Nawal Ram Kharra
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Nawal Ram Kharra (चौधरी नवलराम खर्रा) from Bharni, Sri Madhopur, Sikar, was a social worker and freedom fighter in Sikar district of Rajasthan. He was a Chaudhary of village Bharni in Sikar district in Rajasthan. His son Shivbaksh Kharra died fighting with Jagirdars in Shekhawati farmers movement. [1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ...चौधरी नवलसिंह जी - [पृ.529]: रींगस स्टेशन के पास भारणी जाटों का एक मशहूर गांव है। इसे आज से हजार ग्यारह सौ वर्ष पहले यहां के प्रसिद्ध शहीद चौधरी नाथूराम जी निठारवाल के पूर्वजों ने बसाया था। इसी गांव में खर्रा गोत्र के जाटों में चौधरी भूधाराम जी के लड़के नवलसिंह जी हैं। नवलसिंह जी का जन्म संवत 1940 (1883 ई.) के आसपास हुआ था। आप बिना छल-कपट और लोभ-लालच के संस्थाओं में काम करते हैं। खंडेलावाटी जाट पंचायत के आप जन्म दाताओं में से थे और आपने तथा नारायणसिंह जी
[पृ.530]: ने वर्षों तक जाट पंचायत के द्वारा इस इलाके की सेवा की। इसके बाद यह प्रजामंडल में शामिल हो गए। तब से वहां ईमानदारी के साथ और बिना किसी से ईर्ष्या द्वेष किए सेवा कार्य करते हैं। आपका बहादुर बेटा श्योबक्स खर्रा भोमियों का मुकाबला करता हुआ अब से 4-5 साल पहले चौधरी रामूराम जी के लड़के नाथूराम जी के साथ शहीद हो गया। उसने अपने पीछे श्यामसिंह, भगवानसिंह और प्रतापसिंह नामक बच्चे छोड़े हैं।
चौधरी नवलराम खर्रा का जीवन परिचय
राजेन्द्र कसवा[3] ने लिखा है .....भारनी गाँव में सन 1942 में जागीरदारों से लड़ते हुए दो किसान शहीद हो गए. इनके नाम थे -
श्योबक्स के पुत्र भागीरथ सिंह ने बताया कि भारनी गाँव के चौधरी नवल राम खर्रा के पुत्र श्योबक्स खर्रा बचपन से साहसी और हष्ट-पुष्ट थे. उनके डील-डौल को देखकर ही किशोर श्योबक्स को फ़ौज में भारती कर लिया गया. घरवालों को पता लगा तो बड़ी मुश्किल से फ़ौज से डिस्चार्ज कराया गया.श्योबक्स ने 1934 के सीकर प्रजापति महायज्ञ में सक्रियता से भाग लिया था.
चौधरी नवल राम खर्रा के यहाँ महरौली के भौमियों की जमीन गिरवी रखी हुई थी. भौमियों और नवल राम के बीच जमीन को लेकर विवाद हो गया. नवल राम के खेत से भौमियों ने रात को बाजरे की सिट्टे तोड़ लिए और सुबह अपने घर ले जाने लगे. तब श्योबक्स को सूचना मिली. वह लाठी लेकर एक अन्य किसान नाथू राम के साथ भौमियों के दल से भीड़ गए, भौमिये काफी संख्या में थे. दोनों शहीद हो गए. तब तक भारनी के अन्य किसान पहुँच गए और ठाकुरों को मार भगाया. बाद में मुकदमा चला और 17 ठाकुरों को उम्र कैद हुई. इस हत्याकांड के बाद किसानों ने महरौली के ठाकुरों को लगान देना बंद कर दिया था. अपने कब्जे की जमीन को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा. दोनों शहीदों के स्मारक बने हुए हैं.
किसान सभा का सदस्य चुना 1946
किसान सभा की और से रींगस में विशाल किसान सम्मलेन 30 जून 1946 को बुलाया गया. इसमें पूरे राज्य के किसान नेता सम्मिलित हुए. यह निर्णय किया गया कि पूरे जयपुर स्टेट में किसान सभा की शाखाएं गठन की जावें. आपको जयपुर स्टेट की किसान सभा का सदस्य चुना गया. (राजेन्द्र कसवा, p. 203)
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.529-530
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.529-530
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 221
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