Pema Ram Burdak

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Pema Ram Burdak from village Palthana (Sikar), was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

जीवन परिचय

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....पलथाना में ही एक चौधरी हरीसिंह जी हैं जो चौधरी तुलाराम जी के लड़के हैं। आपने सीकर महायज्ञ में काम किया है और फिर पीछे जाट आंदोलन के सिलसिले में 3 महीने जेल में रहे। जाट बोर्डिंग हाउस सीकर को आपने ₹151 का दान दिया था। आप के पुत्र का नाम नाथूराम है।

इन के सिवा पलथाना में जाट कौम के सेवक और जाट आंदोलन में जेल जाने वालों में चौधरी पन्नेसिंह, चौधरी जगन सिंह, चौधरी पेमा सिंह और चौधरी धनाराम तथा चौधरी रामू जी के नाम मुख्य हैं।

क्रूरता का तांडव

सन्दर्भ - डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.115-120

पलथाना गाँव में कैप्टन वेब - गोठड़ा से चलकर कैप्टन वेब पुलिस बल सहित 26 अप्रेल 1935 को पलथाना पहुंचा.यह हरिसिंह बुरड़क का गाँव था जो किसान आन्दोलन के प्रमुख नेता थे. वे 25 गाँवों के सरपंच थे. पञ्च-मंडली के भी अध्यक्ष थे. झुंझुनू सम्मलेन से लौटते समय उत्तर प्रदेश के निवासी मास्टर चन्द्रभान को साथ ले आये थे और गाँव में स्कूल प्रारंभ कर दी थी , जिसमें चन्द्रभान पढ़ाते थे. इससे पलथाना में तेजी से लोग साक्षर होने लगे. यह सब रावराजा और अंग्रेज अफसर को चिढाने के लिए काफी था. हरिसिंह ने लगान देने से मना कर दिया. क्रोधित वेब ने हरी सिंह का मकान भी ढहाने का आदेश दे दिया लेकिन मि. यंग ने ऐसा करने से रोक दिया. हरी सिंह की माँ, इन अंग्रेज अधिकारीयों के लिए दूध लेकर आई. कैप्टन वेब ने घृणा से मुंह फेर लिया. यंग अधिक व्यावहारिक था. उसने मुस्कराकर दूध अपने हाथ में ले लिया. बातचीत का आधार बन गया. लोगों ने कहा, 'स्कूल ने क्या बिगाड़ा था? आप लोग तो स्वयं शिक्षा के पक्ष में रहे हैं? यंग के बात समहज में आ गयी. उसने पूछा, 'स्कूल कि मरम्मत के लिए कितने रुपये लगेंगे? गाँव वालों ने 300 रुपये बताये. यंग ने तीन सौ रुपये गाँव में दे दिए लेकिन लगान न देने के लिए. यहाँ दो जाटों से तमाम गाँव के लगान का रूपया वसूल किया और जुरमाना लिया. यहाँ मास्टर चंद्रभानसिंह और चार मुखिया जाट हरिसिंह बुरड़क, तेजसिंह बुरड़क, बिडदा राम बुरड़कपेमा राम बुरड़क को गिरफ्तार कर लिया और स्कूल भवन को पूरी तरह नष्ट कर दिया. इन लोगों को पीटा गया और बाद में इन्हें गाँवों में घुमाते हुए लक्ष्मणगढ़ ले गए. वहां तहसील में इन्हें जूतों से पीटा गया और शहर में अपमानित कर जुलुस निकाला. इन्हें जूतों से पिटवाते हुए इसलिए घुमाया कि लोग जन सकें की आन्दोलनकारियों की इस तरह दुर्गति की जा सकती है. इस प्रकार के अन्यायों का ताँता बंध गया था और गाँवों में जाटों को पीटा जाने लगा. (डॉ पेमाराम, पृ.119)

सीकर के सोये हुये किसानों को जगाने का श्रेय

महावीर सिंह जाखड़[2] ने लिखा है कि सीकर के सोये हुये किसान शेरों को जगाने का श्रेय ठाकुर देशराज, जघीना (भरतपुर) को जाता है। पुष्कर के जाट अधिवेशन के बाद यह जागृति ज्यादा आई। इस आंदोलन में सबसे ज्यादा जुझारूपन पलथाना के बुरड़कों ने दिखाया। सूबेदार - चन्द्र सिंह (मदू), हरी सिंह, हरदेव सिंह, जेसा राम, भाना राम, गणपत राम, व पेमा राम आदि यहाँ के प्रमुख सेनानी थे। यहाँ के बुरड़क रतनगढ़ तहसिल के सुलखनिया गांव में बसे हैं। उन्होने भी मेघसिंह के नेतृत्व में ( 6 भाई - मेघ सिंह, धाला राम, अमरा राम, मुखा राम, माना राम व लिखमा राम) सामंती उत्पीड़न के विरुद्ध हर संघर्ष मे ताल ठोक कर भाग लिया तथा फतेह हासिल की। अमरा राम आजाद हिन्द फौज के सेनानी रहे। श्री मेघ सिंह एवं धाला राम ने मरू-भूमि में शिक्षा प्रसार हेतु स्वामी नित्यानंद से खिचिवाला जोहड़े में विद्यालय शुरू करवाया।

References


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