Mahavir Singh Jakhar
Mahavir Singh Jakhar is a Jat Historian from village Sankhu in Laxmangarh tehsil of Sikar district in Rajasthan.
Books authored
He is author of the Book 'Jaton Ke Vishva Samrajya aur Unake Yug Purush' (2004), Published by Marudhara Prakashan, Arya Type Centre, Purani Tahsil Ke Pas, Sujangarh, Churu, Rajasthan.
पुस्तक
पुस्तक: जाटों के विश्व साम्राज्य और उनके युग पुरुष
लेखक: महावीर सिंह जाखड़
प्रकाशक: मरुधरा प्रकाशन, आर्य टाईप सेन्टर, पुरानी तह्सील के पास, सुजानगढ (चुरु)
पुस्तक से कुछ उद्धरण
महावीर सिंह जाखड़[1] लिखते हैं - जाट इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने की जिज्ञासा मेरी बचपन से ही रही है। दादा परदादा और नाना जाट आंदोलन में सक्रिय रहे। जाटों के बल और प्रक्रम की चर्चाओं में बचपन बीता। बचपन और गाँव और ननिहाल में मैंने जाटों को सबसे बलिष्ठ देखा। पलथना के बुरड़क जाट जुझारूपन में अगुआ रहे हैं। मेरे नाना का परिवार भी पलथाना के विख्यात वंश की शाखा है। मुझ में मेरे नानाओं (सुलखनिया के बुरड़क) से ही यह संस्कार पैदा हुआ।
महावीर सिंह जाखड़[2] ने लिखा है कि सीकर के सोये हुये किसान शेरों को जगाने का श्रेय ठाकुर देशराज, जघीना (भरतपुर) को जाता है। पुष्कर के जाट अधिवेशन के बाद यह जागृति ज्यादा आई। इस आंदोलन में सबसे ज्यादा जुझारूपन पलथाना के बुरड़कों ने दिखाया। सूबेदार - चन्द्र सिंह (मदू), हरी सिंह, हरदेव सिंह, जेसा राम, भाना राम, गणपत राम, व पेमा राम आदि यहाँ के प्रमुख सेनानी थे। यहाँ के बुरड़क रतनगढ़ तहसिल के सुलखनिया गांव में बसे हैं। उन्होने भी मेघसिंह के नेतृत्व में ( 6 भाई - मेघ सिंह, धाला राम, अमरा राम, मुखा राम, माना राम व लिखमा राम) सामंती उत्पीड़न के विरुद्ध हर संघर्ष मे ताल ठोक कर भाग लिया तथा फतेह हासिल की। अमरा राम आजाद हिन्द फौज के सेनानी रहे। श्री मेघ सिंह एवं धाला राम ने मरू-भूमि में शिक्षा प्रसार हेतु स्वामी नित्यानंद से खिचिवाला जोहड़े में विद्यालय शुरू करवाया।
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References
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