Hanuman Ram Saran
Havildar Hanuman Ram Saran - Shaurya Chakra Awardee[1], for his acts of bravery, in fighting with militants in Lolab Valley of Kupwara sector of Jammu and Kashmir on 23 July 2016. He is from Jakhron Ki Dhani (Sanawara) village in Barmer Tehsil of Barmer district in Rajasthan.
He was born on 12.1.1980 in Jakhron Ki Dhani (Sanawara) village in Barmer, Rajasthan. He joined Rajputana Rifles on 28.2.1997.
Shaurya Chakra
Reference - News Service Jammu, 25 January 2017
Bravehearts of the Indian Army deployed in the Northern Command were awarded gallantry awards on the eve of the 68th Republic Day.
Kirti Chakra, the second highest peace time gallantry award, will be awarded to Late Havildar Prem Bahadur Resmi and Major Rohit Suri.
Eight bravehearts of Northern Command were awarded with Shaurya Chakra, which is the third highest gallantry award. The list also includes award of Sena Medal (Gallantry) and Mention-in-Despatches for Operation Rakshak and Operation Meghdoot.
Kirti Chakra awardee Lance Havildar Prem Bahadur Magar made the supreme sacrifice after eliminating four terrorists attempting infiltration in Tangdhar Sector of Jammu and Kashmir on June 16, 2016. However, the brave martyr succumbed to a fatal gunshot wound that he received during the act. Major Suri is honoured with the Kirti Chakra for displaying inspiring leadership and conspicuous gallantry while leading his team gallantly in an operation in Kashmir.
Shaurya Chakra awardees include Lt Col Atul Gupta, Major Rajat Chandra, Major Deepak Kumar Upadhaya, Captain Ashutosh Kumar, Naib Subedar Vijay Kumar, paratrooper Abdul Qayum, Havildar Hanuman Ram Saran and Late Naik Gawade Pandurang Mahadev.
Havildar Hanuman Ram Saran
Havildar Hanuman Ram Saran was commander of the operation team which had established surveillance-cum-ambush in general area Urni Nar at Kupwara district of Jammu and Kashmir on 23 June 2016.
When his party spotted movement of three terrorists along southern slopes of Urni Nar, Havildar Hanuman displaying quick presence of mind alerted his team to allow the terrorists to enter an open patch area.
On being fired upon when he challenged the terrorists, the individual changed position and took an aimed shot to neutralise one terrorist.
Amidst the ensuing fire fight with balance terrorists, he resited his parties in order to pin them down preventing their escape, regained communication and called for reinforcements from the company operating base while co-ordinating the fire being brought down on the terrorists.
Displaying extraordinary valour under fire, mental mobility, inexhaustible stamina and battlecraft, he personally led two of his men to close-in with the trapped terrorists and engaged them with accurate fire to further neutralise another terrorist while injuring the third, who was eliminated eventually.
Havildar Hanuman Ram Saran displayed blazing act of gallantry, indomitable courage, excellent field and battle craft and exemplary leadership in fighting with the terrorists.
हवलदार हनुमान राम सारण
हवलदार हनुमान राम सारण
शौर्य चक्र
यूनिट - 18 राष्ट्रीय राइफल्स/राजपुताना राइफल्स
आतंकवाद विरोधी अभियान
हवलदार हनुमान राम का जन्म 12 जनवरी 1980 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के (जाखड़ों की ढाणी) सनावड़ा गांव में हुआ था। 28 फरवरी 1997 को वह भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। अपनी बटालियन में विभिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं प्रदान करते हुए वह हवलदार के पद पर पदोन्नत हो गए थे।
22 अक्टूबर 2015 को इन्हें प्रतिनियुक्ति पर जम्मू कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगी हुई 18 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ संलग्न कर कुपवाड़ा में तैनात किया गया था।
23 जून 2016 को कुपवाड़ा जिले के उरनी नार क्षेत्र में अवलोकन-सह-घात स्थापित लगाया गया था। हवलदार हनुमान राम सारण उस परिचालन टुकड़ी के कमांडर थे। जब उनके दल ने उरनी नार की दक्षिणी ढलानों पर तीन आतंकवादियों की गतिविधि देखी, तो हवलदार हनुमान ने त्वरित सूझबूझ का परिचय देते हुए अपने दल को सतर्क कर दिया और आतंकवादियों को अनावृत क्षेत्र में आगे आने दिया।
आतंकवादियों को चुनौती देने पर जब उन पर गोली चलाई गई तो उन्होंने अपना स्थान परिवर्तित किया और एक आतंकवादी को मारने के लिए लक्ष्य साधकर गोली चलाई। शेष रहे आतंकवादियों की फायरिंग में उन्होंने अपने दलों को पीछे भेजकर उन्हें भागने से रोका, उनसे संपर्क स्थापित किया और आतंकवादियों पर फायरिंग का समन्वय करते हुए कंपनी संचालन बेस से अतिरिक्त बल मंगवाया।
फायरिंग के समय असाधारण वीरता, मानसिक गतिशीलता, अटूट सहनशक्ति और युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए, हवलदार सारण व्यक्तिगत रूप से अपने दो सैनिकों का नेतृत्व करते हुए घिरे हुए आतंकवादियों के निकट पहुंचे और उन पर सटीक फायरिंग करते हुए एक अन्य आतंकवादी को मार दिया, जबकि तीसरे को घायल कर दिया, जिसे अंततः मार दिया गया।
हवलदार हनुमान राम सारण ने आतंकवादियों के साथ संघर्ष में अदम्य साहस, अदम्य वीरता, उत्कृष्ट क्षेत्र और युद्ध कौशल तथा अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया। 26 जनवरी 2017 को महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उन्हें "शौर्य चक्र" से सम्मानित किया गया।
Source - Ramesh Sharma
शौर्य चक्र
किसी कवि ने कहा है - सखरो गांव सनावड़ो, मालाणी रो मोड़। सारण मंडा मायला, अनवी जाट अरोड़ ।।
आज एक बार फिर भारतीय सेना के जाबांज सैनिक सिद्ध कर दिया सखरा (अच्छा) गांव सनावड़ा मालाणी परगने का मोड़(मुकुट) है। बाड़मेर जिले के सनावड़ा गांव के निवासी, भारतीय सेना की राजपूताना राईफल रेजीमेंट के हवलदार हनुमानराम सारण को शौर्य चक्र देने की घोषणा की गयी।
गत साल 23 जुलाई 12016 को भारत के मुकुट कश्मीर के कुपवाड़ा में तीन आतंकियों को मारकर अदम्य साहस का परिचय देकर अलगाववादियों के नापाक इरादों को नेस्तनाबुद करने के साथ ही सनावड़ा को मुकुट बना दिया। आपके नेतृत्व में लगातार नौ घंटे तक आतंकियों से मुकाबला किया और आखिर अपने आपरेशन में कामयाब रहे।
लेखक - जोगाराम सारण श्री किसान शोध संस्थान लायब्रेरी गरल बाड़मेर
हनुमानराम को शौर्य चक्र
Reference - Rajasthan Patrika 28.1.2017
मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया तो मिल गया बाड़मेर के हनुमानराम को शौर्य चक्र:
कश्मीर के कुपवाड़ा में 23 जुलाई 2016 को तीन आतंकियों को मारकर अदम्य साहस का परिचय देने वाले सेना के 18 राष्ट्रीय राइफल के हवलदार हनुमानराम सारण को शौर्य चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। हनुमानराम बाड़मेर के सनावड़ा गांव के निवासी है। कुपवाड़ा की लोलावेली में आतंकियों के घुसने की सूचना मिलने पर हनुमानराम के नेतृत्व में दस जवानों का दल सर्च को पहुंचा। यहां पर आतंकियों से मुठभेड़ हुई। करीब नौ घंटे चली गोलीबारी में हनुमानराम ने नेतृत्व तो किया ही, वे खुद रेंगते हुए आतंकियों के सामने पहुंच गए और उनको मार गिराया। उनके इस साहसिक कार्य के लिए शौर्य चक्र प्रदान करने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति की ओर से यह शौर्य चक्र प्रदान किया जाएगा।
गांव में जश्न का माहौल: यह सूचना आने पर यहां जाखड़ों की ढाणी सहित पूरे गांव में जश्न का माहौल रहा। ग्रामीणों ने खुशी जाहिर की कि उनके गांव के हवलदार ने देश में नाम ऊंचा किया है। ग्रामीणों ने हवलदार हनुमानराम को बधाइयां प्रेषित की है। उनके गांव आने पर जश्न मनाने व स्वागत करने का निणज़्य किया गया है। हनुमानराम के पिता देवाराम किसान और मां गृहिणी है। उनके दो छोटे भाई हैं। एक भाई बीए तृतीय वर्ष का विद्यार्थी है।
सियाचिन से लेकर करगिल तक रहे तैनात: हनुमानराम का फुसाणियों का तला जाखड़ों की ढाणी में 12 जनवरी 1980 को जन्म हुआ। 28 फरवरी 1997 में राजपूताना राइफल रेजिमेंट दिल्ली कैंट में भर्ती हुए। सियाचिन, ग्लेश्यिर, करगिल में तैनात रहे। जोधपुर, अरूणाचल , प्रदेश, उरी, नौगांव के साथ दिल्ली, सुडान साउथ अफ्रीका शांति सेना में दल के रूप में सेवाएं दी। अभी लोलाबवेली कुपवाड़ा में सेवाएं दे रहे हैं।
गर्व है कि मैं सेना में हूं:गर्व है कि भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा हूं। देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा होना चाहिए। सेना हमें यही सिखाती है कि देश और मातृभमि ही हमारे लिए सर्वोपरि है। - हनुमानराम सारण, शौर्यचक्र विजेता
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External links
- बाड़मेर के जाबांज को लगातार दूसरे साल भी शौर्य चक्र
- मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया तो मिल गया बाड़मेर के हनुमानराम को शौर्य चक्र
References
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