Jawahar Singh Mawlia: Difference between revisions

From Jatland Wiki
(Created page with "'''Jawahar Singh Mawlia''' from village Chandpura Sikar (Sikar), was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. He wa...")
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
'''Jawahar Singh Mawlia''' from village [[Chandpura Sikar]] ([[Sikar]]), was a leading Freedom fighter who took part in [[Shekhawati farmers movement]] in [[Rajasthan]]. He was one of panch of [[Sikar Jat Panchayat]]. <ref>[[रणमल सिंह]] के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113 </ref>
'''Jawahar Singh Mawlia''' from village [[Chandpura Sikar]] ([[Sikar]]), was a leading Freedom fighter who took part in [[Shekhawati farmers movement]] in [[Rajasthan]]. He was one of panch of [[Sikar Jat Panchayat]]. <ref>[[रणमल सिंह]] के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113 </ref>
== शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह ==
[[शेखावाटी किसान आन्दोलन]] पर [[रणमल सिंह]]<ref>[[रणमल सिंह]] के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह'  द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113-114</ref> लिखते हैं कि [पृष्ठ-113]: सन् '''1934''' के '''प्रजापत महायज्ञ''' के एक वर्ष पश्चात सन् '''1935''' (संवत 1991) में '''[[Khuri Chhoti|खुड़ी छोटी]]''' में [[Fageria|फगेडिया]] परिवार की सात वर्ष की मुन्नी देवी का विवाह ग्राम [[Jasrasar Sikar|जसरासर]] के [[Dhaka|ढाका]] परिवार के 8 वर्षीय जीवनराम के साथ धुलण्डी संवत 1991 का तय हुआ, ढाका परिवार घोड़े पर तोरण मारना चाहता था, परंतु राजपूतों ने मना कर दिया। इस पर [[जाट]]-[[राजपूत]] आपस में तन गए। दोनों जातियों के लोग एकत्र होने लगे। विवाह आगे सरक गया। '''[[Web|कैप्टन वेब]]''' जो [[सीकर]] ठिकाने के सीनियर अफसर थे , ने हमारे गाँव के चौधरी [[Goru Singh Garhwal|गोरूसिंह गढ़वाल]] जो उस समय जाट पंचायत के मंत्री थे, को बुलाकर कहा कि जाटों को समझा दो कि वे जिद न करें। चौधरी गोरूसिंह की बात जाटों ने नहीं मानी, पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। इस संघर्ष में दो जाने शहीद हो गए – '''[[Ratna Ram Bajia|चौधरी रत्नाराम बाजिया]]''' ग्राम [[Fakirpura|फकीरपुरा]] एवं '''[[Shimbhu Ram Bhukar|चौधरी शिम्भूराम भूकर]]''' ग्राम [[Gothra Bhukran|गोठड़ा भूकरान]] । हमारे गाँव के '''चौधरी मूनाराम''' का एक हाथ टूट गया और हमारे परिवार के मेरे ताऊजी '''चौधरी किसनारम डोरवाल''' के पीठ व पैरों पर बत्तीस लठियों की चोट के निशान थे। '''चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल''' के भी पैरों में खूब चोटें आई, पर वे बच गए।
चैत्र सुदी प्रथमा को संवत बदल गया और विक्रम संवत 1992 प्रारम्भ हो गया। सीकर ठिकाने के जाटों ने लगान बंदी की घोषणा करदी, जबरदस्ती लगान वसूली शुरू की। पहले '''[[भैरुपुरा]]''' गए। मर्द गाँव खाली कर गए और '''[[Ishwar Singh Bhamu|चौधरी ईश्वरसिंह भामू]]''' की धर्मपत्नी जो [[Dhanna Ram Burdak|चौधरी धन्नाराम बुरड़क]], [[Palthana|पलथना]] की बहिन थी, ने ग्राम की महिलाओं को इकट्ठा करके सामना किया तो '''[[Web|कैप्टेन वेब]]''' ने लगान वसूली रोकदी। [[Baksa Ram Mahria|चौधरी बक्साराम महरिया]] ने ठिकाने को समाचार भिजवा दिया कि हम [[कूदन]] में लगान वसूली करवा लेंगे।
[[कूदन]] ग्राम के पुरुष तो गाँव खाली कर गए। लगान वसूली कर्मचारी ग्राम कूदन की धर्मशाला में आकर ठहर गए। महिलाओं की नेता '''[[Dhapu Devi|धापू देवी]]''' बनी जिसका पीहर ग्राम '''[[रसीदपुरा]]''' में '''[[Fandan|फांडन  गोत्र]]''' था। उसके दाँत टूट गए थे, इसलिए उसे बोखली बड़िया (ताई) कहते थे। महिलाओं ने काँटेदार झाड़ियाँ लेकर लगान वसूली करने वाले [[सीकर]] ठिकाने के कर्मचारियों पर आक्रमण कर दिया, अत: वे धर्मशाला के पिछवाड़े से कूदकर गाँव के बाहर ग्राम [[अजीतपुरा खेड़ा]] में भाग गए। कर्मचारियों की रक्षा के लिए पुलिस फोर्स भी आ गई। ग्राम [[Gothra Bhukran|गोठड़ा भूकरान]] के [[Bhukar|भूकर]] एवं [[अजीतपुरा]] के [[Pilania|पिलानिया]] जाटों ने पुलिस का सामना किया। गोठड़ा गोली कांड हुआ और चार जने वहीं शहीद हो गए। इस गोली कांड के बाद पुलिस ने गाँव में प्रवेश किया और '''[[Kalu Ram Sunda|चौधरी कालुराम सुंडा]]''' उर्फ कालु बाबा की हवेली , तमाम मिट्टी के बर्तन, चूल्हा-चक्की सब तोड़ दिये। पूरे गाँव में पुरुष नाम की चिड़िया भी नहीं रही सिवाय राजपूत, ब्राह्मण, नाई व महाजन परिवार के। '''नाथाराम महरिया''' के अलावा तमाम जाटों ने ग्राम छोड़ कर भागे और जान बचाई।
----
[पृष्ठ-114]: [[Kudan|कूदन]] के बाद ग्राम [[Gothra Bhukaran|गोठड़ा भूकरान]] में लगान वसूली के लिए सीकर ठिकाने के कर्मचारी पुलिस के साथ गए और श्री [[Prithvi Singh Bhukar|पृथ्वीसिंह भूकर]] गोठड़ा के पिताजी श्री [[Rambaks Bhukar|रामबक्स भूकर]] को पकड़ कर ले आए। उनके दोनों पैरों में रस्से बांधकर उन्हें (जिस जोहड़ में आज माध्यमिक विद्यालय है) जोहड़े में घसीटा, पीठ लहूलुहान हो गई। चौधरी रामबक्स जी ने कहा कि मरना मंजूर है परंतु हाथ से लगान नहीं दूंगा। उनकी हवेली लूट ली गई , हवेली से पाँच सौ मन ग्वार लूटकर ठिकाने वाले ले गए।
कूदन के बाद जाट एजीटेशन के पंचों – [[Hari Singh Burdak|चौधरी हरीसिंह बुरड़क]], पलथना, [[Ishwar Singh Bhamu|चौधरी ईश्वरसिंह  भामु]], [[भैरूंपुरा]]; [[Prithvi Singh Bhukar|पृथ्वी सिंह भूकर]], [[Gothra Bhukaran|गोठड़ा भूकरान]]; [[Panne Singh Batar|चौधरी पन्ने सिंह बाटड़]], [[Bataranau|बाटड़ानाऊ]]; एवं [[Goru Singh Garhwal|चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल]] (मंत्री) [[Katrathal|कटराथल]] – को गिरफ्तार करके [[Deogarh|देवगढ़]] किले मैं कैद कर दिया। इस कांड के बाद कई गांवों के चुनिन्दा लोगों को देश निकाला (ठिकाना बदर) कर दिया। मेरे पिताजी '''चौधरी गनपत सिंह''' को ठिकाना बदर कर दिया गया। वे [[Hatundi|हटूँड़ी]] ([[अजमेर]]) में हरिभाऊ उपाध्याय के निवास पर रहे। मई '''1935''' में उन्हें ठिकाने से निकाला गया और 29 फरवरी, '''1936''' को रिहा किया गया।
जब सभी पाँच पंचों को नजरबंद कर दिया गया तो पाँच नए पंच और चुने गए – [[Ganesh Ram Mahria|चौधरी गणेशराम महरिया]], [[Kudan|कूदन]]; [[Dhanna Ram Burdak|चौधरी धन्नाराम बुरड़क]], [[Palthana|पलथाना]]; [[Jawahar Singh Mawlia|चौधरी जवाहर सिंह मावलिया]], [[Chandpura Sikar|चन्दपुरा]]; [[Panne Singh Jakhar|चौधरी पन्नेसिंह जाखड़]]; [[Kolira|कोलिडा]] तथा [[Lekh Ram Dotasra|चौधरी लेखराम डोटासरा]], [[Kaswali|कसवाली]]। खजांची [[Hardev Singh Bhukar|चौधरी हरदेवसिंह भूकर]], [[Gothra Bhukaran|गोठड़ा भूकरान]]; थे एवं कार्यकारी मंत्री [[Devi Singh Bochalya|चौधरी देवीसिंह बोचलिया]], [[ Kanwarpura Sikar|कंवरपुरा]]  ([[Phulera|फुलेरा]] तहसील) थे। उक्त पांचों को भी पकड़कर देवगढ़ किले में ही नजरबंद कर दिया गया। इसके बाद पाँच पंच फिर चुने गए – [[Kalu Ram Sunda|चौधरी कालु राम सुंडा]], कूदन; [[Mansa Ram Thalor|चौधरी मनसा राम थालोड़]], [[Narsara|नारसरा]]; [[Harji Ram Garhwal|चौधरी हरजीराम गढ़वाल]], [[Madhopura Laxmangarh|माधोपुरा]] ([[Laxmangarh|लक्ष्मणगढ़]]); [[Kanhaiya Lal Mahla|मास्टर कन्हैयालाल महला]], [[स्वरुपसर]] एवं [[Chuna Ram Dhaka|चौधरी चूनाराम ढाका]] , [[Fatehpura|फतेहपुरा]]।


== References ==
== References ==

Revision as of 16:33, 19 November 2016

Jawahar Singh Mawlia from village Chandpura Sikar (Sikar), was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. He was one of panch of Sikar Jat Panchayat. [1]

शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह

शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह[2] लिखते हैं कि [पृष्ठ-113]: सन् 1934 के प्रजापत महायज्ञ के एक वर्ष पश्चात सन् 1935 (संवत 1991) में खुड़ी छोटी में फगेडिया परिवार की सात वर्ष की मुन्नी देवी का विवाह ग्राम जसरासर के ढाका परिवार के 8 वर्षीय जीवनराम के साथ धुलण्डी संवत 1991 का तय हुआ, ढाका परिवार घोड़े पर तोरण मारना चाहता था, परंतु राजपूतों ने मना कर दिया। इस पर जाट-राजपूत आपस में तन गए। दोनों जातियों के लोग एकत्र होने लगे। विवाह आगे सरक गया। कैप्टन वेब जो सीकर ठिकाने के सीनियर अफसर थे , ने हमारे गाँव के चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल जो उस समय जाट पंचायत के मंत्री थे, को बुलाकर कहा कि जाटों को समझा दो कि वे जिद न करें। चौधरी गोरूसिंह की बात जाटों ने नहीं मानी, पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। इस संघर्ष में दो जाने शहीद हो गए – चौधरी रत्नाराम बाजिया ग्राम फकीरपुरा एवं चौधरी शिम्भूराम भूकर ग्राम गोठड़ा भूकरान । हमारे गाँव के चौधरी मूनाराम का एक हाथ टूट गया और हमारे परिवार के मेरे ताऊजी चौधरी किसनारम डोरवाल के पीठ व पैरों पर बत्तीस लठियों की चोट के निशान थे। चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल के भी पैरों में खूब चोटें आई, पर वे बच गए।

चैत्र सुदी प्रथमा को संवत बदल गया और विक्रम संवत 1992 प्रारम्भ हो गया। सीकर ठिकाने के जाटों ने लगान बंदी की घोषणा करदी, जबरदस्ती लगान वसूली शुरू की। पहले भैरुपुरा गए। मर्द गाँव खाली कर गए और चौधरी ईश्वरसिंह भामू की धर्मपत्नी जो चौधरी धन्नाराम बुरड़क, पलथना की बहिन थी, ने ग्राम की महिलाओं को इकट्ठा करके सामना किया तो कैप्टेन वेब ने लगान वसूली रोकदी। चौधरी बक्साराम महरिया ने ठिकाने को समाचार भिजवा दिया कि हम कूदन में लगान वसूली करवा लेंगे।

कूदन ग्राम के पुरुष तो गाँव खाली कर गए। लगान वसूली कर्मचारी ग्राम कूदन की धर्मशाला में आकर ठहर गए। महिलाओं की नेता धापू देवी बनी जिसका पीहर ग्राम रसीदपुरा में फांडन गोत्र था। उसके दाँत टूट गए थे, इसलिए उसे बोखली बड़िया (ताई) कहते थे। महिलाओं ने काँटेदार झाड़ियाँ लेकर लगान वसूली करने वाले सीकर ठिकाने के कर्मचारियों पर आक्रमण कर दिया, अत: वे धर्मशाला के पिछवाड़े से कूदकर गाँव के बाहर ग्राम अजीतपुरा खेड़ा में भाग गए। कर्मचारियों की रक्षा के लिए पुलिस फोर्स भी आ गई। ग्राम गोठड़ा भूकरान के भूकर एवं अजीतपुरा के पिलानिया जाटों ने पुलिस का सामना किया। गोठड़ा गोली कांड हुआ और चार जने वहीं शहीद हो गए। इस गोली कांड के बाद पुलिस ने गाँव में प्रवेश किया और चौधरी कालुराम सुंडा उर्फ कालु बाबा की हवेली , तमाम मिट्टी के बर्तन, चूल्हा-चक्की सब तोड़ दिये। पूरे गाँव में पुरुष नाम की चिड़िया भी नहीं रही सिवाय राजपूत, ब्राह्मण, नाई व महाजन परिवार के। नाथाराम महरिया के अलावा तमाम जाटों ने ग्राम छोड़ कर भागे और जान बचाई।


[पृष्ठ-114]: कूदन के बाद ग्राम गोठड़ा भूकरान में लगान वसूली के लिए सीकर ठिकाने के कर्मचारी पुलिस के साथ गए और श्री पृथ्वीसिंह भूकर गोठड़ा के पिताजी श्री रामबक्स भूकर को पकड़ कर ले आए। उनके दोनों पैरों में रस्से बांधकर उन्हें (जिस जोहड़ में आज माध्यमिक विद्यालय है) जोहड़े में घसीटा, पीठ लहूलुहान हो गई। चौधरी रामबक्स जी ने कहा कि मरना मंजूर है परंतु हाथ से लगान नहीं दूंगा। उनकी हवेली लूट ली गई , हवेली से पाँच सौ मन ग्वार लूटकर ठिकाने वाले ले गए।

कूदन के बाद जाट एजीटेशन के पंचों – चौधरी हरीसिंह बुरड़क, पलथना, चौधरी ईश्वरसिंह भामु, भैरूंपुरा; पृथ्वी सिंह भूकर, गोठड़ा भूकरान; चौधरी पन्ने सिंह बाटड़, बाटड़ानाऊ; एवं चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल (मंत्री) कटराथल – को गिरफ्तार करके देवगढ़ किले मैं कैद कर दिया। इस कांड के बाद कई गांवों के चुनिन्दा लोगों को देश निकाला (ठिकाना बदर) कर दिया। मेरे पिताजी चौधरी गनपत सिंह को ठिकाना बदर कर दिया गया। वे हटूँड़ी (अजमेर) में हरिभाऊ उपाध्याय के निवास पर रहे। मई 1935 में उन्हें ठिकाने से निकाला गया और 29 फरवरी, 1936 को रिहा किया गया।

जब सभी पाँच पंचों को नजरबंद कर दिया गया तो पाँच नए पंच और चुने गए – चौधरी गणेशराम महरिया, कूदन; चौधरी धन्नाराम बुरड़क, पलथाना; चौधरी जवाहर सिंह मावलिया, चन्दपुरा; चौधरी पन्नेसिंह जाखड़; कोलिडा तथा चौधरी लेखराम डोटासरा, कसवाली। खजांची चौधरी हरदेवसिंह भूकर, गोठड़ा भूकरान; थे एवं कार्यकारी मंत्री चौधरी देवीसिंह बोचलिया, कंवरपुरा (फुलेरा तहसील) थे। उक्त पांचों को भी पकड़कर देवगढ़ किले में ही नजरबंद कर दिया गया। इसके बाद पाँच पंच फिर चुने गए – चौधरी कालु राम सुंडा, कूदन; चौधरी मनसा राम थालोड़, नारसरा; चौधरी हरजीराम गढ़वाल, माधोपुरा (लक्ष्मणगढ़); मास्टर कन्हैयालाल महला, स्वरुपसर एवं चौधरी चूनाराम ढाका , फतेहपुरा

References

  1. रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113
  2. रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113-114

Back to The Freedom Fighters