहे। आखिर एक दिन आपके मनचले साथी ने अपनी बंदूक से पलटन को गोश्त सप्लाई करने वाले कुछ कसाइयों को बूचड़खाने में गायों को ले जाते हुए मार दिया। उसी अपराध में उस युवक को फांसी की सजा हुई और उसे सहायता देने के अपराध में आपको
[पृ.426]: पलटनी नौकरी से छुट्टी दे दी। इस घटना से आपके विचारों में भारी उथल-पुथल मची और आपने सार्वजनिक कार्य में लगे रहने का निश्चय किया। उन दिनों शेखावाटी के किसान जिन में एक बड़ी संख्या जाटों की है, यहां जुल्मी ठिकानेदारों के जुल्मों के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए अपना संगठन कर रहे थे। आप फोरन की उस संगठन में शामिल हो गए। आपने जाट किसान पंचायत के तत्वावधान में अविरल परिश्रम से काम किया। पंचायत स्थगित होने पर आप प्रजामंडल का कार्य उसी उत्साह से करते रहे। 1939 के सत्याग्रह में आपने जी तोड़ कार्य किया। सत्याग्रह के बाद आप अपना समस्त समय सार्वजनिक कार्यों को देकर प्रजामंडल जिला कमेटी झुंझुनू के आदेशानुसार कार्य करते रहे तथा उक्त कमेटी की कार्यकारिणी के आप आज तक सदस्य हैं।
कुछ दिनों से आप विद्यार्थी भवन झुंझुनू की सेवा कर रहे हैं और अपना तमाम समय संस्था के अर्थसंग्रह में लगा रहे हैं।
पिछले दिनों बीबासर गांव में ठिकानेदारों के विरुद्ध जो मोर्चा किसानों की ओर से लगाया गया था उसके दलपति आप ही थे। वहीं से आपको अन्य 13 साथियों सहित लगान बंदी अपराध में गिरफ्तार किया और प्रजामंडल के साथ समझौता होने पर ही 22 अप्रैल 1946 को आप को मुक्त किया गया। आजकल आप स्वस्थ हैं और कुछ दिन के लिए घर पर रहकर दवाइयां ले रहे हैं। आप बहुत सी उत्साही युवक और और कर्तव्यनिष्ठ सिपाही हैं। आप जैसे ही सिपाहियों पर ही यहां के कार्यकर्ताओं को गौरव है।
जीवन परिचय
भिवानी जाने वाले शेखावाटी के जत्थे - शेखावाटी में किसान आन्दोलन और जनजागरण के बीज गांधीजी ने सन 1921 में बोये. सन् 1921 में गांधीजी का आगमन भिवानी हुआ. इसका समाचार सेठ देवीबक्स सर्राफ को आ चुका था. सेठ देवीबक्स सर्राफ शेखावाटी जनजागरण के अग्रदूत थे. आप शेखावाटी के वैश्यों में प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने ठिकानेदारों के विरुद्ध आवाज उठाई. देवीबक्स सर्राफ ने शेखावाटी के अग्रणी किसान नेताओं को भिवानी जाने के लिए तैयार किया. भिवानी जाने वाले शेखावाटी के जत्थे में आप भी प्रमुख व्यक्ति थे. [3]
पुष्कर सम्मलेन के पश्चात् शेखावाटी में दूसरी पंक्ति के जो नेता उभर कर आये, उनमें भैरूसिंह तोगडा प्रमुख नाम हैं।
बीबासर में लगान वसूली के खिलाफ धरना
5 जनवरी 1946 को मंडावा ठिकाने के कर्मचारी गाँव बीबासर में लगान लेने पहुंचे. उन्होंने किसानों को धमकाना शुरू कर दिया. किसी भी तरीके से लगान लेना चाहते थे. कुछ भयभीत किसानों ने लगान दे दिया था. सत्यदेव सिंह के नेतृत्व में वहां किसान कार्यकर्ताओं ने धरना दिया. हरदेव सिंह बीबासर, भौरु सिंह तोगडा सहित आस-पास के गाँवों के अनेक किसान कार्यकर्ताओं का जमघट लग गया. धरना रात-दिन निरंतर चलता था. किसान रात को समय बिताने के लिए वे देशभक्ति के गीत गाने लगे. सत्य देव सिंह धरना स्थल से थोड़ा हटकर घूम रहे थे. सहसा ही गोली चलने की आवाज आई. धरना-स्थल के किसान चोकन्ने हो गए. उन्हें लगा की ठिकानेदारों के कारिंदों ने गोली चलाई है. लेकिन कारिंदों में कोई हलचल नहीं हुई. बाद में पता लगा कि बीबासर गाँव का डकैत सूरजभान वहीँ पहाड़ी पर छिपा हुआ था. अँधेरा होने पर उसने ठिकानेदारों का कैम्प समझकर गोली चलादी. सौभाग्य से गोली किसी को लगी नहीं. असलियत प्रकट होने पर सूरजभान ने भी खेद प्रकट किया. रात को ही पुलिस गाँव में आ गयी थी. यह देख कर सूरजभान वहां से तुरंत फरार हो गया. [4]
पुलिस ने बीबासर में 17 किसानों को गिरफ्तार किया ये सभी पैदल जाने को तैयार नहीं थे. पुलिस के पास ऐसी गाड़ी नहीं थी, जिसमें पंद्रह व्यक्ति बैठ सकें. गिरफ्तार किसानों को वहीँ छोड़ दिया गया. धरना बराबर चलता रहा. आखिर 15 जनवरी को पुलिस द्वारा बीबासर गाँव से 13 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जयपुर सेन्ट्रल जेल में डाल दिया. इनमें प्रमुख थे - सत्यदेव सिंह देवरोड़, भैरू सिंह तोगडा, ओंकार सिंह हनुमानपुरा, नत्थू सिंह एवं अर्जुन सिंह सम्मिलित थे. बाद में ताड़केश्वर शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. [5]
सन्दर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.425-426
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.425-426
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 70
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), प्रकाशक: कल्पना पब्लिकेशन, जयपुर, फोन: 0141 -2317611, संस्करण: 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p. 192
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), प्रकाशक: कल्पना पब्लिकेशन, जयपुर, फोन: 0141 -2317611, संस्करण: 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p. 192
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