Satalmer
Satalmer was one of the Bhatti castles wrested from them by the Rathors, who greatly curtailed their frontier.
Origin
James Tod writes that the second Bhatti Chief Kehar's 5th son, Satal, gave his name to an ancient town, and called it Satulmer[1]
History
James Tod writes that Jinj Rajpoot, pasturing an immense flock of goats, presented the best of his flock, and demanded from Bhatts the protection against the raids of Birjung Rahtore. This chief had wrested the celebrated fortress of Satalmer,[2] the abode of wealthy merchants, from a Bhatti chief, and extended his forays far into the desert, and the Jinj was one of those who had suffered by his success.[3]
बाबा रामदेव
बाबा रामदेव का जन्म जैसलमेर जिले के पोकरण के पास रूणीचा गाँव में हुआ था. इनका जन्म काल संवत १४०९ से १४६२ के मध्य माना जाता है. इनके पिता तंवर क्षेत्रीय थे. उनका नाम अजमाल था. माता का नाम मैणादे था. रामदेवजी ने बाल्यावस्था में ही सातलमेर में तांत्रिक भैरव का वध कर उसका आतंक समाप्त किया था. उनका विवाह अमर कोट के सोढा राजपूत दले सिंह की पुत्री नेतलदे के साथ हुआ. राम देव सब मनुष्यों को बराबर मानते थे तथा मूर्ती पूजा और तीर्थ यात्रा को व्यर्थ मानते थे. उन्होंने मुसलमान बन गए हिन्दुओं का शुद्धि का काम आरम्भ किया था. वे जाति प्रथा का विरोध करते थे. राम देव जी ने कामडिया पंथ आरम्भ किया जिसमें उच्च और अछूत जातियों के सदस्य सम्मिलित हुए . उनकी समाधी राम देवरा गाँव में है. यहाँ प्रति वर्ष भादवा के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेला लगता है. राम देव जी के पगलिये गाँव-गाँव में पूजे जाते हैं. बीकानेर तथा जैसलमेर जिलों में राम देव जी की फड़ बांची जाती है. इनके भक्त तेरह ताली नृत्य करते हैं. (सन्दर्भ - डॉ मोहन लाल गुप्ता:राजस्थान ज्ञान कोष, वर्ष २००८, राजस्थानी ग्रंथागार जोधपुर, पृ. ४७४)
Notable persons
External links
References
- ↑ James Tod: Annals and Antiquities of Rajasthan, Volume II, Annals of Jaisalmer, p.232
- ↑ Now belonging to Marwar, and on its north-western frontier ; but I believe in ruins.
- ↑ James Tod: Annals and Antiquities of Rajasthan, Volume II, Annals of Jaisalmer, p.234
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