Jobner

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Location of Jobner in Jaipur district

Jobner (जोबनेर) village is in Phulera tahsil of Jaipur district in Rajasthan. It is Municipal Board.

Location

Jobner is situated about 45 km west of Jaipur and in the east of Phulera in Jaipur district of Rajasthan.

History

जोबनेर प्राचीनता : जोबनेर ढूंढाड़ अंचल का एक प्राचीन क़स्बा है. यह जयपुर से 45 किमी पश्चिम में है. अभिलेखीय साक्ष्यों में इसे जुब्बनेर, जुब्बनगर, जोवनपुरी, जोबनेरि, जोबनेर आदि विविध नामों से जाना गया है. कूर्मविलास में इसका एक और अन्य नाम जोगनेर (योगिनी नगर) मिलता है जो इसका प्राचीन नाम प्रतीत होता है. अरावली पर्वतमाला में एक पर्वत की गोद में जोबनेर ज्वालामाता के प्राचीन शक्तिपीठ के लिए प्रसिद्ध है. [1]

जोबनेर का पौराणिक सम्बंध राजा ययाति से माना गया है. कहा जाता है कि यह नगर ययाति ने बसाया था. इसके प्रमाण स्वरुप सांभर में देवयानी तीर्थ का हवाला दिया जाता है. [2]

Jobner Inscription of Sinharaja Chohan V.S. 1022 (965 AD)

चौहानों का राज्य: ज्ञात इतिहास के अनुसार जोबनेर पर पहले चौहानों का राज्य था. यहाँ से हमें चौहान शासक सिंहराज का वि.सं. 1022 (965 ई.) की माघ सुदी 12 का एक शिलालेख उपलब्ध हुआ है जिसमें उक्त मान्यता की पुष्टि होती है. वंश-भास्कर में शाकम्भरी के नरेश माणिक्यराज चौहान द्वारा जिन नगरों एवं गाँवों को जीतने का उल्लेख है उनमें नरायणा के साथ जोबनेर का नाम भी आता है -

इत पब्वयसर डिडडवान पर आन भगानी ।
नारायणपुर जुब्बनैर दब्बे इत दानी ॥ [3]

चौहानों के शासनकाल में जोबनेर और उसका निकटवर्ती प्रदेश सपादलक्ष कहलाता था. वंशभास्कर में अजमेर के चौहान राजा बीसलदेव (सम्भवतः विग्रहराज तृतीय) के प्रसंग में भी जोबनेर का उल्लेख आया है. वह इस जनश्रुति का उल्लेख करता है कि चौहान राजा बीसलदेव अपने भ्रष्ट आचरण के कारण शापित हो ढूंढ राक्षस बन गए तथा अजमेर को उजाड़कर जोबनेर की तरफ आया तथा वहाँ के पर्वत पर उकडू बैठकर नर भक्षण करने लगा. वंशभास्कर के अनुसार उस ढूंढ राक्षस के नाम पर उसका विचरण क्षेत्र ढूंढाड़ के नाम से विख्यात हुआ. ढूंढाड़ के नामकरण की यह धरना अनैतिक और काल्पनिक है परन्तु यहाँ उल्लेख करने का आशय मात्र जोबनेर की प्राचीनता से सम्बंधित है जो कई शताब्दियों पहले की है. [4]

कछवाहों का आधिपत्य

कछवाहों का आधिपत्य: जोबनेर पर चौहानों के बाद पहले हमीरदेका कछवाहों तथा फिर खंगारोत कछवाहों का आधिपत्य रहा इस शाखा के पूर्व पुरुष जगमाल कछवाहा और उनके पुत्र राव खंगारने पहले बोराज और फिर जोबनेर पर अधिकार कर लिया। ये जगमाल कछवाहा खानवा युद्ध में राणा सांगा की और से बाबर के विरुद्ध लड़े थे परन्तु बाद में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बाद शाही मनसबदार बन गए. जगमल कछवाहा और राव खंगार ने अकबर की तरफ से अनेक युद्धों में भाग लिया था. जगमाल कछवाहा ने जोबनेर के पश्चिम में अपने नाम से जगमालपुरा गाँव बसाया। जो आज भी इस नाम से विद्यमान है. जनश्रुति है कि जगमल कछवाहा ने अपनी एक रानी आसलदे के नाम पर आसलपुर गाँव बसाया। राव जगमाल की यह रानी उमरकोट की राजकुमारी थी. जनश्रुति के अनुसार उमरकोट में हुमायूँ को शरण दिलाने में वहाँ के सोढा राजा की पुत्री एवं राव जगमाल की रानी आसलदे (नेतकंवर) का विशेष हाथ था. जगमल कछवाहा के बाद राव खंगार तथा उसके बाद राव खंगार के कनिष्ठ पुत्र मनोहरदास जोबनेर के शासक हुए. जिनसे खंगरोतों की मनोहर दासोत उपशाखा चली. डोडी, कोढ़ी, मंढा, भादवा, प्रतापपुरा, मरलीपुरा, आदि के के खंगारोत उन्हीं की वंश परंपरा के हैं. [5]

ज्वालामाता का प्राचीन मंदिर : जोबनेर के विशाल पर्वत पर ज्वालामाता का प्राचीन मंदिर एवं प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. इस मंदिर के सभा मंडप के स्तम्भ पर उत्कीर्ण विसं 1022 (965 ई.) के शिलालेख से इसकी प्राचीनता का प्रमाण मिलता है. यह मनोहर दासोत खंगरोतों की कुलदेवी है. जनश्रुति है कि अजमेर के शाही सेनापति मुराद (लाल बेग) ने 1641 ई. के लगभग यहाँ के शासक जैतसिंह के शासनकाल में जोबनेर पर आक्रमण किया तब जोबनेर पर्वतांचल से मधुमखियों का विशाल झुण्ड आक्रांता पर टूट पड़ा तथा इस तरह देवी ने स्वयं प्रकट होकर आक्रांता को पराजित किया. [6]

जोबनेर में सन 1947 में रावल नरेंद्र सिंह ने देश में सबसे पहले कृषि महाविद्यालय स्थापित किया जो कृषि अनुसन्धान एवं प्रसार के प्रमुख केंद्र के रूप में विख्यात हुआ. जोबनेर जैनधर्म और संस्कृति का प्रकुख केंद्र रहा है.

Jat Gotras in the Village

Notable persons

External Links

References

  1. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 82
  2. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 82
  3. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 82
  4. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 83
  5. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 83
  6. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 83
  7. Jat Samaj, May 2009, p.31

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