King Dasharatha
King Dasharatha (also spelt as Dashrath) (Sanskrit: दशरथ) was a king of ancient Ayodhya whose grand story is portrayed in the epic Ramayana.
King Dasharatha was a descendant of Raghu and was father of prince Rama, (the principal character in Ramayana) as well as father of Lakshmana, Bharata and Shatrughna. Dasharatha was son of Aja and Indumati.
The classical Indian poet Kalidasa has elaborated upon the lives and careers of the kings Dilipa, Raghu and Aja in his work entitled Raghuvamsha (literally: "Dynasty of Raghu"). This is significant as these rulers were the immediate forbears of Rama.
His wives
Dasharatha had three queens - Kaushalya (कौशल्या), Sumittra (सुमित्रा) and Kaikeyi (कैकेयी). Queen Kaushalya was from the kingdom of Magadha and Sumittra, from Kashi. Kaikeyi was from Kekeya Kingdom. Queen Kaushalya was the mother of Rama, Summittra was mother of Lakshmana and Kaikeyi, of Shatrughna.
Jat republics of Ramayana period
The marshals Sugriva sent out in search of Sita were all from Jat republics. [1] The republics involved were 1. Videhi 2. Malav 3. Magadh 4. Pudru 5. Dasharna 6. Vidarbha 7. Prishika 8. Vanga 9. Matsya 10. Andhra 11. Vain 12. Chol 13. Pandya 14. Parsen 15. Bhadra 16. Shaka 17. Naga 18. Vahika 19. Daratha 20. Sindhu 21. Kusha 22. Bhoktipur. In addition following Jat republics were also also there namely Panchal, Vrishni, Bhoj, Kshudrak, Taxak, Kaler, Maan, Punia, Aulakh, Bain (Beniwal), which were in Nagavansh sangha. The nagavansha was very powerful at that time. [2]
इतिहासकार स्वामी ओमानन्द सरस्वती लिखते हैं -
.....विदेशी विद्बान तथा उनका अन्धानुकरण करने वाले कुछ भारतीय विद्वान् भी यह कहते हैं कि 'आर्य' लोग ईरान से आये, इसलिये इन लोगों का नाम आर्य है । इससे पूर्व यहाँ जंगली लोग बसते थे । आर्य लोग अपने को देवता बतलाते थे और उनका जब संग्राम हुआ तो उन्होंने उसका नाम 'देवासुर संग्राम' कथाओं में ठहराया । विदेशी लोगों की इस प्रकार की कल्पनायें सर्वथा झूठ और निराधार हैं । किसी भी प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ में व इतिहास में कहीं भी यह नहीं लिखा कि आर्य लोग ईरान से आये और यहां के जंगलियों से लड़ कर और विजय पाकर उन्हें निकाल इस देश के राजा हुये । ऐसी अवस्था में इन चालाक विदेशियों का लेख कैसे मान्य हो सकता है । यदि उसमें किञ्चित-मात्र भी सत्य होता तो आर्यावर्त से पूर्व इस देश का क्या नाम था ? यह प्रमाण देकर आज भी कोई विदेशी तथा इस मत वाला लिखने का साहस करे ।
यथार्थ बात यह है कि आर्यों से पूर्व इस देश में कोई नहीं बसता था, अतः इस देश का कोई अन्य नाम नहीं था । आदि सृष्टि में इस पवित्र आर्यावर्त्त के एक भाग तिब्बत में मनुष्य जाति उत्पन्न हुई । यहीं से आर्य लोग सम्पूर्ण आर्यावर्त्त तथा अन्य देशों में भी जाकर बसे । आर्यावर्त्त के बाहर पूर्व, पश्चिम, उत्तर आदि दिशाओं में जो मनुष्य रहते हैं, उन्हीं का नाम असुर सिद्ध होता है । जब जब ये असुर लोग हिमालय प्रदेशस्थ आर्य लोगों पर लड़ने को चढ़ाई करते थे तो यहाँ के आर्य राजा उन उत्तरादि दिशाओं में लड़ने के लिये देवता अर्थात् आर्यों की सहायता के लिये जाते थे । इतिहास साक्षी है कि आर्यवर्त्तीय अर्जुन तथा महाराजा दशरथ आदि ने इसी प्रकार के देवासुर संग्रामों में आर्यों की सहायता और रक्षा की तथा असुरों को हराया । इसी आर्यावर्त्त के प्रथम चक्रवर्ती राजा इक्ष्वाकु हुये हैं । इन्होंने तथा इनके पूर्वज ब्रह्मा, विराट्, मनु आदि ने इस आर्यावर्त्त को बसाया था । इसी का नाम ब्रह्मावर्त भी है । क्योंकि इसके ब्रह्म विद्वान् देव लोग बसने बसाने वाले थे । इसी आर्यावर्त्त अथवा ब्रह्मावर्त्त का एक भाग आधुनिक हरयाणा प्रान्त है । यह एक प्रकार से आर्यावर्त्त का हृदय स्थान है और प्राचीन काल से यह देवताओं का स्थान कहलाता है ।[3]
External Links
References
- ↑ Balmiki Ramayana sarga 40-43
- ↑ Bhaleram Beniwal: Jāt Yodhaon ke Balidān, Jaypal Agencies, Agra 2005 (Page 38)
- ↑ Veerbhoomi Haryana/हरयाणा के प्राचीन नाम व स्थान (पृष्ठ 113-115)
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