Jat Jan Sewak/Khandelawati-1
Digitized & Wikified by Laxman Burdak, IFS (R) |
पुस्तक: रियासती भारत के जाट जन सेवक, 1949, पृष्ठ: 580
संपादक: ठाकुर देशराज, प्रकाशक: त्रिवेणी प्रकाशन गृह, जघीना, भरतपुर
चौधरी नवलसिंह जी (खर्रा), भारणी, सीकर
चौधरी नवलसिंह जी - [पृ.529]: रींगस स्टेशन के पास भारणी जाटों का एक मशहूर गांव है। इसे आज से हजार ग्यारह सौ वर्ष पहले यहां के प्रसिद्ध शहीद चौधरी नाथूराम जी निठारवाल के पूर्वजों ने बसाया था। इसी गांव में खर्रा गोत्र के जाटों में चौधरी भूधाराम जी के लड़के नवलसिंह जी हैं। नवलसिंह जी का जन्म संवत 1940 (1883 ई.) के आसपास हुआ था। आप बिना छल-कपट और लोभ-लालच के संस्थाओं में काम करते हैं। खंडेलावाटी जाट पंचायत के आप जन्म दाताओं में से थे और आपने तथा नारायणसिंह जी
[पृ.530]: ने वर्षों तक जाट पंचायत के द्वारा इस इलाके की सेवा की। इसके बाद यह प्रजामंडल में शामिल हो गए। तब से वहां ईमानदारी के साथ और बिना किसी से ईर्ष्या द्वेष किए सेवा कार्य करते हैं। आपका बहादुर बेटा श्योबक्स खर्रा भोमियों का मुकाबला करता हुआ अब से 4-5 साल पहले चौधरी रामूराम जी के लड़के नाथूराम जी के साथ शहीद हो गया। उसने अपने पीछे श्यामसिंह, भगवानसिंह और प्रतापसिंह नामक बच्चे छोड़े हैं।
कुंवर गणेशराम जी (खर्रा), भारणी, सीकर
कुंवर गणेशरामजी - [पृ.530]: चौधरी नवलसिंह जी के छोटे भाई श्री मोतीराम जी थे जिनके सुयोग्य पुत्र का नाम ही कुंवर गणेशरामजी है। पतला और लंबा छरहरा कद और बेलदार बड़ी मुझे आप की विशेषताएं हैं। आपका जन्म संवत 1968 विक्रमी (1911 ई.) में हुआ है।
भारणी में खर्रा गोत्र के चौधरी कन्हैयारामजी एक बलिष्ठ शरीर के आदमी थे और सुंदर भी थे उन्हीं की गोद चौधरी मोतीराम जी चले गए थे। इस तरह कुंवर गणेश रामजी एक धनी और बलिष्ठ आदमी के पोते हैं। इसलिए वह जन्म से ही भाग्यशाली भी हैं। यह उनके बलवान भाग्य की ही करामात है कि वह जयपुर असेंबली के चुने हुए मेंबर और जिला बोर्ड के नामजद सदस्य हैं।
आपका व्यापार भी चलता है और जन सेवा का कार्य भी। हंसमुख मिजाज और सहज परिश्रम आप के गुण हैं। आपके तीन भाई हैं ओंकारसिंह, चंद्रसिंह और मूलसिंह उनके नाम है। तीन लड़के हरिसिंह, रघुवीर सिंह और मोहनसिंह।
भारणी के चौधरी नारायणसिंह जी से शेखावाटी, सीकर
[पृ.531]: वाटी और खंडेलावाटी के सभी लोग परिचित हैं। उन्हीं के छोटे भाई बालूराम जी चौधरी परसराम जी के सुपुत्र हैं। आज से करीब 53-54 वर्ष पहले आपका जन्म हुआ था। आपके एक पुत्र हरबख्श सिंह हैं जो पढ़ते हैं। आप भी कौमी सेवक हैं।