Plakshadvipa
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Plaksadvipa (प्लक्षद्वीप) is the dvipa ("island" or "continent") of the terrestrial world is among seven dvipas as described by Bhagavata Puranas.[1]
Origin
The word Plakṣadvīpa literally refers to "the land of fig trees" where Plaksha is the name of the species and dvīpa means "island" or "continent".
Variants
- Plakshadvipa (प्लक्षद्वीप) (AS, p.592)
- Plakṣadvīpa (प्लक्षद्वीप)
History
More than 2000 years ago the writers of Puranas have adopted similar method and divided earth into natural divisions based on the predominant flora or fauna of this region. According to Matsya, Bhagavata Puranas, the world was divided into 7 dvipas. They are:
- Jambudvipa (land of Indian berries)
- Kushadvipa (land of grass)
- Plakshadvipa (land of fig trees)
- Pushkaradvipa (land of lakes)
- Salmalidvipa (land of silk cotton trees)
- Kraunchadvipa (land of kraunca birds)
- Shakadvipa (land of Shaka people).[2]
प्लक्षद्वीप
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...प्लक्षद्वीप (AS, p.592): पौराणिक भूगोल की कल्पना के अनुसार पृथ्वी के सप्त महाद्वीपों में प्लक्षद्वीप की भी गणना की गयी है। 'जंबू प्लक्षाह्वयौ द्वीपौ शाल्मलश्चापरो द्विज, कुश: क्रौंच्स्तथा शाक: पुष्करश्चैव सप्तम:।' (विष्णु पुराण 2,2,5) विष्णु पुराण [2,4] में प्लक्षद्वीप का सविस्तार वर्णन है, जिससे सूचित होता है कि विशाल प्लक्ष या पाकड़ के वृक्ष की यहाँ स्थिति होने से यह द्वीप 'प्लक्ष' कहलाता था। इसका विस्तार दो लक्ष योजन था।
इसके सात मर्यादा पर्वत थे- गोमेद, चंद्र, नारद, दुंदुभि, सोमक, सुमना और वैभ्राज।
यहाँ की सात मुख्य नदियों के नाम थे - अनुतप्ता, शिखी, विपाशा, त्रिदिवा, अक्लमा, अमृता और सुक्रता।
यह द्वीप लवण या क्षार सागर से घिरा हुआ था। इस द्वीप के निवासी सदा निरोग रहते थे और पाँच सहस्त्र वर्ष की आयु वाले थे। यहाँ की जो आर्यक, कुरर, विदिश्य और भावी नामक जातियाँ थी, वे ही क्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र थीं। प्लक्ष में आर्यकादि वर्णों द्वारा जगत्स्स्त्रष्ट्रा हरि का पूजन सोम रूप में किया जाता था। इस द्वीप के सप्त पर्वतों में देवता और गंधर्वों के सहित सदा निष्पाप प्रजा निवास करती थी। (उपर्युक्त उद्धरण विष्णु पुराण के वर्णन का एक अंश है।)
मेधातिथि के सात पुत्र: विष्णुपुराण के अनुसार- प्लक्षद्वीप का विस्तार जम्बूद्वीप से दुगुना है। यहां बीच में एक विशाल प्लक्ष वृक्ष लगा हुआ है। यहां के स्वामी मेधातिथि के सात पुत्र हुए। ये थे- 1. शान्तहय, 2. शिशिर, 3. सुखोदय, 4. आनंद, 5. शिव, 6. क्षेमक, 7. ध्रुव. इन पुत्रों के नाम पर ही प्लक्षद्वीप के सात भाग किये गए थे।[4]
सुकृता
विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...सुकृता (AS, p.971) विष्णुपुराण (2,4,11)[6] के अनुसार प्लक्षद्वीप की सात मुख्य नदियों में से एक है- 'अनुतप्ता शिखी चैव विपाशा त्रिदिवा अक्लमा अमृता सुकृता चैव सप्तैतास्तत्र निम्नगा:'। संभवत: यहां अधिकांश नदियों के नाम काल्पनिक हैं।
सुख वर्ष
सुख वर्ष (AS, p.972) : विष्णु पुराण 2, 4, 5[7] के अनुसार प्लक्ष द्वीप का एक भाग या वर्ष जो इस द्वीप के राजा मेधातिथि के पुत्र सुख के नाम पर प्रसिद्ध है.[8]
External links
References
- ↑ http://s3.amazonaws.com/academia.edu.documents/37272469/Geographical_knowledge_of_ancient Indians.docx
- ↑ http://s3.amazonaws.com/academia.edu.documents/37272469/Geographical_knowledge_of_ancient Indians.docx
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.592
- ↑ भारतकोश-शिशिर (स्थान)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.971
- ↑ अनुतप्ता शिखी चैव विपाशा त्रिदिवाक्लमः । अमृता सुकृता चैव सप्तैतास्तत्र निम्नगाः ॥ २,४.११ ॥
- ↑ पूर्वं शान्तहयं वर्षं शिशिरं च सुखं तथा । आनन्दं च शिवं चैव क्षेमकं ध्रुवमेव च ॥ २,४.५ ॥
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.972