Kotra Barmer
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
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- For village of same name in Gujarat see Kotra Gujarat
Kotra (कोटड़ा) is a village in Sheo Tahsil of Barmer district in Rajasthan.
Location
Pincode of the village is 344701. It is situated 13km away from Sheo town and 68km away from Barmer city. Kotra village has got its own gram panchayat. Ambabari, Joranada and Talon Ka Par are some of the nearby villages.
Founder
- Raja Kotra Punia founded city called Kotra on Baisakh Sudi 11 V.S. 901 (=844 AD) and constructed Fort at Kotra in Sheo tahsil of Barmer, Rajasthan.
Jat Gotras
कोटड़ा का किला (कोटड़ा गांव, शिव तहसील, बाड़मेर)
कोटड़ा का किला: इस किले का निर्माण पुनिया शासक कोटड़ा राजा ने करवाया था. कैटड़ राजा उर्फ़ (कोटड़ा राजा) कर्ण राजा की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठा जिसने अपने नाम का एक नगर कैटड़ उर्फ़ कोटड़ा बसाया तथा एक वर्ष बाद इस नगर को राजधानी बना लिया. राजा कैटड़ अथवा कोटड़ ने वैशाख सुदी ग्यारस 901 विक्रम संवत (=844 ई.) में कैटड़ अथवा कोटड़ा नगर बसाया तथा कोटड़ा के किले का निर्माण किया. यह किला (कोटड़ा गांव, शिव तहसील जिला बाड़मेर) में स्थित है.
किले में पानी पीने के लिए सरगला नामक कुंआ है. दुर्ग में कुल 8 बुर्ज़ हैं. वर्तमान में यह दुर्ग बिल्कुल जर्जर हो चुका है व नष्ट होने के कगार पर है.
कहते है कि ऐतिहासिक कोटड़ा किला बनाने वाले कारीगर के हाथ काट दिए थे. बाड़मेर से लगभग 68 किलोमीटर दूर शिव तहसील के कोटड़ा ग्राम में रेतीले भूभाग में एक छोटी सी पहाड़ी पर कलाकृतियों से अलंकृत ऐतिहासिक किला बना हुआ है. कोटड़े का किला मारवाड़ के सर्वश्रेण्ठ नव कोटों (दुर्ग) में से एक है. कोटड़ा की गिनती मण्डोर, आबू, जालोर, बाड़मेर, परकारां, जैसलमेर, अजमेर व मारु के किलों के साथ की जाती है. बाड़मेर जिले की ऐतिहासिक धरा पर जहां किराडू, खेड़, जूना गोहणा भाखर जैसे दर्शनीय पुरात्तव स्थल है. वहीं एक छोटी सी पहाड़ी पर कलाकृतियों से अंलकृत कोटड़ा किला है. इस किले के चारों ओर बड़ी बड़ी आठ बुर्जे बनी हुई है. इन बुर्जो के बीच बीच में ऊंची दीवारो के मध्य कई महल और मकान हैं. बुर्जो व मध्य स्थित दीवारों में दुश्मनों से मुकाबले हेतु मोर्चे बने हुए हैं. कोटड़ा का किला भारी चट्टानों को काट कर सोनार किले कि तरह बनाने का अद्भुत प्रयास किया गया है.
कोटड़ा शिलालेख: किले के स्वामित्व के सम्बन्ध में एक शिलालेख उपलब्ध है. जिसमें वि.स.के आगे तीन अक्षर 123 विद्यमान है. जबकि अन्तिम अक्षर लुप्त है. इससे आभास होता है कि किला विक्रम संवत 1230 से 1239 तक अविध में आसलदेव ने कराया था. उन्होने किले की मरम्मत करवाने के साथ कई राजप्रसादों का भी निर्माण कराया. तत्पचात शनै: शनै: विभिन्न शासकों एवं साहूकारों ने किले के भीतरी भागों में कई नये निर्माण कार्य करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. प्राचीन वैभव की ये ऐतिहासिक शिल्प कलाएं धराशाई हो चुकी हैं.
कोटड़े के किले में एक कलात्मक झरोखा है जिसे स्थानीय भाषा में मेडी कहते है. मेडी भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है इसे राव जोधाजी के वंशज मारवाड़ के शासक मालदेव के खजांची गोवर्धन खीची ने बनाया था.
प्राचीन समय से ही कोटड़ा ऐतिहासिक, सामाजिक धार्मिक व राजनैतिक घटनाओं का साक्षी रहा है. इस दुर्ग पर समय समय पर कई आक्रांताओं ने आक्रमण किए. मुसलमानों के आक्रमण ने पंवारों से कोटड़ा छीन लिया. चोदहवीं शताब्दी में खेड़ के राठौड़ रणधरी ने शिव को कब्जे में करते हुए कोटड़ा पर भी अपना अधिकार किया किन्तु उनके भतीजे राठौड़ चांपा ने उनकी हत्या कर कोटड़ा पर अपना आधिपत्य जमा लिया. चांपा के वंशज इतिहास प्रसिद्व दानवीर राणा बागसिंह ने इस क्षैत्र पर पूर्ण अधिकार किया.
History
It is mentioned by James Tod[1]: Kotra — Town of five hundred houses, of which only two hundred are now inhabited. On the north-west side is a fort on the ridge. A Rathor chief resides here. The district of Sheo- Kotra was taken from the Bhattis of Jaisalmer by the Rathors of Jodhpur.
Population
According to Census-2011 information:
- With total 179 families residing, Kotra village has the population of 862 (of which 458 are males while 404 are females).[2]
Notable persons
External links
References
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