Ghatotkacha
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Ghatotkacha (280-319AD) (घटोत्कच) was the son of Srigupta who first person who started the Gupta Empire. The origins of the Guptas are shrouded in obscurity. KP Jayaswal and Bhim Singh Dahiya have proved that the Guptas were Jats. [1] Nothing certain is known about the rise of this dynasty. Only this much is known that a person named Srigupta took advantage of the confusion that prevailed in the country after the fall of Kushan Empire and declared himself the ruler of Magadha. Historians write that probably he belonged to a low caste but gradually rose to the position of an independent ruler. He was followed by his son Ghatotkacha. The most likely date for the reign of Srigupta is c. 240-280 CE His successor Ghatotkacha ruled probably from c. 280-319 CE In contrast to his successor, he is also referred to in inscriptions as 'Maharaja' .
Basarh Clay Seal of Ghatotkachagupta
Ref - Archaeological Survey of Western India 1903-4,p. 107
Tumain Fragmentary Inscription of the time of Kumaragupta I and Ghatotkachagupta Gupta Year (=A.D. 435)
दिलीपसिंह अहलावत लिखते हैं -
श्रीगुप्त का पुत्र घटोत्कच अपने पिता का उत्तराधिकारी हुआ। उसके विषय में भी उस काल के स्रोतों से विशेष जानकारी प्राप्त नहीं होती। उसने सन् 280 ई० से 319 ई० तक राज्य किया। वह भी अपने आपको ‘महाराज’ कहता था। ऐलन तथा अन्य विद्वानों का कहना है कि वह पाटलिपुत्र तथा उसके आस-पास के प्रदेशों पर राज्य करता था। इस घटोत्कच गुप्त ने अपने पिता के नाम को राज्य संस्थापक के नाते वंश नाम के रूप में प्रचलित किया।[2]
Ghatotkacha of Mahabharata
Ghatotkacha was also the name of the son of Bhimsen who was killed by Karna on the 15th day of Kurukshetra war.
- घटोत्कच महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक है। कुंती के पुत्र भीम का राक्षस पुत्र घटोत्कच था। द्रौपदी के अतिरिक्त भीम की एक अन्य पत्नी का नाम हिडिंबा था, जिससे भीम का परमवीर पुत्र घटोत्कच उत्पन्न हुआ था। घटोत्कच ने ही इन्द्र द्वारा कर्ण को दी गई अमोघ शक्ति को अपने ऊपर चलवाकर अर्जुन के प्राणों की रक्षा की थी। हिडिम्बा राक्षसी के गर्भ से भीमसेन के द्वारा घटोत्कच की उत्पत्ति हुई थी। घट-हाथी का मस्तक + उत्कच= केशहीन। इसका मस्तक हाथी के मस्तक जैसा और केश-शून्य होने के कारण यह घटोत्कच नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह असल में मिश्र संतान था, इस कारण इसमें मनुष्यों और राक्षसों की विशेषताएँ विद्यमान थीं। भीमसेन के साथ हिडिम्बा का संयोग वन में हो गया था और वहीं घटोत्कच का जन्म हुआ था। फलतः पाण्डवों को राज्य की तथा संतान की प्राप्ति होने से पहले इसकी प्राप्ति हो गई थी। वनवास के समय पाण्डवों को इससे और इसके जाति-भाइयों से बड़ी सहायता मिली थी। यह पाण्डवों को अपना आत्मीय समझता था और वे भी इस पर पुत्र जैसा स्नेह रखते थे।
- संदर्भ: घटोत्कच: भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर
Further readings
- पाठ 5- धारण जाटों का साम्राज्य पुस्तक, जाट प्राचीन शासक; लेखक बी. एस. दहिया।
References
- ↑ Gupta Empire
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter V (Page 495)
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