Daulatabad

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Also see Daultabad in Sikar district (Rajasthan) and Daulatabad Bulandshahr


Daultabad (दौलताबाद) is a village in Gurgaon district in Haryana just 3 km away from Gurgaon City Center and it is one among the biggest villages of Gurgaon district. It is a historical village.

Founder

Daultabad was founded in around c.1191 A D by Chaudhary Daulat Singh of Janghu gotra of Jat clan.

Jat gotras

History

The history of forming Daultabad is also very interesting when Chaudhary Daulta Singh's wife asked her brother in law Chaudhary Bakhtawar Singh (the younger brother of Daulat Singh) to move his cart little away as there was a bit chaos. He suddenly got angry at this and left them behind in Daulatabd and founded a new village i.e. "Bakhtawar Pur" in Western Delhi. Then Daulat Singh stayed here and laid the foundation of village Daulatabad.

भालोठ गांव के भालोठिया (जांगू)

भालोठवासी एवं भालोठ से अन्यत्र गए लोग अपने नाम के आगे जांगू की बजाय भालोठिया लगाते हैं एवं अन्य जगह जाकर समूह में बसी ढाणी को भालोठियों की ढाणी के नाम से जाना जाता है ।

14 वीं शताब्दी में ग्यासुद्दीन तुगलक दिल्ली का बादशाह था। नारनौल के पास जिला झुंझुनूं में तत्कालीन रियासत खेतड़ी में धोलाखेड़ा नाम का एक बड़ा गांव जांगू गोत्र के जाटों का था। दिल्ली के शासक ने अलग अलग ठिकाने बना रखे थे। शासक ने राजस्थान के कुछ ठिकानों का कर उगाहने के लिये कुछ सैनिकों के साथ अपने हाकिम को भेजा। हाकिम ने खेतड़ी से आगे चल कर सीकर एरिया के कुछ ठिकानों का कर उघाया एवं वापिस दिल्ली के लिये रवाना हो गये। वापिस जाते समय किसी जगह से उन्होंने एक सुन्दर लड़की को उठा लिया। सुबह पांच बजे धोलाखेड़ा गांव के पास से गुजरे तो उस लड़की ने गांव के आदमियों की आवाज सुनकर रोना शुरू कर दिया। लड़की के रोने की आवाज सुन कर गांव वाले दौड़ कर आये एवं हाकिम की सेना पर हमला कर दिया। कुछ सैनिकों को मार दिया व कुछ सैनिक भाग गये और लड़की को वहीं छुड़वा लिया लेकिन हाकिम बच निकला। लड़की का गांव पूछ कर उसके घर भिजवा दी । इस मुठभेड़ का बदला लेने के लिये हाकिम ने योजना बनानी शुरू कर दी। उसके गुप्तचरों ने बताया कि गांव पर हमला करने के लिए फलेरा दूज सही दिन होगा चूंकि उस दिन गांव से बावन (52) बारात शादी के लिए जानी थी। उस समय बारात तीन दिन तक रूकती थी। योजनानुसार फलेरा दूज की रात को धोलाखेड़ा गांव पर हमला बोला। आदमी बारातों में गये हुए थे अतः औरतें लड़ी। गांव में आग लगा दी और बारात जैसे जैसे आती गई बारातियों को खत्म करते रहे व पूरे गांव को तबाह कर दिया। कुछ जानकार यह भी बताते हैं कि इस हमले में हांसी के शासक की सेना ने भी हाकिम का साथ दिया। जो कुछ बचे वे धोलाखेड़ा उजड़ने के बाद दिल्ली की तरफ पलायन कर गये ।

जानकार यह भी बताते हैं कि धोलाखेड़ा के लोग मुकलावा (गौना) करने (पुराने समय में छोटी उम्र मे शादी के बाद लड़की के बालिग होने पर उसे लेने जाने की रसम) गए हुए थे । उस समय 8-10 दिन लड़की के घर रूकते थे,पीछे से दिल्ली के शासक ने 32 गांवों पर कब्जा कर लिया । मुकलाऊ वापिस आने पर 16 गांवों पर लड़ाई कर कब्जा वापिस ले लिया और 16 गांवों का कब्जा स्वयं छोड़ कर चले गए लेकिन ज्यादा सही ऊपर बताया वही है ।

उस समय के बसे गुड़गावां व दिल्ली के आसपास जांगू गोत्र के जाटों के 12 बड़े गांव आज भी हैं उनमें एक दौलताबाद भी है। धोलाखेड़ा उजड़ा उस समय एक लड़की अपने पीहर चांदगोठी गई हुई थी एवं गर्भवती थी। उसने पीहर में पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम भाल रखा। लड़का बड़ा शरारती था। लड़के की शरारत को उसके मामा मामी बरदास्त नही कर सके और उन्होंने कहा कि हमारी छाती क्यों फूंकते हो अपने घर जाओ। लड़की के पिता ने अपनी लड़की को जीवनबसर करने के लिये भाईयों से अलग जमीन दे दी। लड़की उस जमीन पर अपने पुत्र भाल के साथ खेत में रहने लगी। भाल खेत की रखवाली करता था। वह खेत में डामचे पर चढ़कर गोफीये से गोले फेंक कर जानवर, पक्षी उड़ाता था। खेत के पास में एक बहुत बड़ी बणी (जोहड़) थी। एकबार ग्यासुद्दीन दिल्ली का बादशाह उस बणी में आ पहुंचा, उसके साथी उससे बिछुड़ गये थे। वह बणी में जब घोड़े पर चढ़कर आया तो उसकी आवाज भाल के कानों में पड़ी। भाल ने सोचा की कोई जानवर है अतः उसको भगाने के लिये गोफीये से गोला मारा जो घोड़े की टांग पर लगा जिससे घोड़ा घायल हो गया । बादशाह ने शोर मचाया तो उसकी आवाज सुनकर भाल वहां देखने गया कि कौन है। भाल उसको खेत पर ले आया और उसको ककड़ी मतीरे खिलाकर आवभगत की । भाल ने अपनी जानकारी दी एवं बादशाह की जानकारी ली । भाल को बादशाह के बारे में जानकारी मिली की उसी ने मेरे गांव को उजाड़ा है तो भाल ने कहा कि बादशाह मैं अब आपको मारूंगा छोडूंगा नहीं चूंकि आपने मेरे गांव को उजाड़ा है । बादशाह ने कहा कि मेरे को मत मारो मेरी जानकारी के बगैर हाकिम ने वह काम किया था। अतः अब आप मेरे साथ धोलाखेड़ा चलो ताकि आपको पुनः बसा सकूं । भाल इसके लिये तैयार हो गया ।

भाल बादशाह के साथ उजड़े हुए धोलाखेड़ा की जगह आये, वहां बादशाह ने भाल को (बावनी) 52000 बीघा जमीन दी एवं वहां धोलाखेड़ा के पास में भाल ने भालोठ गांव बसाया जो आज भी नारनौल के पास जिला झुंझुनूं, तहसील बुहाना, राजस्थान में आबाद है। उसके बाद बादशाह ग्यासुद्दीन दिल्ली चला गया । धोलाखेड़ा से तीन भाई दौलत, बख्तावर और एक तीसरा भाई राजू दिल्ली की तरफ जा कर बस गये| उनके नाम से आज भी गुडगाँव के पास दौलताबाद, बख्तावरपुर (पश्चिमी दिल्ली),राजपुरा (उत्तरी दिल्ली) आदि जांगू गोत्र के तीन बड़े गाँव अब भी आबाद हैं।

भालोठ लगभग संवत 1365 में बसा था । भालोठ के पास ढाणी भालोठ घड़सी राम व सुरजा राम ने संवत 1586 सन् 1529 में बसाया । संवत 1659 सन् 1602 में ढाणी भालोठ से रूपचन्द ने जाकर गादरवास (डालनवास) बसाया ।

स्वतंत्रता सेनानी स्व. धर्मपालसिंह भालोठिया के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार - सुरेन्द्र सिंह भालोठिया 9460389546

Occupation

Main occupation of the villagers in the past was agriculture. People are very hard working and put in their best efforts to earn more out of their labour to get richer.

Many well educated persons are serving in various Government services/departments and also in private sector on responsible posts.

People are very broad minded in this village and education and sports standard are also very high.

Youngsters of Daultabad are now working hard in foreign countries of Europe and other countries like UK,US,Belgium,Canada etc.

Many a person are earning money in real estate business also these days.

Notable persons

  • Major Kanwal Singh was first commissioned officer from village in army and then his son Brig. Randhir Singh following family culture.
  • Colonel Charan Singh S/O Late Chaudhary Bharat Singh was the first Indian Commissioned (IC) officer of the village. He participated in the Liberation of Goa, the wars of 1962, 1965 and 1971. His son too is a serving Army officer.
  • Sh .Ram Kishan retired as Superintendent of Police and now serving peoples socially.
  • Sh. Navrattan Singh Gandas got 23rd rank in Civil Services and was selected for IFS and served in UK embassy as secretary for 3 years.
  • Chaudhary Tara Chand is working as Manager(Excise) in Hero Honda Motors Ltd.
  • Brig. Ishwar Singh and his son are serving in Indian army.
  • ShRakesh Janghu Daulatabad MLA from Badshahpur Vidhan Sabha in Gurgaon 2019 .
  • Prashant Janghu is working as Asst, Manager marketing with world's 3rd largest steel manufacturing foreign company.

External links

References


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