Surajbhan Singh Dudi

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Surajbhan Singh Dudi

Chaudhary Surajbhan Singh Dudi (1908-1985) was a government official and at the same time a social worker of repute from Jaipur, Rajasthan. His brother Ratan Lal Dudi was also a social worker. [1]

Introduction

He was born at village Sahajpura (now Khatipura) on 5 January 1908. He served in Govt service for a long period. After retirement he took up the work of welfare of Jats. He published 'Jat Sewak' monthly magazine. He has been President of Rajasthan Jat Mahasabha. He died on 16 December 1985. His statue is installed at Bhanpura (Jaipur).

चौधरी सूरजभानसिंह डूडी का जन्म

सूरजभान सिंह डूडी का जन्म 5 जनवरी 1908 को जयपुर के गाँव सहजपुरा (वर्तमान खातीपुरा) में रामचन्द्र सिंह के घर हुआ। रामचन्द्र सिंह रेल्वे में अच्छे पद पर काम करते थे। इनके दादा का नाम चौधरी सालिग राम था और वे गाँव के प्रमुख व नम्बरदार थे। इससे पहले डूडी परिवार चौमू (जयपुर) के काकरडा गाँव में निवास करता था।

सरकारी सेवा

आपको सामंती युग में भी मेट्रिक तक शिक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। आप 15 दिसंबर 1926 को जयपुर इनफ़ेंटरी में भर्ती हुये। लेकिन शीघ्र ही फौज की नौकरी छोड़ डी। बाद में उनकी नियुक्ति जयपुर रियासत के वन विभाग में रेंजर के पद पर हो गई जहां 15 वर्ष से अधिक समय तक काम किया। इसी दौरान मार्च 1940 को सवाईमाधोपुर के जंगल में रीछ ने आप पर हमला कर दिया। आप बिना किसी हथियार के थे परंतु रीछ को मार डाला। इस हमले में आपका बायाँ पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था। इस साहस और वीरता पर जयपुर नरेश ने 100 रुपये के इनाम से सम्मानित किया।

सान 1951 से 1960 तक आपने पंचायत विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर काम किया। तत्पश्चात कोपरेटिव इंस्पेक्टर और अंत में पुनः पंचायत विभाग में सेवरत रहे। 7 जनवरी 1966 को सरकारी सेवासे सेवानिवृत हुये। 38 वर्ष से अधिक समय तक आपने सरकार की निष्ठा और ईमानदारी से सेवा की।

समाज सेवा

जीविकोपार्जन के साथ-साथ आपने समाज की भी दिल से सेवा की। जीवनपर्यंत आप सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों से लड़ते रहे। आप अखिल भारतीय जाट महासभा और राजस्थान प्रदेश जाट सभा से जुड़े रहे। वर्ष 1925 में पुष्कर सम्मेलन में भाग लिया। वर्ष 1932 में झुंझुणु और 1933 में सीकर जाट प्रजापति यज्ञ के आयोजनों में सामील हुये। जाट इतिहास लेखक ठाकुर देशराज और क्रांतिकारी व अखिल भारतीय जाट महासभा अध्यक्ष आर्यान पेशवा राजा महेंद्र प्रताप के साथ आपने खूब समाज सेवा की।

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....बाबू सूरजभान जी डूडी एक जाट बोर्डिंग हाउस कायम करने की योजना में है।

किसान छात्रावास बनिपर्क जयपुर के संस्थापकों और संरक्षकों में आप भी एक थे। 23 जनवरी 1968 से जीवन पर्यंत आप इसके मंत्री रहे। 20 अप्रेल 1975 को आपके संयोजकत्व में तत्कालीन केंद्रीय रक्षामंत्री सरदार स्वर्ण सिंह ने इस छात्रावास का सिलान्यास किया।

समाजोत्थान की भावना से प्रेरित होकर लोक शिक्षण तथा जागरण हेतु ठाकुर देशराज जघीना के साथ मिलकर ‘जाट सेवक’ नाम से साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन 13 अगस्त 1968 को शुरू किया। ठाकुर देशराज इस पत्र के प्रथम संपादक थे। ठाकुर देशराज की मृत्यु के बाद 1978 तक आपने इसका काम संभाला। 12 वर्ष तक उन्होने ‘जाट सेवक’ के माध्यम से लोक शिक्षण, सजातीय संगठन एवं आपसी संपर्क, विचार विनिमय का महत्वपूर्ण कार्य किया।

आपका देहांत 16 दिसंबर 1985 को हुआ। आपके 4 पुत्र तथा 3 पुत्रियाँ हैं।


संदर्भ- हिन्दी में यह परिचयात्मक लेख जाट समाज आगरा, अप्रेल 2015, पृ.24, पर छप है। लेखक - दिलीप सिंह बेनीवाल, सी-4 कर्मा हाइट्स, श्री समर्थ नगर, नासिक

सम्मान

सम्मान – 16 दिसंबर 1991 को स्व. सूरजभान सिंह डूड़ी जी की मूर्ति का अनावरण भान नगर जयपुर में हुआ। प्रतिवर्ष इस तिथि को उनकी मूर्ति के प्रांगण में हवन व श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित होता है।

जीवन परिचय

संदर्भ


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