Thakur Natthan Singh

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Thakur Natthan Singh

Thakur Natthan Singh was freedom fighter and companion of Shahid Bhagat Singh. He was from Nagla Jujhar (Murwar) village Iglas tahsil, Aligarh district in Uttar Pradesh.

जीवन परिचय

गांव नगला जुझार (मुरवार) के ठाकुर नत्थनसिंह स्वतंत्रता सेनानी थे , वे अपनी ननिहाल , गांव जलालपुर (पिसावा) में रहते थे , तब उनका सम्पर्क क्रान्तिकारी शहीद भगतसिंह जब 18 माह गांव शादीपुर (खैर ) में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर टोडरसिंह के यहां उनके घर पर गांव शादीपुर में रहे थे , तब सतत सम्पर्क रहा था । ठाकुर टोडरसिंह के कहने पर ही भगतसिंह के साथ ठाकुर नत्थनसिंह , जब वे दोनों गांव शादीपुर से खुर्जा जंक्शन रेलवे स्टेशन जिला बुलंन्दशहर गए थे । नत्थनसिंह के चार पुत्र राजपालसिंह (मास्टर - जलालपुर ), राजवीरसिंह ( मास्टर - पिसावा) , राजेन्द्रसिंह और वीरेन्द्रसिंह (मास्टर - मिठ्ठौली) थे । (स्रोत:रणवीरसिंह 9425137463)

राष्ट्रीय आंदोलनों में सहयोग

ठाकुर नत्थन सिंह का जन्म 1899 में गांव मुरवार, गोंडा, जनपद अलीगढ़ में पिता बद्री सिंह व माता चंदन कौर के घर हुआ । परिवारीजनों के बुलावे पर वे माता व दादी के सानिध्य में गांव दमकौली, गौंडा में कुछ समय रहे । बाद में कुछ पारिवारिक कारणों से माता जी उन्हें उनके ननिहाल जलालपुर (पिसावा, अलीगढ़) में लेकर रहने लगीं ।

1917 में इन्होंने फौज में प्रवेश किया तथा 1922 में अंग्रेजी सरकार की गलत नीतियों के विरोध वह हृदय में राष्ट्रप्रेम की भावना उमडने के कारण फौज से इस्तीफा दे दिया तथा 1922 में कांग्रेस में प्रवेश किया । इनके प्रेरणास्रोत​ महात्मा गांधी व राजनीतिक गुरु स्वतंत्रता सेनानी श्रद्धैय टोढर सिंह तोमर (शादीपुर) थे ।

1925 में भगत सिंह के शादीपुर प्रवास के समय इन्होंने उनके साथ मिलकर अनेकों क्रांतिकारी कार्यों को अंजाम दिया ।

1927 - 28 में हरिद्वार में गांधीजी के डाक हल्कारे के रूप में कार्य किया तथा गांधी जी से विदाई लेते समय माता कस्तूरबा ने इनकी कर्तव्यनिष्ठा से खुश होकर इनको हस्तनिर्मित पंखा भेंट किया ।

1928 - 29 में आगरा में साइमन कमीशन के विरोधी​आंदोलन के साथ अनेकों साहसिक कार्य किए । आपने 1922, 1931, 1932 में जेल यात्राएं की तथा देश के अनेकों भागों में जवाहरलाल नेहरू, मुरारी जी, गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे राष्ट्रभक्तों के संपर्क में रहकर लोगों को देश भक्ति के लिए प्रेरित किया तथा अनेको व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाएं तथा गांधी जी के आंदोलनों के समर्थन में गांव-गांव जाकर अनेकों सभाएं की ।

स्वर्गवास

भारत मां का यह सपूत जिसके हृदय में राष्ट्रप्रेम कूट कूट कर भरा था 22 दिसंबर सन 1983 में राष्ट्रसेवा को दिल में संजोए ईश्वर को प्यारा हो गया।

सम्मान

आपने स्वतंत्रता के लिए अनेकों साहसिक, प्रेरणादायक कार्यों के साथ अनेकों क्षेत्रीय आंदोलन चलाए व राष्ट्रीय आंदोलनों में सहयोग किया । आप कांग्रेस सेवादल के प्रभावी सदस्य थे । आपके राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत अनेकों किससे हैं । आपके कार्यों को शब्दों में बांधना बहुत ही मुश्किल है । आप की स्मृति में आपके जीवित पुत्र श्री राजवीर सिंह व पारिवारिक सदस्यों के सहयोग से आपकी कर्म भूमि जलालपुर में आप की समाधि व आपके साथ पूज्य माताजी (आपकी पत्नी) की प्रतिमाएं व स्मारक निर्मित किया गया है ।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें

Book written on Thakur Natthan Singh by Thakur Virendra Singh (Thakurela)


संदर्भ



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