Tiku Ram Bhukar
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Tiku Ram Bhukar (शहीद चौधरी टीकूराम) was a martyr and Hero of Shekhawati farmers movement. He belonged to village Gothra Bhukaran. He was killed by the Jagirdars on 25.4.1935 at village Kudan in Sikar district of Rajasthan.[1]
जीवन परिचय
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....शहीद चौधरी टीकूराम और शहीद चौधरी तुलछाराम - [पृ.317]: भूकरों के गोठड़ा ने कुदन गोलीकांड में अपना हिस्सा सभी गांव से बढ़कर अदा किया। शंभू सिंह और चेताराम की तरह उसने अपने दो लालों को कूदन कांड में और बलि दी
[पृ.318]: उनके नामीनाम चौधरी टीकूराम और तुलछाराम है। टीकुराम जी चौधरी हुकमाराम जी भूकर के पुत्र थे और संवत 1954 (1897 ई.) में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने अपने पीछे दो लड़का हनुमान सिंह और नारायण सिंह छोड़े हैं।
चौधरी तुलछाराम जी चौधरी दौलाराम जी के पुत्र थे और आपका जन्म संवत 1940 (1883 ई.) में हुआ था। आपने अपनी पीछे चार सन्तानें पिथा, गोरू, गोभा और भाना छोड़ी हैं। यह दोनों ही वीर सीकर महायज्ञ के समय से ही कौम का काम करने लगे थे और बड़े उत्साह पुरुष थे।
पाठ्यपुस्तकों में स्थान
शेखावाटी किसान आंदोलन ने पाठ्यपुस्तकों में स्थान बनाया है। (भारत का इतिहास, कक्षा-12, रा.बोर्ड, 2017)। विवरण इस प्रकार है: .... सीकर किसान आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सीहोट के ठाकुर मानसिंह द्वारा सोतिया का बास नामक गांव में किसान महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार के विरोध में 25 अप्रैल 1934 को कटराथल नामक स्थान पर श्रीमती किशोरी देवी की अध्यक्षता में एक विशाल महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। सीकर ठिकाने ने उक्त सम्मेलन को रोकने के लिए धारा-144 लगा दी। इसके बावजूद कानून तोड़कर महिलाओं का यह सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में लगभग 10,000 महिलाओं ने भाग लिया। जिनमें श्रीमती दुर्गादेवी शर्मा, श्रीमती फूलांदेवी, श्रीमती रमा देवी जोशी, श्रीमती उत्तमादेवी आदि प्रमुख थी। 25 अप्रैल 1935 को राजस्व अधिकारियों का दल लगान वसूल करने के लिए कूदन गांव पहुंचा तो एक वृद्ध महिला धापी दादी द्वारा उत्साहित किए जाने पर किसानों ने संगठित होकर लगान देने से इनकार कर दिया। पुलिस द्वारा किसानों के विरोध का दमन करने के लिए गोलियां चलाई गई जिसमें 4 किसान चेतराम, टीकूराम, तुलसाराम (तीनों गोठड़ा के) तथा आसाराम (अजीतपुरा) शहीद हुए और 175 को गिरफ्तार किया गया। हत्याकांड के बाद सीकर किसान आंदोलन की गूंज ब्रिटिश संसद में भी सुनाई दी। जून 1935 में हाउस ऑफ कॉमंस में प्रश्न पूछा गया तो जयपुर के महाराजा पर मध्यस्थता के लिए दवा बढ़ा और जागीरदार को समझौते के लिए विवश होना पड़ा। 1935 ई के अंत तक किसानों के अधिकांश मांगें स्वीकार कर ली गई। आंदोलन नेत्रत्व करने वाले प्रमुख नेताओं में थे- सरदार हरलाल सिंह, नेतराम सिंह गौरीर, पृथ्वी सिंह गोठड़ा, पन्ने सिंह बाटड़ानाउ, हरु सिंह पलथाना, गौरू सिंह कटराथल, ईश्वर सिंह भैरूपुरा, लेख राम कसवाली आदि शामिल थे। [3]
बाहरी कड़ियाँ
गैलरी
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लगान के विरोध में अंग्रेज़ी हुकूमत से टकराया था सीकर का किसान, ब्रिटिश संसद में गुंजा मामला, राजस्थान पत्रिका
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महिलाएं बालों में छिपाकर ले गई थी गँड़ासी, ब्रिटिश संसद में गुंजा मामला, राजस्थान पत्रिका
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अब स्कूलों में बच्चे पढ़ेंगे सीकर का इतिहास, पाठ्यक्रम में शामिल हुआ सीकर का किसान आंदोलन, राजस्थान पत्रिका
सन्दर्भ
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya, etc: Ādhunik Jat Itihas, Agra, 1998, Section 9 pp. 21
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.318
- ↑ भारत का इतिहास कक्षा 12, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, 2017, लेखक गण: शिवकुमार मिश्रा, बलवीर चौधरी, अनूप कुमार माथुर, संजय श्रीवास्तव, अरविंद भास्कर, p.155
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