Birda Ram Burdak
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Birda Ram Burdak (बिरदा राम बुरड़क ), from village Palthana (Sikar), was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.
जीवन परिचय
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....चौधरी बिरधूराम जी - [पृ.309]: पलथाना ऐसा गांव है जहां जागृति का बिगुल बजा
[पृ.310]: तब वहां ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ता और लीडर हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। चौधरी जोधाराम जी के पुत्र चौधरी बिरधूराम जी पलथाना के धनी आदमियों में से हैं। उन्होंने जाट महायज्ञ से ही काम आरंभ किया था और जाट आंदोलन में गिरफ्तार भी हुए थे। आपने जाट बोर्डिंग हाउस सीकर को 1100 रुपए दान देकर एक कमरा बनवाया हुआ है। आपके पुत्र श्री चंद्रसिंह जी हैं। भाई आप के आठ हैं। आपका जन्म संवत 1948 विक्रम में हुआ था।
सीकर में जागीरी दमन
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है .... जनवरी 1934 के बसंती दिनों में सीकर यज्ञ तो हो गया किंतु इससे वहां के अधिकारियों के क्रोध का पारा और भी बढ़ गया। यज्ञ होने से पहले और यज्ञ के दिनों में ठाकुर देशराज और उनके साथी यह भांप चुके थे कि यज्ञ के समाप्त होते ही सीकर ठिकाना दमन पर उतरेगा। इसलिए उन्होंने यज्ञ समाप्त होने से एक दिन पहले ही सीकर जाट किसान पंचायत का संगठन कर दिया और चौधरी देवासिह बोचल्या को मंत्री बना कर सीकर में दृढ़ता से काम करने का चार्ज दे दिया।
उन दिनों सीकर पुलिस का इंचार्ज मलिक मोहम्मद नाम का एक बाहरी मुसलमान था। वह जाटों का हृदय से विरोधी था। एक महीना भी नहीं बीतने ने दिया कि बकाया लगान का इल्जाम लगाकर चौधरी गौरू सिंह जी कटराथल को गिरफ्तार कर लिया गया। आप उस समय सीकरवाटी जाट किसान पंचायत के उप मंत्री थे और यज्ञ के मंत्री श्री चंद्रभान जी को भी गिरफ्तार कर लिया। स्कूल का मकान तोड़ फोड़ डाला और मास्टर जी को हथकड़ी डाल कर ले जाया गया।
उसी समय ठाकुर देशराज जी सीकर आए और लोगों को बधाला की ढाणी में इकट्ठा करके उनसे ‘सर्वस्व स्वाहा हो जाने पर भी हिम्मत नहीं हारेंगे’ की शपथ ली। एक डेपुटेशन
[पृ 229]: जयपुर भेजने का तय किया गया। 50 आदमियों का एक पैदल डेपुटेशन जयपुर रवाना हुआ। जिसका नेतृत्व करने के लिए अजमेर के मास्टर भजनलाल जी और भरतपुर के रतन सिंह जी पहुंच गए। यह डेपुटेशन जयपुर में 4 दिन रहा। पहले 2 दिन तक पुलिस ने ही उसे महाराजा तो क्या सर बीचम, वाइस प्रेसिडेंट जयपुर स्टेट कौंसिल से भी नहीं मिलने दिया। तीसरे दिन डेपुटेशन के सदस्य वाइस प्रेसिडेंट के बंगले तक तो पहुंचे किंतु उस दिन कोई बातें न करके दूसरे दिन 11 बजे डेपुटेशन के 2 सदस्यों को अपनी बातें पेश करने की इजाजत दी।
अपनी मांगों का पत्रक पेश करके जत्था लौट आया। कोई तसल्ली बख्स जवाब उन्हें नहीं मिला।
तारीख 5 मार्च को मास्टर चंद्रभान जी के मामले में जो कि दफा 12-अ ताजिराते हिंद के मातहत चल रहा था सफाई के बयान देने के बाद कुंवर पृथ्वी सिंह, चौधरी हरी सिंह बुरड़क और चौधरी तेज सिंह बुरड़क और बिरदा राम जी बुरड़क अपने घरों को लौटे। उनकी गिरफ्तारी के कारण वारंट जारी कर दिये गए।
और इससे पहले ही 20 जनों को गिरफ्तार करके ठोक दिया गया चौधरी ईश्वर सिंह ने काठ में देने का विरोध किया तो उन्हें उल्टा डालकर काठ में दे दिया गया और उस समय तक उसी प्रकार काठ में रखा जब कि कष्ट की परेशानी से बुखार आ गया (अर्जुन 1 मार्च 1934)।
उन दिनों वास्तव में विचार शक्ति को सीकर के अधिकारियों ने ताक पर रख दिया था वरना क्या वजह थी कि बाजार में सौदा खरीदते हुए पुरानी के चौधरी मुकुंद सिंह को फतेहपुर का तहसीलदार गिरफ्तार करा लेता और फिर जब
[पृ 230]: उसका भतीजा आया तो उसे भी पिटवाया गया।
इन गिरफ्तारियों और मारपीट से जाटों में घबराहट और कुछ करने की भावना पैदा हो रही थी। अप्रैल के मध्य तक और भी गिरफ्तारियां हुई। 27 अप्रैल 1934 के विश्वामित्र के संवाद के अनुसार आकवा ग्राम में चंद्र जी, गणपत सिंह, जीवनराम और राधा मल को बिना वारंटी ही गिरफ्तार किया गया। धिरकाबास में 8 आदमी पकड़े गए और कटराथल में जहा कि जाट स्त्री कान्फ्रेंस होने वाली थी दफा 144 लगा दी गई।
ठिकाना जहां गिरफ्तारी पर उतर आया था वहां उसके पिट्ठू जाटों के जनेऊ तोड़ने की वारदातें कर रहे थे। इस पर जाटों में बाहर और भीतर काफी जोश फैल रहा था। तमाम सीकर के लोगों ने 7 अप्रैल 1934 को कटराथल में इकट्ठे होकर इन घटनाओं पर काफी रोष जाहिर किया और सीकर के जुडिशल अफसर के इन आरोपों का भी खंडन किया कि जाट लगान बंदी कर रहे हैं। जनेऊ तोड़ने की ज्यादा घटनाएं दुजोद, बठोठ, फतेहपुर, बीबीपुर और पाटोदा आदि स्थानों और ठिकानों में हुई। कुंवर चांद करण जी शारदा और कुछ गुमनाम लेखक ने सीकर के राव राजा का पक्ष ले कर यह कहना आरंभ किया कि सीकर के जाट आर्य समाजी नहीं है। इन बातों का जवाब भी मीटिंगों और लेखों द्वारा मुंहतोड़ रूप में जाट नेताओं ने दिया।
लेकिन दमन दिन-प्रतिदिन तीव्र होता जा रहा था जैसा कि प्रेस को दिए गए उस समय के इन समाचारों से विदित होता है।
क्रूरता का तांडव
- सन्दर्भ - डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.115-120
पलथाना गाँव में कैप्टन वेब - गोठड़ा से चलकर कैप्टन वेब पुलिस बल सहित 26 अप्रेल 1935 को पलथाना पहुंचा.यह हरिसिंह बुरड़क का गाँव था जो किसान आन्दोलन के प्रमुख नेता थे. वे 25 गाँवों के सरपंच थे. पञ्च-मंडली के भी अध्यक्ष थे. झुंझुनू सम्मलेन से लौटते समय उत्तर प्रदेश के निवासी मास्टर चन्द्रभान को साथ ले आये थे और गाँव में स्कूल प्रारंभ कर दी थी , जिसमें चन्द्रभान पढ़ाते थे. इससे पलथाना में तेजी से लोग साक्षर होने लगे. यह सब रावराजा और अंग्रेज अफसर को चिढाने के लिए काफी था. हरिसिंह ने लगान देने से मना कर दिया. क्रोधित वेब ने हरी सिंह का मकान भी ढहाने का आदेश दे दिया लेकिन मि. यंग ने ऐसा करने से रोक दिया. हरी सिंह की माँ, इन अंग्रेज अधिकारीयों के लिए दूध लेकर आई. कैप्टन वेब ने घृणा से मुंह फेर लिया. यंग अधिक व्यावहारिक था. उसने मुस्कराकर दूध अपने हाथ में ले लिया. बातचीत का आधार बन गया. लोगों ने कहा, 'स्कूल ने क्या बिगाड़ा था? आप लोग तो स्वयं शिक्षा के पक्ष में रहे हैं? यंग के बात समहज में आ गयी. उसने पूछा, 'स्कूल कि मरम्मत के लिए कितने रुपये लगेंगे? गाँव वालों ने 300 रुपये बताये. यंग ने तीन सौ रुपये गाँव में दे दिए लेकिन लगान न देने के लिए. यहाँ दो जाटों से तमाम गाँव के लगान का रूपया वसूल किया और जुरमाना लिया. यहाँ मास्टर चंद्रभानसिंह और चार मुखिया जाट हरिसिंह बुरड़क, तेजसिंह बुरड़क, बिडदा राम बुरड़क व पेमा राम बुरड़क को गिरफ्तार कर लिया और स्कूल भवन को पूरी तरह नष्ट कर दिया. इन लोगों को पीटा गया और बाद में इन्हें गाँवों में घुमाते हुए लक्ष्मणगढ़ ले गए. वहां तहसील में इन्हें जूतों से पीटा गया और शहर में अपमानित कर जुलुस निकाला. इन्हें जूतों से पिटवाते हुए इसलिए घुमाया कि लोग जन सकें की आन्दोलनकारियों की इस तरह दुर्गति की जा सकती है. इस प्रकार के अन्यायों का ताँता बंध गया था और गाँवों में जाटों को पीटा जाने लगा. (डॉ पेमाराम, पृ.119)
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.309-310
- ↑ Thakur Deshraj: Jat Jan Sewak, 1949, p.228-230
Back to Jat Jan Sewak/The Freedom Fighters