Jat Prachin Shasak

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जाट प्राचीन शासक (1982)
लेखक - बी. एस. दहिया (आइ आर एस, रिटायर्ड)

विकिफाईअर : चौ. रेयांश सिंह


जाट प्राचीन शासक (Jāṭ Prāćīn Śāsak), वस्तुत रिटायर्ड आइ आर एस अफसर बी. एस. दहिया जी द्वारा रचित एक पुस्तक है, जिसे सन् 1982 में दहिनाम पब्लिशर्स (सोनीपत, हरयाणा) द्वारा छापा गया था। इस पुस्तक में कुल 370 मुख्य पृष्ठ है, जिनमें दस पाठ और पाँच परिशिष्ट सम्मिलित है। विकिफाईअर चौ. रेयांश सिंह के शब्दों में इसे पुस्तक न कह कर एक ऐतिहासिक जाटग्रन्थ की शृंखला से देखा जाना उचित होगा। अतः इसमें अनेकों शोध सन्दर्भों तथा पुराणों आदि के आधार पर जाट नस्ल के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है जिसे पढ़ना हर जाट के लिए गौरव की बात है।


अनुक्रमणिका

पाठ्य क्रम.

पाठ का नाम

पृष्ठ क्रम.

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आवरण पृष्ठ
--
-
हिन्दी संस्करण के लिए दो शब्द
(i)-(iv)
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भूमिका
(v)-(xviii)
01
ये जाट
01-86
02
आर्यों के साथ सम्बन्ध
087-131
03
मण्ड
132-142
04
पोरस और मौर्य
143-178
05
धारण जाटों का साम्राज्य
(तथाकथित गुप्त साम्राज्य गुप्त सम्राटों का)
179-205
06
हर्षवर्धन
206-235
07
पतन का कारण : कट्टरवाद का उत्थान
236-240
08
दक्षिण भारत में जाट कुल
241-244
09
भारत में जाट कुल
245-302
10
जाटों का अस्तित्व — प्राचीनता के गर्भ में
303-325

परिशिष्टें

क्रमांक शीर्षक पृष्ठ क्रमांक
1
राजपूतों से जाट कुलों का तथाकथित उद्भव ; कपोल-कल्पित
326-328
2
कुलों का पहचान संचित्र (क़्लान् आईडैन्टिफिकेशन चार्ट)
329-338
2 (क)
भारतीय जाट कुलों के अन्य रूपांतरित नाम
339-342
3
Tribes and Castes में वर्णित् अन्य जाट कुल
343-353
4
केल्विन केफ़र्ट की कृति से कुछ रुचिकर तथ्य
354-357
5
एतिहासिक काल में भारत के शासक कुल
358-359

अन्य

शीर्षक पृष्ठ क्रमांक
सन्दर्भ-ग्रन्थसूची (Bibliography)
360-365
Index
366-370
सन्क्षिप्तीकरण
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मानचित्र (नक्शे)
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